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गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

3013...कहा होगा किसी ने ऐसा भी दौर आएगा...

सादर अभिवादन। 

गुरुवारीय अंक में आपका स्वागत है। 

कहा होगा किसी ने 

ऐसा भी दौर आएगा,

लाशें कंधों को तरसेंगीं

मदद को कोई न आ पाएगा...!

#रवीन्द्र_सिंह_यादव 

 

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ- 

सब धन बाइस पसेरी...विश्वमोहन 


 दवाई, इंजेक्शन, ऑक्सिजन,

सबके जमाखोर!

ताल ठोकते रहे तुमसे,

चकले में हैवानियत के।

तनिक भी तूने, तब भी नहीं की

मौत की कालाबाज़ारी!

डटे रहे राह पर  बराबरी के,

सब धन बाइस पसेरी


तुम्हारे होने से मन घर बन जाया करता है...संदीप कुमार शर्मा 


मन के 

एक कोने में

कुछ यादें रखी 

थीं

सहेजकर

उन पर भी

धूल की मोटी परत थी।


नयन-नयन... पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 


इच्छाओं के घेरों में, निस्पृह मन,

ज्यूँ, निस्संग, कोई तुरंग, भागे यूँ सरपट,

सूने से, उन सपनों संग,

विवश, बंद-बंद अपने आंगन,

जागी सी, इच्छाओं संग,

कैद हुए, ये क्षण!


काश! कुछ कर पाते...फ़िज़ा 


मौत से लड़ते हुए तो किसी अपने को 

कांधा दिए आँखों में आंसू ,लाचारी 

धैर्य देते-देते अब खुद धैर्य को थामे 

के जाओ नहीं छोड़कर साथ हमारा 

तुम नहीं तो कैसे देंगे हम हौसला 

एक-एक करके सभी छोड़े जा रहे 


आपदा या अवसर...प्रीति मिश्रा 

पालन किया सभी नियमों का 

फिर भी लटक रही तलवार 

चारों तरफ कोरोना ने 

मचाई है हाहाकर 

ताली बजाई, थाली बजाई 

बेमौसम दिवाली मनाई 

लेकिन खतरा टला नहीं 

आसानी से जाने वाली 

ये छोटी सी बला नहीं 

सब कुछ कर डाला हमने 

फिर कोरोना मरा नहीं 

*****

आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे अगले गुरुवार करोना से लड़ते-लड़ते...

रवीन्द्र सिंह यादव  


9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    सब कुछ किया
    बस सामुहिक मिलन-भ्रमण बंद नहीं किया..
    बेहतरीन अंक..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह!अनुज ,बेहतरीन प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत आभारी हूं रवींद्र जी आपका। मेरी रचना को स्थान के लिए और सभी अच्छे लिंक मुहैया करवाने के लिए। बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. आभार आपका मेरी रचना को शामिल करने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  5. समसामयिक सूत्रों से सजा संकलन ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सभी लिंक्स पर बेहतरीन रचनाएँ पढ़ने को मिली ।आभार

    जवाब देंहटाएं

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