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मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

3004....जड़ से संकट दूर करो मां।

जय मां हाटेशवरी..... माँ हर संकट को हरने वाली, माँ चमत्कार करने वाली, माँ के चरणों में ही है खुशहाली. जग से करोना दूर करो मां, जजय मां हाटेशवरी..... माँ हर संकट को हरने वाली, माँ चमत्कार करने वाली, माँ के चरणों में ही है खुशहाली. जग से करोना दूर करो मां, जड़ से संकट दूर करो मां। घर में ही बनाएंगे मां का दरवार, संग अपनों के करेंगे जयकार। आपको परिवार सहित दुर्गा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं अब पेश है.....आज की हलचल।..... फूँक दो फिर शंख मौसम बंद कानों में हँस रही बैठी मसानों में | बहो फिर भागीरथी संजीवनी लेकर , स्वस्ति वाचन करेंगे फिर अर्घ्य हम देकर , अभय हो जाएँ हिरण फिर बियाबानों में | घाटियाँ महकें सुहागिन सांध्य बेला हो महामारी  हँस रही  बैठी मसानों में | बहो फिर  भागीरथी  संजीवनी लेकर , स्वस्ति वाचन  करेंगे  फिर अर्घ्य हम देकर , अभय हो  जाएँ हिरण  फिर बियाबानों में | घाटियाँ  महकें  सुहागिन सांध्य बेला हो ,
वो जिसका ठीक होना अटका हुआ है सिर्फ इस इंतजार में कि कम से कम इन हालात में शायद तुम किसी रोज पूछोगे 'ठीक हो न?' उसे ठीक कर सकते हैं तुम्हारे शब्द
दैनिक जागरण में जब हमने ‘हिंदी हैं हम’ अभियान का आरंभ किया तो नरेन्द्र कोहली जी पहले कार्यक्रम के अतिथि थे। दैनिक जागरण बेस्टसेलर की जब शुरुआत हुई तो पहली सूची नरेन्द्र कोहली ने जारी की थी। संवादी लखनऊ से लेकर बिहार संवादी तक में कोहली जी की भागीदारी रही थी। अपनी भाषा हिंदी को लेकर उनमें एक जबरदस्त प्रेम था और उनका यह प्रेम बहुधा गोष्ठियों में दिख भी जाता था। उनके निधन से हिंदी को अपूरणीय क्षति हुई है। वो हिंदी साहित्य के शीर्ष कलश थे।
  
जिस हाल में दाता रखे वैसे ही जीवन चलेगा डरने घबराने से है लाभ क्या  जीवन है एक जुझारू पल सा  तभी सफल होगा   जब भी  बाधाएं  निर्बिघ्न पार करेगा  |
माँ-बहनों की लज्जा लुटती, गलियों में-बाजारों में, गुण्डागर्दी करने वाले, शामिल हैं सरकारों में, लालन-पालन करने वाला, परेशान कारिन्दा है। करतूतों को देख हमारी होता वो शरमिन्दा है।। -- लोकतन्त्र में शासन करने के, सब ही अधिकारी हैं, किन्तु अराजक तत्वों को, क्यों मिलती भागीदारी हैं, मुक्त करो इनसे संसद को, कहता हर बाशिन्दा है। करतूतों को देख हमारी, होता वो शरमिन्दा है।।
अपने-अपने मन की आस्था    अपने-अपने प्रेम की अवस्था,    प्रेम अकसर पा तो लिया जाता है    पर वह लेन-देन तक सिमट जाता है,    हम सभी भूल गए हैं प्रेम का अर्थ    लालसा में भटकता जीवन है व्यर्थ,
    धन्यवाद।

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    उम्दा हलचल आज की | मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आभार सहित धन्यवाद कुलदीप जी |

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  2. बेहतरीन लिंक्स । सुंदर प्रस्तुतिकरण

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  3. आदरणीय सर, अत्यंत सुंदर और जानदार प्रस्तुति जो नई प्रेरणा देती है और आशा का संचार करती है । माँ हाटेश्वरी से की गई प्रार्थना बहुत ही सुंदर है और मन में आशा और उल्लास जगती है । आरंभ में एक प्रार्थना और अंत में प्रेरम में जीवन जीने का संदेश देती रचना ने इस प्रस्तुति को परिपूर्ण बना दिया ।
    हृदय से अत्यंत आभार इस सुंदर प्रस्तुति के लिए व आप सबों को प्रणाम ।

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  4. बहुत सुन्दर और सार्थक।
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    श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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