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मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

2097.....-देवी के नौ रूपों सा दिव्य हो नूतन संवत्सर.

जय मां हाटेशवरी...... -
नव संवत्सर विक्रम संवत-2078 व 
चैत्र नवरात्रि की समस्त पाठकों व चर्चाकारों को 
 हार्दिक शुभकामनाएं. -
देवी के नौ रूपों सा दिव्य हो नूतन संवत्सर. 
वैशविक महामारी करोना मुक्त हो ये विश्व...... 
इस शुभकामना के साथ...... 
पेश है आज के लिये मेरी पसंद...... 

मस्ती में उल्लास में, झूम रहे हैं लोग।। --  मत-मजहब का भूल से, मत करना उपहास। होता इनके मूल में, छिपा हुआ इतिहास।।   --  त्यौहारों के नाम पर, लोक-दिखावा मात्र। पाश्चात्य परिवेश में, गुम हो गये सुपात्र।। --  करते पाठन-पठन को, विद्यालय में छात्र।। सफल वही होते सदा, जो होते हैं पात्र।। 

जब उसे ठीक से सुना जाता प्रति उत्तर भी वे समय पर पाते   प्रभु का आशीष पा कर   स्वयं  को धन्य समझते जब मन वीणा की चर्चा होती  आत्मिक सुख का अनुभव करते   

पावँ तो आगे बढ़ें मैं रास्ता हो जाऊँगा आपकी हो जाए मेरी सू निगाहे लुत्फ़ भर देख लेना फ़र्श से मैं अर्श का हो जाऊँगा 
पसीने में लिपटी दहशत और अधमरे सपनों को खाली जेब में रखे लौट आता है घर 

ये सिर फाँसियों पर बहुत आ रहे हैं विरासत में हमने बहुत कुछ था पाया क्यों माटी में घुलता ज़हर खा रहे हैं

मैं उससे कहती हूँ. शायद यही वह मुझसे भी कहती है.  'क्या मेरा जीवन सिर्फ मेरे प्रेम और मेरे रिश्तों के लिए ही जाना जायेगा? या उन दुखों के लिए जो मैंने सहे? या उस मृत्यु के लिए जिसे मुझे चुनना पड़ा? मैं अपनी रचनाओं के लिए भी जाने जाना चाहती हूँ.' उसकी पलकें नम थीं और कॉफ़ी का मग थामे वो दूर निगाहें टिकाये थी.  कह देने से मन हल्का होता है. उसके कह देने से मेरा मन हल्का हो आया था. रूई सा हल्का. प्रेम अगर स्त्री का  हो, कई प्रेम तो उसकी तमाम प्रतिभाओं के बावजूद जब भी उस पर बात होती है केंद्र में उसके प्रेम ही जाने क्यों आ जाते हैं. मैं उसके कंधे पर हाथ रखकर कहती हूँ, 'दोस्त सौ बरसों का फासला गुजरा जरूर है लेकिन बहुत कुछ बदला नहीं है अभी भी. इसलिए नाराज न हो, उदास न हो कॉफ़ी पियो. कि तुम इस बाबत मुझे पहले ही बता चुकी हो प्रेम बाहर की नहीं भीतर की यात्रा है. कितने प्रेम नहीं कितना प्रेम, कितनी सघन यात्रा. प्रेम के सफर में आने वाले व्यक्तियों को गिने बिना अवसाद की,अधूरेपन की उस यात्रा को देख पाने का शऊर अभी सीखना

धन्यवाद

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर।
    भारतीय नव वर्ष की सबको बधाई हो।
    आपका आभार आदरणीय कुलदीप ठाकुर जी।

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  2. सुंदर प्रस्तुति कुलदीप भाई। आपकी प्रदतुति अपनी पहचान आप है। सभी को सादर नमन। आपको बधाई और शुभकामनाएं🙏 💐💐🌹💐

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  3. 🌹🙏🌹🌹🤗
    समस्त साहित्य प्रेमियों को हिन्दू नववर्ष, संवत 2078, मिति चैत्र बदी, प्रतिपदा, नवदुर्गा प्रारंभ और बैसाखी की अनन्य शुभकामनाएं💐🙏👏🏼🌸🥀🌺🌷🌹🍁🇮🇳

    🙏🙏**माँ दुर्गा स्तुति**🙏🙏

    पधारो! आँगन आज माँ!
    ममतामयी, मंगलकरनी,
    सकल संवारों काज
    रोग, शोक,दुःखहरनी!
    रिद्धि- सिद्धि की तुम खान
    सर्व सुखों की दाता,
    बढ़ाओ प्रेम व्यवहार
    तुम्हीं जग भाग्य विधाता!
    ****रेणु***

    🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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  4. सभी लिंक्स की रचनाएँ बेहतरीन । हिन्दू नव वर्ष की शुभकामनाएँ ।

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  5. सराहनीय सूत्रों से सजी सुंदर प्रस्तुति कुलदीप जी।
    सादर।

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  6. सुंदर और रोचक संकलन,नववर्ष तथा नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई.... जिज्ञासा सिंह

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