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रविवार, 28 मार्च 2021

2081 ...कपड़ा चला जायेगा बाबूजी! पर रंग हमेशा आपके साथ रहेगा

सादर नमस्कार
अचानक हम क्यों
है न सर पर आईज
देर न करें चलिए चलें


सखि रे! गंध मतायो भीनी
राग फाग का छायो

राग-द्वेष का होम करें
होलिका हुलस हुमकायो
प्रीत भरी पिचकारी धार
मन के मैल छुड़ायो


खेलता है रास कान्हा
आज भी राधा के संग,  
प्रीत की पिचकारियों से
डाल रहा रात-दिन रंग !


मैं सीढ़ी चढ़ूं
तुम्हें सांप काटे
मैं ताली बजाऊँ
आओ चलो
साँप-सीढ़ी खेलें


चाहे बुरका हो या
घूँघट
दोनों में ही
महिलाओं को
चेहरा ढकना पड़ता है।
बुरके का इस्तेमाल
मुस्लिम महिलायें या
लड़कियाँ पुरुषों की निगाहों से
बचने के लिए उपयोग करती हैं।


लो! फागुन आया है
 सरहद पर सजना
ये मन बौराया   है।

ये ढोलक, मंजीरे
सखियों  की टोली
गाती  धीरे- धीरे।


चलते-चलते दो रचनाएँ बंद ब्लॉग से

मित्रों,
एकाएक मेरा विलगाव आपलोगों को
नागवार लग रहा है, किन्तु शायद आपको यह पता नहीं है कि
मैं पिछले कई महीनो से जीवन के लिए मृत्यु से जूझ रही हूँ ।
अचानक जीभ में गंभीर संक्रमण हो जाने के कारण यह
स्थिति उत्पन्न हो गयी है। जीवन का चिराग जलता रहा तो
फिर खिलने - मिलने का क्रम जारी रहेगा।
बहरहाल, सबकी खुशियों के लिए प्रार्थना।
- संध्या जी की अंतिम रचना

मैं उसके रक्त को छूना चाहती हूं
जिसने इतने सुन्दर चित्र बनाये
उस रंगरेज के रंगों में घुलना चाहती हूं
जो कहता है-
कपड़ा चला जायेगा बाबूजी!
पर रंग हमेशा आपके साथ रहेगा


अपने-आप से बात करना बेहद पसंद है मुझे ..
अपने-आप में जीना उससे भी ज्यादा। छोटी -छोटी ख्वाइशयें हैं मेरी ..
उनको पूरा करना चाहती हूँ, ज़िन्दगी रहने तलक। अपने-आप को,
ज़िन्दगी को, महसूस करना चाहती हूँ .. पूरी शिद्दत के साथ।
एक साँस लेना चाहती हूँ .. जो सिर्फ मेरी हो ..
मेरे खुद के लिए हो। इसलिए लिखती हूँ .. "मैं" -गुंजन

पर क्यूँ .. मैं तो वहीँ थी
हरदम तुम्हारे आस-पास
फिर क्यूँ तुमने .. मुझे नहीं पुकारा ?
फिर क्यूँ मेरी यादों से
अपने मकां को सजाया ?
....
आज बस
कल मिलिए बड़ी दीदी से
सादर

7 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन अंक..
    संध्या जी की सारी रचनाएँ
    पुनः और पुनः पठनीय है..
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. धन्यवाद मेरी रचना को शामिल करने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन अंक। सारी रचनाएँ सराहनीय हैं। सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर बेहतरीन रचना प्रस्तुति, होली की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  5. सन्ध्या जी की रचना पढ़ी, मन भीग गया, होली के अवसर पर सुंदर रचनाओं के सूत्र, आभार !

    जवाब देंहटाएं

  6. बेहतरीन अंक। सारी रचनाएँ सराहनीय...मेरी रचना शामिल करने का बहुत शुक्रिया...सभीको होली की हार्दिक शुभकामनाएँ🙏

    जवाब दें

    जवाब देंहटाएं
  7. इस चर्चा के हर लिंक बहुत खास लगे । सबसे ज्यादा जो आपने बन्द हुए ब्लॉग से उठाए । संध्या जी की कविताओं से पहले से परिचित हूँ । अब वो नहीं हैं तब भी उनका ब्लॉग ज़िंदा है । इस प्रस्तुति के लिए आभार ।

    जवाब देंहटाएं

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