---

शुक्रवार, 22 जनवरी 2021

2016...मोम की दीवार थी पिघल गई

शुक्रवारीय अंक में आप सभी का
स्नेहिल अभिवादन
-------
पढ़ने के क्रम में मिली एक गज़ल
 आपको भी अच्छी जरूर पसंद आयेगी -

जो दिख रहा है सामने वो दृश्य मात्र है।
लिखी रखी है पटकथा मनुष्य पात्र है।।

नये नियम समय के हैं असत्य सत्य है,
भरा पड़ा है छल से जो वही सुपात्र है।

विचारशील मुग्ध है कथित प्रसिद्ध पर,
विचित्र है समय,विवेक शून्य  मात्र  है।

है साम-दाम-दंड-भेद का नया चलन,
कि जो यहाँ सुपात्र है, वही कुपात्र है।

घिरा  हुआ  है  पार्थ  पुत्र चक्रव्यूह में,
असत्य  सात  और सत्य  एकमात्र है।

कहीं कबीर, सूर की, कहीं नज़ीर है,
परम्परा से धन्य ये गज़ल का छात्र है।
©आलोक श्रीवास्तव 
------//////------
आइये अब आज की रचनाएँ पढ़ते हैं 

अवशेष 

चाय की चुस्कियां
आराम कुर्सियां
वैचारिक उल्टियां
प्रायोजित संगोष्ठियां
मुक्ति की बातें
विद्रुप ठहाके

एक मोती क्या जो टूटा उस माल से

कौन रुकता यहाँँ है किसी के लिए
सोच उसकी भी आगे निकल ही गई
तेरे जाने का गम तो बहुत था मगर
जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई


ज़िंदगी भी रेत-सी फिसल गयी

मुस्कुराए हम भी वो भी हंस दिए,
मोम की दीवार थी पिघल गई.
 
रात भर कश्ती संभाले थी लहर,
दिन में अपना रास्ता बदल गई.


एक चोर का डैमेज कंट्रोल

प्रश्न
प्रश्न होता है
क्या होता है
अगर किसी को
बता दिया जाता है
किसने बताया
किसको बताया
किसलिये पूछना चाहता है


एज़िज्म

एजिज्म'' यानी आयुवाद या बुजुर्गों के प्रति बढ़ती असहिष्णुता, वृद्धों के प्रति अनुचित व्यवहार ! उनके रहन-सहन, चलने-फिरने, बातचीत करने का मजाक उड़ाना, एजिज्म कहलाता है ! उम्रदराज लोगों को बेकार मानना, यह सोचना कि घूमना, फिरना, शॉपिंग, प्यार, मोहब्बत और नए नए शौक रखना यह सब उनके लिए नहीं हैं ! यानी उम्र की वजह से भेदभाव करना एजिज्म के अंतर्गत आता है ! विश्व में पहले से ही पांव पसार चुकी यह धारणा, भावना या प्रवृत्ति अब धीरे-धीरे हमारे समाज में भी पैठती जा रही है ! वृद्ध लोगों को मुर्ख, व्यर्थ और मन के जड़त्व का पर्याय ठहरा दिया गया है ! युवा लोग काफी गंभीरता से मानने लगे हैं कि एक निश्चित समय के बाद स्मार्ट, पारंगत, सफल व सुंदर होना असंभव होता है ! 
....
कल का अंक मेें 

विभा दी की अनूठी प्रस्तुति

सादर


-श्वेता सिन्हा

 





 

12 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा लिंक्स चयन और सराहनीय प्रस्तुति
    साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. शानदार अंक..
    आभार आपका
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. उव्वाहहहहहह..
    उम्दा अंक..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी पसंद बहुत पसंद आई ... परंपरा से धन्य ... गज़ल का छात्र ... बेबाक !

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर संकलनों से सुसज्जित शानदार प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  6. श्वेता जी, सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. लाजवाब प्रस्तुतीकरण उम्दा लिंक संकलन।
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद आपका।

    जवाब देंहटाएं
  8. बढ़िया लिंक संयोजन। सभी रचनाकारों को बधाई। प्रस्तुतकर्ता को विशेष बधाई। सादर।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।