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मंगलवार, 19 जनवरी 2021

2013 ..जो आँधियों में पला हो, उसे बिखराव से भय नहीं लगता

सादर अभिवादन..
आप अकेले बोल तो सकते है;
परन्तु
बातचीत नहीं कर सकते ।

आप अकेले आनन्दित हो सकते है
परन्तु
उत्सव नहीं मना सकते।

अकेले  आप मुस्करा तो सकते है
परन्तु
हर्षोल्लास नहीं मना सकते.
पर....
हम सब एक दूसरे
के बिना कुछ नहीं हैं
यही रिश्तों की खूबसूरती है ll

अब दौर रचनाओं का...


उस शहर के पश्चिमी छोर पर 
एक पहाड़ को काटकर 
रेल पटरी निकाली गई 
नाम नैरो-गेज़ 
धुआँ छोड़ती 
छुकछुक करती 
रूकती-चलती छोटी रेल 



आंच दिन की न रात को ठहरी 
मुट्ठियों में बंधी न दोपहरी 

प्यार का दीपदान कर आए 
हो गई और भी नदी गहरी 




स्मित के संग
मित्र हाथ दबाये–
या
एक दूजे को
मित्र केहुनियाएँ–
कुंद की वेणी


धूप का उत्तरीय उतरने में, 
ज़रा भी समय नहीं लगता, 
जो आँधियों में पला हो, 
उसे बिखराव से भय नहीं लगता,
हमारे पास कुछ भी नहीं, 
सिवा कुछ शब्दों के झुरमुट,
अंतर्तम खोलें, जीवन में 
कुछ भी अनिश्चय नहीं लगता


कष्टों से भरी मेरी जीवन की ये राहें,
कोई उनसे कह दो हमें नहीं चाहें,
बहुत टुट चुका हूँ मैं  अपने जीवन से,
नहीं देखती उन्हें अब मेरी निगाहें।
वक्ते रुख़सत जहाँ हो तय साहब ।
माँगने पर क़ज़ा नहीं मिलती ।।

कब से क़तिल हुआ ज़माना ये ।
जुल्म की इब्तिदा नहीं मिलती ।।

वो तो नाज़ुक मिज़ाज थी शायद ।
आजकल जो खफ़ा नहीं मिलती ।।


गमले को बोन्साई का बाज़ार चाहिए 
जब धूप लगे पेड़ सायादार चाहिए 

घर भी बना तो उसको कहाँ चैन मिल सका 
तख्ती पे लिक्खा था किराएदार चाहिए 

विक्रम सा राजा हो तभी नवरत्न चाहिए 
राजा हो जैसा वैसा ही दरबार चाहिए 


पहली भिक्षा 
जल की लाना-- कुआँ बावड़ी छोड़ के लाना,
नदी नाले के पास न जाना-तुंबी भरके लाना।

दूजी भिक्षा 
अन्न की लाना- गाँव नगर के पास न जाना,
खेत खलिहान को छोड़के लाना, लाना तुंबी भरके
....
अब बस
कल आएगी पम्मी सखी
सादर


6 टिप्‍पणियां:

  1. असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका छोटी बहना
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रिय यशोदा अग्रवाल जी,
    बेहतरीन संयोजन किया है आपने पठनीय और रुचिकर लिंक्स का.... साधुवाद 🙏
    मुझे प्रसन्नता है कि मेरी पोस्ट को भी आपने इन पांच लिंकों में शामिल किया है। इस हेतु हार्दिक आभार 🙏
    शुभकामनाओं सहित,
    डॉ. वर्षा सिंह

    जवाब देंहटाएं
  3. मुग्धता की नयी इबारत लिखता हुआ पांच लिंकों का आनंद, यथावत अपनी अलग छाप छोड़ता है, मुझे शीर्ष पंक्ति में जगह देने हेतु असंख्य आभार, मैं इस क़ाबिल हूँ भी या नहीं मुझे उसका इल्म नहीं, जो दिल को अच्छा लगता है बस लिख लेता हूँ, नमन सह आदरणीया यशोदा जी।

    जवाब देंहटाएं

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