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शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020

1974 ..चुप चुप है सब आज दिशाएँ अवमानना के भाव मुखरित

शुक्रवारीय अंक में

स्नेहिल अभिवादन
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समय ने साहित्य का संवेदनशील हृदय
हमसे छीन लिया।
 साहित्य अकादमी से सम्मानित वरिष्ठ
कवि एवं लेखक मंगलेश डबराल 72 वर्ष की आयु में
सदा के लिए मौन हो गये
अपनी बेशकीमती विचारों का पिटारा
आज की पीढ़ी को सौंपकर।
पढ़िए 
हरा पहाड़ रात में
सिरहाने खड़ा हो जाता है
शिखरों से टकराती हुई तुम्हारी आवाज़
सीलन-भरी घाटी में गिरती है
और बीतते दॄश्यों की धुन्ध से
छनकर आते रहते हैं तुम्हारे देह-वर्ष
पत्थरों पर झुकी हुई घास
इच्छाओं की तरह अजस्र झरने
एक निर्गंध मृत्यु और वह सब
जिससे तुम्हारा शरीर रचा गया है
लौटता है रक्त में
फिर से चीख़ने के लिए।

अश्रुपूरित श्रद्धा सुमन

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आइए आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-

 बात



तुम क्या सोचते हो
यह पूछने की जरूरत नही मुझे 
तुम क्या महसूसते हो
यह जानना जरूरी है मेरे लिए
उसने कहा


जेब

नाते- रिश्ते
बोल-बातें
कपड़े- लत्ते
खाने-पीने
गाने-बजाने
जेवर- कपड़े 
चाबी-लॉकर
तेरा- मेरा
गर्व-गुरूर
और.....


लोकतंत्र



विरोध प्रदर्शन 
हमेशा विरोध ही नहीं होते 
कई बार ये लाते है 
लोकतंत्र की हड्डियों में 
लचीलापन।

अवमानना

चुप चुप है सब आज दिशाएँ
अवमानना के भाव मुखरित।
भग्न सभी निष्ठा है छिछली
प्रश्न सारे रहे अनुत्तरित।
पस्त हुआ संयम हरबारी
मौन लगा फिर देख खटकने।।


राग-विराग


कोई संचित पुण्य जागा होगा जो गुरु का संरक्षण पाया.
हाथ बढ़ाकर अपना लिया था उन्होंने
,चरणों में शरण मिली.
जो कुछ भी आज हूँ
उन्हीं की कृपा से.
उन्हीं की अनुकम्पा से शास्त्र-ज्ञान पा धन्य हुआ
 , 
जीवन का परिष्करण और शुभ संस्कार
उनके सान्निध्य में विकसे. उबार लिया उस
दीन-हीन भीखमंगे बालक को
 ,अनगढ़ मृदा पिंड को
सँवार कर सुचारु रूप दे दिया .पेट भरने को घर-घर भीख माँगता
रिरियाता रम्बोलातुलसीदास में परिणति पा कर
श्री राम की कथा वाचन का अधिकार पा गया.

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कल आ रही हैं विभा दी विशेष अंक के साथ।

8 टिप्‍पणियां:

  1. कवि मंगलेश डबराल जी को नमन
    विनम्र श्रद्धांजलि

    उम्दा लिंक्स चयन
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद
    असीम शुभकामनाओं के संग

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरांजलि डबराल जी को..
    बढ़िया प्रस्तुति..
    आभार..

    जवाब देंहटाएं
  3. कवि मंगलेश डबराल जी को विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🏼
    सुंदर प्रस्तुति श्वेता ।

    जवाब देंहटाएं
  4. कवि मंगलेश जी को नमन!
    रचनाओं का चुनाव विविधतापूर्ण रहा
    धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
    डबराल जी को विनम्र श्रद्धांजलि!

    जवाब देंहटाएं
  6. डबराल जी को विनम्र श्रद्धांजलि सुन्दर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  7. मंगलेश जी को सादर श्रद्धांजलि...🙏 "जेब “ के चयन हेतु आभार !

    जवाब देंहटाएं
  8. मंगलेश डबराल जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
    बहुत ही शानदार संकलन,सभी रचनाकारों को बधाई ,मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।

    जवाब देंहटाएं

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