---

गुरुवार, 12 नवंबर 2020

1943...'अपनी औकात की मत नुमाईश करो'

शीर्षक पंक्ति: आदरणीय कौशल शुक्ला जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

धनतेरस पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ। 

पंच दिवसीय दीपावली पर्व का आज प्रथम दिन है। #धनतेरस के विषय में 'धन' शब्द कहाँ से आया? सर्वाधिक प्रचलित पौराणिक कथानुसार मान्यता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष (भारतीय विक्रम संवत के महीने 30 दिन के होते हैं जिनमें कृष्णपक्ष अर्थात जब रात्रि में चाँद अदृश्य होता है तथा शुक्ल पक्ष अर्थात जब रात्रि में चाँद नज़र आता है ) की तेरहवीं तिथि (त्रियोदशी) को देव-दानवों द्वारा आयोजित समुद्र-मंथन में भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद और अमृत कलश लिए प्रकट हुए थे। कालांतर में धन्वंतरि का यह 'धन' शब्द धन अर्थात दौलत का पर्याय होता गया और इस पर्व के साथ एक रिवाज बर्तन, चाँदी के सिक्के आदि ख़रीदने का और जुड़ गया। आज के दिन बाज़ारों की रौनक इस पर्व के सामाजिक,व्यावसायिक एवं आर्थिक पहलुओं पर विचार करने को विवश करती है।

करोना काल की पहली धनतेरस आपको शुभ हो।

-रवीन्द्र 

आइए पढ़ते हैं आज की चंद पसंदीदा रचनाएँ- 

अपनी औकात की मत नुमाईश करो...कौशल शुक्ला

बस यूँही रास्ता नापते-नापते

गया मैं इधर ही, जहाँ आप थे

'अपनी औकात की मत नुमाईश करो'

मेरे दिल ने कहा हाँफते-हाँफते

गिरमिटिया के राम-चंद पंक्तियाँ...सुबोध सिन्हा

 

पर कितनी ही सधवाएँ

ताउम्र विधवा-सी तड़पती रही

और मीलों दूर वो "गिरमिटिया" भी,

फिर भी भला तुम क्यों नहीं जागे ?

आँखोड़ा...अनीता सैनी

सदियों पहले जिसने भी बाँधी हो ?

कर्ता-कर्म बदले विचारों का भार वही था
समय के साथ रियायत मिली
चमड़े का पट्टा थ्री डी प्रिंट में था।

अमावस पूनम सी उजियार | गीत | डॉ. वर्षा सिंह

रोशनी बिखरी आंगन द्वार

अमावस पूनम सी उजियार

नए गोरी के साज-सिंगार

रोशनी बिखरी आंगन द्वार

जीवन इक वरदान बने जब... अनीता

एक अनंत शक्ति जो सभी को अपना मानती है, जिसके मन में करुणा और प्रेम का सागर है, उसको अनुभव करने का अर्थ है स्वयं भी सब जगह उसी को देखना. देह मानकर हम स्वयं को सीमित समझते हैं, मन के रूप में फ़ैल जाते हैं, आत्मा के रूप में हमारे सिवा कोई दूसरा नहीं है, ऐसा अनुभव किया जा सकता है. ऐसे परमात्मा को जीवन में अनुभव करना हो तो आत्मा के निज धर्म का पालन करना होगा.

 

आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे आगामी मंगलवार। 

#रवीन्द्र_सिंह_यादव 

11 टिप्‍पणियां:

  1. हर पल मंगलकारी हो
    सराहनीय प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  2. धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को... 🌟🌹🌟

    मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु सादर आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. पहली के बाद दूसरी तीसरी चौथी.... वाह वाह जनाब।

    गिनती ही नहीं बल्कि इसका पूर्ण इस्तेमाल करना भी सीखा है।


    🤣😉🤣

    जवाब देंहटाएं
  5. धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को...
    सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  6. धनतेरस की शुभकामनायें, भगवान धन्वतरि के अवतरण की बधाई, सुंदर रचनाओं के लिंक्स देती अच्छी प्रस्तुति, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति आज की। धनतेरस की हार्दिक हार्दिक शुभकामनायें। हमारे लिए धनतेरस कल है।
    आप सबों को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर भूमिका से साथ सराहनीय संकलन।मेरे सृजन को स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया सर।

    जवाब देंहटाएं
  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।