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शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020

1916 ..रही हूँ खुद की तकदीर ज़र्रा -ज़र्रा

शुक्रवारीय अंक में

आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।

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आपने महसूस किया है बदलते मौसम में प्रकृति की गुनगुनाहट....।ऋतुओं के संधिकाल में प्रकृति की असीम ऊर्जा धरती पर आच्छादित रहती है। 

कास के फूलों का श्वेत मनमोहक रेशमी दुपट्टा ओढ़े धरा,बादलों की अठखेलियाँ हवाओं की मादक शीतलता ,तितलियों के मनमोहक झुंड प्रवासी पक्षियों के कलरव शरद के आगमन का संकेत है।

आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-


सच्चे मन से की गयी प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं होती 

दुआ करें

कितने कष्ट सहे जीवन में
तुमसे कभी न मिलने आया
कितनी बार जला अग्नि में
फिर भी मस्तक नही झुकाया
पहली बार किसी मंदिर में
मैं भी , श्रद्धा लेकर आया !

मिलिए एक नयी चिट्ठाकारा से

ज़र्रा-ज़र्रा



रही हूँ खुद की तकदीर 
ज़र्रा -ज़र्रा 
रंग-बिरंगी तितलियों सी 
झिलमिलाती रोशनी सी 
चौन्धियाते आँखों के आगे 
स्पीडब्रेकर  सी ....पर 
बढ़ रही हूँ  मुश्किलों को निपटाते 
ज़र्रा -ज़र्रा




नींद टूटे, स्मरण जागे 

फिर खिल उठे मन का कमल  

 जो बन्द है मधु कोष बन  

   हो प्रकट वह शुभता अमल !


हम बिंदु हैं तो क्या हुआ 

सिंधु से नाता जोड़ लें, 

इक लपट ही हों आग की 

रवि की तरफ मुख मोड़ लें !


एक सोच



इस अंधेरी रात का उजास होगा....
परन्तु न बसें जलेंगीं न पटरियां उखड़ेंगी
न दुकाने जलेंगीं न हिंसा भड़केगी
प्रत्येक ब्यक्ति के ह्रदय में देशभक्ति का ज्वार उठेगा
एक सैलाब जनसमूह का  उमड़ेगा......

सभी की आत्मा देश की आत्मा बन जगेगी......



पिता ने कहा आदमी आदमी से समाज बनते देखा है
बेटे ने कहा एक आंसू ही तो है
पिता ने कहा आंसू आंसू  से मन के भाव बनते देखा हे 
बेटे ने कहा एक परिचित ही तो हे
पिता ने कहा मित्र मित्र से परिवार  बनते देखा हे
अब बेटा थोड़ा संजीदा और समझदार था 
देश और दुनिया के हालात से खबरदार था


तृप्ति की क्वालिटी



अरहर की आम पड़ी  चूल्हेवाली दाल जिसमें देसी घी में लहसुन-मिर्च का करारा छौंक लगा हो ,उसके आगे  म़ॉडर्न करियाँ फीकी  लगती हैं.हमारे घर लौकी के बड़े-बड़े टुकड़े दाल चढ़ाने के साथ ही डाल कर घुला दिये जाते थे ,जिससे दाल में विलक्षण स्वाद का आ जाता थ. सिल पर पिसी चटनी की तो बात ही क्या !

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कल मिलिए विभा दीदी से
उनके एक असाधारण प्रस्तुति के साथ
-श्वेता



6 टिप्‍पणियां:

  1. आभार पोस्ट पसंद करने को श्वेता ...

    जवाब देंहटाएं
  2. आभार आदरणीया श्वेता जी
    सभी लिंक्स बेहतरीन

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर सराहनीय प्रस्तुति सभी लिंक्स बेहद उम्दा।
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं

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