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शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2020

1904 ...एक मौसम में ही भिन्नाता दूजा बारहों मास भिन्नाय

शुक्रवारीय अंक में 

आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।

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व्यक्ति से विचार

और विचार से फिर

वस्तु बनाकर

 भावनाओं के 

 थोक बाज़ार में

 ऊँचे दामों में

 में बेचते देखा।


चश्मा,चरखा,

लाठी,धोती,खादी,

बेच-बेचकर 

संत की वाणी

  हर व्यापारी को

बस लाभ कमाते देखा।



राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की
151वीं जयंती है आज।
करोड़ों भारतवासियों के जीवन में बदलाव
लाने का आजीवन प्रयास करने वाले
बापू को सादर प्रणाम।
उनके द्वारा बतलाया गया
सत्य और अहिंसा का मार्ग समाज में
 शांति और सद्भावना का संदेश है 
ऐसा विश्व भी मानता है।

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आज हमारे पूर्व प्रधानमंत्री 


शास्त्री जी की 116वीं जयंती
का उत्सव देश मना रहा।

सरलता,सादगी,विनम्रता,कर्मठता और जनकल्याणकारी भावना
उनके उत्कृष्ट व्यक्तित्व को विशेष बनाता है। 
हमारे राष्ट्र नायक को सादर प्रणाम।



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आज हमारे परम आदरणीय
सुशील सर का भी जन्मदिन है।
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
आदरणीय सर को प्रेषित करते हुए
शुरुआत करते हैं उन्हीं की
एक रचना से-

लिखने की बीमारी है

हस्पताल है
पर्ची है
चिकित्सक है
बिना बिमारी मरी महामारी है
मुर्दे हैं सारे भोज में हैं

यह रक्तबीज का आसन है संजय



संजय , अपनी आँखे बंद कर लो
या अपने ही हाथों से फोड़ लो
या देख कर भी कुछ ना देखो
देखो भी तो मत बोलो
यदि बोलोगे भी तो क्या होगा ? 
जो होता आया है वही होता रहेगा
जहाँ बधियाया हुआ सब कान है
और तुम्हारी आवाज बिल्कुल बेजान है
तो तुम भी मूक बधिर हो जाओ
सारे दुख-दर्द को चुपचाप पीते जाओ 



सख्त जान
दोनों की
पिए रक्त
ना शर्माय

एक मौसम में
ही भिन्नाता
दूजा
बारहों मास भिन्नाय



गले लगाने से पहले 

आजमाते हैं लोग

बिजलियाँ अक्सर 

गिरती रहतीं हैं 

फिर भी आशियाना 

बनाते हैं लोग


अंधायुग अंधा कानून



स्वर्ग नर्क के मध्य बहती नदी है नारी
    तो जिस्म की दरिंदगी पौरष की पहचान होती है
    इन्सानियत के सड़ते गलते टुकड़े  सड़को पर घूमते
    सारे आदर्श,कायदे पर बलि का बकरा नारियां होती।



मेरे व्हाट्स एप पर आंसूं की नदियां जरूर बह चुकी हैं, मगर दिल कहाँ ऐसी नदियों से भीगता है। लोग उन लोगों को सांत्वना दे रहे हैं, जिनके लिये ये फालतू से भी ज्यादा फालतू चीज है। मेरी आखिरी फोटो पर अब तक के सबसे ज्यादा लाइक आ चुके हैं, पता नहीं इसे मै अपनी किस्मत समझूं, कि लोग इस वर्चुअल संसार में मुझे इतना प्यार करते थे,


आज बस
कल मिलिए विभा दी
 से
विशेष अंक के साथ।







17 टिप्‍पणियां:

  1. श्वेता जी आपकी शुभकामनाओं से अभिभूत हूं आभार जगह देने के लिये लेकिन कुछ असहज सा भी हूं गांधी और शास्त्री जी के साथ रखा हुआ देखकर। कुछ लिखे हुऐ को जगह देने के लिये भी पुन: आभार।

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    1. जन्मदिन हार्दिक बधाई अशेष शुभकामनाओं के संग... लेखनी अनवरत चलती रहे...

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    2. कोई संयोग का भी विशेष प्रयोजन होता है । प्रमाण स्वयं समय होता है । जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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    3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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    4. आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं

      हटाएं
  2. सादर शुभकामनाएं
    राष्ट्र निर्माता द्वय को
    सुशील भैय्या जुग-जुग जिएं
    ऐसी कामना है...
    सखी को बधाई श्रेष्ठतम प्रस्तुति के लिए
    शुभकामनाएं सभी रचनाकारों को..
    सादर..

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  3. साधुवाद छुटकी
    मन खुश हो जाता है चयन लिंक्स पर जाकर... लेखन में गम्भीरता बिना छल के

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  4. मान्यवर जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
    सुन्दर प्रस्तुति,हमारी रचना को स्थान देने के लिए आभार।

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  5. सादर शुभकामनाएँ
    दिन के अनुरूप बेहतर रचनाएँ
    आभार
    सादर..

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  6. आदरणीय श्वेता जी
    रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
    जय भारत ! जय भारती !

    जवाब देंहटाएं
  7. पूजनीय बापू एवं पूजनीय शास्त्री जी को हार्दिक नमन । आकर्षक एवं प्रभावशाली सूत्रों के संकलन हेतु हार्दिक आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  8. शुभकामनाएँ
    शुभकामनाएँ...
    शुभकामनाएँ....
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह! सबसे पहले आदरणीय सुशील जी को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। वे सपरिवार,सकुशल सानंद रहें और उलूक दर्शन के माध्यम से अपनी रचनात्मकता को नये आयाम देतें रहें,यही कामना है 🙏🙏💐💐🙏🙏

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  10. प्रिय श्वेता, सार्थक भूमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति। गाँधी जी के नाम आज क्या नहीं बिकता। जिन्हे गांधीवाद की परिभाषा भी नहीं पता वे गाँधी टोपी लगाकर गाँधी के नाम पर अपनी राजनैतिक रोटियाँ सेक रहे हैं। पर गाँधी युगों तक प्रासंगिक रहेंगे, ये तय है। गाँधी जी और माँ भारती के चहेते लाल शास्त्री जी को उनकी जयंती पर शत शत नमन। आज के सभी रचनाकारों को बधाई और शुभकामनाएं। तुम्हें भी आभार और हार्दिक स्नेह इस सुंदर प्रस्तुति के लिए। 🌹🌹❤❤💐💐

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  11. ई संवेदनाएं मन को झझकोर भविष्य की भयावहता का एक आईना दिखा गई।

    जवाब देंहटाएं
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    1. रचना आपके हदय तक पहुंच सकी, मेरा लिखना सफल हुआ। आपका बहुत आभार

      हटाएं

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