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बुधवार, 2 सितंबर 2020

1874...किसी को क्या बताए क्या हुआ है...

।। प्रातः वंदन ।।
!!हर तरफ़ सुब्ह ने इक जाल बिछा रक्खा है ,
ओस की बूँद कहाँ जाती है दरिया की तरफ़ .!

हम भी अमृत के तलबगार रहे हैं लेकिन ,
हाथ बढ़ जाते हैं ख़ुद ज़हर-ए-तमन्ना की तरफ़.!
राही मासूम रज़ा
बहुयामी व्यक्तित्व के धनी सुप्रसिद्ध हिन्दी एवं उर्दू साहित्यकार,विचारक, ,आधुनिक वेदव्यास कहें जानेवाले  डॉ.राही मासूम रज़ा जी की जन्म जयंती पर पाँच लिंकों का आनंद परिवार के तरफ़ से सादर नमन..
चलिए अब नज़र डालतेंं हैं आज के लिंकों फर..✍️
🔹🔸🔹

हमारा दिल बहुत सहमा हुआ है
किसी को क्या बताए क्या हुआ है
निकलना फिर घरों से रुक गया है
शहर में फिर कहीं दंगा हुआ है..
🔸🔹🔸



कोई है के पल पल दिल में उतरता जा रहा है

 
चांद का नूर जरा जरा सा बढ़ता जा रहा है
कोई है के पल पल दिल में उतरता जा रहा है

गुर्वत और अमिरी कि नाराजगी तो देखिए
तालाब दिन दिन सुख रहे हैं समंदर है के बढ़ता जा रहा है

मेरी लालटेन में मिट्टी का तेल नही है
आफताब है के बस ठलता जा रहा है..
🔹🔸🔹

आ० समीर लाल ‘समीर' जी. हाय रे,ये जी का जंजाल!!




मुन्नू याने पिछले ढाई दशक से भी ज्यादा समय से मेरे जी का जंजाल.
मेरे मित्र शर्मा जी का बेटा है. पारिवारिक मित्र हैं तो सामन्यतः न पसंदगी को भी 
पसंदगी बता कर झेलना पड़ता है. शायद शर्मा जी का भी यही हाल हो मगर उससे हमें क्या?
मुन्नू क्या पैदा हुएशर्मा शर्माइन सारी शरम छोड़ कर उसी के इर्द गिर्द अपनी 
दुनिया सजा बैठे. फिर क्यामुन्नू ने आज माँ कहामुन्नू आज गुलाटी खाना सीख गये
मुन्नू चलने लगे. मुन्नू सलाम करना सीख गये और जाने

🔸🔹🔸



उसने पूछा ये ठहाके 
का राज़ क्या है 
आँखें खामोश थी 
गम को कहीं तो
ठहरना था 

आज हसी में ही सही 
🔹🔸🔹

आ० दिगंबर नासवा जी..

सिक्कों का कुछ चाँद सितारों का बंधन.चुम्बक है पर तेरी बाहों का बंधन.

दिन में भी तो चाँद नज़र आ जाता है,इसने कब माना है रातों का बंधन.
तेरी आहट जैसे ही दरवाज़े पर,खोल दिया बादल ने बूंदों का बंधन..

🔹🔸🔹
जाते जाते आनंद ले ब्लॉग अंदाज़े ग़फ़िल की पेशकश..

वो ख़ुद नहीं हैं आए है आया सलाम पर


ये भी तो कम नहीं है मुहब्बत के नाम पर

वो ख़ुद नहीं हैं आए है आया सलाम पर..



।। इति शम ।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..




8 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा लिंको से सजी लाजवाब प्रस्तुति
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर संकलन ।आदरणीया मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर सूत्र ...
    आभार मेरी गज़ल को जगह देने की ...

    जवाब देंहटाएं

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