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रविवार, 19 जुलाई 2020

1829 आंखों में ककड़ छितरा गये और नजर जख्मी हो गयी


भाई कुलदीप जी आज पूना में हैं
हमें सौंपी गई है जवाबदारी


बरसों की आरी हंस रही थी
घटनाओं के दांत नुकीले थे
अकस्मात एक पाया टूट गया
आसमान की चौकी पर से
शीशे का सूरज फिसल गया

आंखों में ककड़ छितरा गये
और नजर जख्मी हो गयी
कुछ दिखायी नहीं देता
दुनिया शायद अब भी बसती है 
-अमृता प्रीतम


सो आज की पसंदीदा रचनाएँ कुछ यूँ है


धूप द्वेष की न तृष्णा की साँझ 
समन्वय की भोर जगाए है। 
आरोह-अवरोह का अंत नहीं 
अंत समय तक मड़राए है। 
मन डिगे न मानवता से मेरा 
हे!प्रभु अंतस में ऐसी अनुरक्ति दो। 
कर्म-कष्ट सहूँ आजीवन बस 
मुझ में इतनी शक्ति दो। 


छूने लगी है  हर   सांस
तुम्हारी धड़कनों को
जीने का है मकसद क्या ?
यह तक न सोच पाई |
की इतनी जल्द्बाजी
निर्णय लेने  में
स्वप्नों में वह कल्पना भी
बुरी नहीं लगती थी |


इस शहर में कभी हम भी थे
बहोत मशहूर, वक़्त का
तक़ाज़ा है, कि अब
लोग न पहचानने
पर हैं
मजबूर, ये दुनिया की है अपनी
ही रीत, हर कोई निभाता
है यहां अपनी अपनी
भूमिका ज़रूर ।

जैसे पर्दे पर कोई तस्वीर हो चलती फिरती 
छुपा है वह प्रोजेक्टर जो पीछे से 
भेज रहा है प्रकाश  
जिससे बनती हैं ये सारी आकृतियां 
उसे खोजें और पल भर के लिए ही कभी 
रिक्त हो जाये पट 
शायद उस क्षण मिलन होगा उससे 
जो मिथ्या नहीं है !


ज्यो ज्यो जलती ज्योत रही महका है परिवेश
पावन सुरभित पवन बही अनुभूति होती विशेष

अनुभव से तू जान रहा कर अनुभव का मान 
अनुभवी से सूत्र मिले , बन जाते हर काम
....
आज बस
सादर



13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुतै बढ़िया..
    भा गई अमृता जी की रचना
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद दिग्विजय जी |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर और आनन्दकर प्रस्तुति। हर रचना को पढ़ कर अच्छा लगा और आनंद आया।
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आप आते रहिए..
      आपके ब्लाग का स्वरूप निखरा दिखा आज
      कल विशेषांक है..
      सादर...

      हटाएं
  4. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय सर.मेरी रचना को स्थान देने हेतु सादर आभार .

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर बहुत खूब
    आपकी रचनाएं बहुत खुबसरत है
    हाल ही में मैंने ब्लॉगर ज्वाइन किया है आपसे निवेदन है कि आप मेरी कविताओं को पढ़े और मुझे सही दिशा निर्देश दे
    https://shrikrishna444.blogspot.com/?m=1
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  7. कृपया कविता के साथ साथ उसका अर्थ भी बताते चले ताकी हमको उसका अर्थ भी पता चल सके ।

    Hindi Me Master

    जवाब देंहटाएं
  8. कृपया कविता के साथ साथ उसका अर्थ भी बताते चले ताकी हमको उसका अर्थ भी पता चल सके ।
    Manohar Pothi

    जवाब देंहटाएं

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