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शनिवार, 8 फ़रवरी 2020

1667.…इकरार-ए-इश्क


बिन कांटों के फूल का चयन किया जा सकता है
शब्दों के कांटों का क्या किया जाए
जिन्हें शब्दों के कांटों की आदत हो जाती
उन्हें फूल-फलों के कांटों के चुभन अच्छे लगने लगते हैं
प्रेम दिवस पर कामना, रहती यह हरबार !
देगा अच्छा प्यार से, .प्रेमी फिर उपहार !!

बौर होरहा
मूली गाजर शलजम
पालक मेथी धनिया
गोभी मटर राई सरसों
सतरंगी फिज़ा हो रही
हम तो महीनों नशे में होते हैं हरसो(उल्लासित)
उसी के बीच आ जाते प्रेम दिवस
सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

कोई हिन्दू, कोई मुस्लिम, कोई ईसाई है।
सबने इंसान न बनने की कसम खाई है ।।
(निदा फ़ाज़ली)
बिना हमारे अधूरा 
जिसे जीवन लगे और 
हमें ठीक वैसा ही महसूस
हो, चाहे तारीख हो कोई भी 
वही प्रेम दिवस है.
कर दिया “उसने” भी “इज़हार-ए-मोहब्बत”
फोन पर______लाख” रूपये की बात थी,
“दस” रूपये में फ़रिया गयी।
नैनों ने बातें की निश्छल
राधा मोहन अविरल अविचल,
प्रेम सफल साकार हुआ
बिन शब्दों के इज़हार हुआ।
जिस्म से होने वाली मुहब्बत का इज़हार आसान होता है,
रुह से हुई मुहब्बत को समझाने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है।
मेरी मर्जी कविता मेरी है कैसे भी लिखूं
भटक गया हूं वापस आता हूं
याद आया प्रेम पर लिखना है
प्रेम बहुत भटकाता है
यही भट्काना बहुत सीखाता है
><><
पुन: मिलेंगे...
><><
हमक़दम का विषयांक 107
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अभी गुज़र जाओ चुपचाप 
सन्नाटे में विलीन है पदचाप
बदलती परिभाषाओं की व्याख्या में 
अनवरत तल्लीन हैं बसंत-चितेरे। 

उदाहरणार्थ दी गयींं  पंक्तियाँ
आदरणीय रवींद्र जी की
रचना से उद्धत है।

 अंतिम तिथि : 8 फरवरी 2020
प्रकाशन तिथि ः 10 फरवरी 2020

4 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमन..
    शुभकामनाएँ..
    सदा की तरह अनूठी प्रस्तुति..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. वह!!! बहुत सुंदर , प्रेम दिवस पर कुछ अलग सा ,सादर नमन दी

    जवाब देंहटाएं
  3. हमेशा की तरह अनूठी प्रस्तुति दी।
    सुंदर और भावपूर्ण सूत्र संजोये हैं आपने सादर।

    जवाब देंहटाएं
  4. शानदार प्रस्तुति ।
    सुंदर संकलन।
    ये कौन मुस्कुरा रहा है आइसक्रीम और टाॅफीयों में
    छुपके👋😍

    जवाब देंहटाएं

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