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बुधवार, 13 नवंबर 2019

1580..ईश्वर की मानिंद तभी तो कई बार तुम्हें तोड़ा, और तुम जुड़े रहे,

सादर अभिवादन
आज पम्मी सखी वापसी की यात्रा पर है
कहा है देर हो जाएगी
तो आज भी हमारी ही पसंद..
चलिए रचनाओँ की ओर...

मन को बहलाने
और भरमाने के लिए
मैंने कुछ ताखों पर
तुम्हारे होने की बुनियाद रख दी ।
खुद में खुद से बातें करते हुए
मैंने उस होने में प्राण प्रतिष्ठा की,
फिर सहयात्री बन साथ चलने लगी,


उसकी दिनचर्या तारों भरी भोर से आरम्भ हो अर्द्धरात्रि में नीलाकाश की झिलमिल रोशनी के साथ ही समाप्त होती थी । अक्सर काम करते करते वह प्रश्न सुनती - "तुम ही कहो ? कमाने वाला एक और खाने वाले दस..मेरे बच्चों का भविष्य मुझे अंधकारमय ही दिखता है ।" और वह सोचती रह जाती..,तीन माह पूर्व की नवविवाहिता के पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं था ।


अवि ने हँसते हुए अपने पिता और बुआ के हाथों को थाम लिया ,"बुआ - पापा मैं अपने बचपन से ही आप दोनों को इस त्योहार पर जिम्मेदारियों की वजह से मन मसोसते हुए देखता आया हूँ । अब मैंने ये निश्चय किया है कि हर वर्ष इस दिन आप दोनों साथ होंगे ।


Image may contain: 4 people, people on stage
द्रौपदी अपनी आँखें बंद कर गोविन्द का ध्यान कर रही है ! सारी सभा शोकमग्न और लज्जित दिखाई देती है बस दुर्योधन का क्रूर हास्य गूँज रहा है! तभी मेरी काम वाली बाई रोनी शक्ल बना कर मेरे सामने आ खड़ी हुई ! कार्यक्रम में बाधा पड़ने से मैं खिन्न थी !
“क्या बात है ?” मैंने तिक्त स्वर में पूछा !
“कल रात फिर बेटे को तीन चार लौंडों के संग पुलिस ने पकड़ लिया ! छुड़ाने के लिए बहुत पैसे माँगते हैं ! आपकी मदद चाहिए ! ”


जय के लिए जीवन देते हैं
विजय के लिए देते हैं प्राण
प्राण को प्रण सम्मुख रखने वाले
राष्ट्र रक्षा के हैं ध्रुव प्रमाण
धन्य है, वह माता जिसने जने पूत महान
पुनीत तिरंगे की शान, भारत के वीर जवान।


रिश्तों की बारीक-बारीक तहें
सुलझाते हुए
उलझ-सी गई हूं,
रत्ती-रत्ती देकर भी
लगता है जैसे
कुछ भी तो नहीं दिया,
हर्फ-हर्फ
तुम्हें जानने-सुनने के बाद भी
लगता है
जैसे अजनबी हो तुम अब भी,
....
हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए
और आज्ञा दीजिए
सादर


12 टिप्‍पणियां:

  1. सस्नेहाशीष संग असीम शुभकामनाएं छोटी बहना
    सराहनीय प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  2. शानदार अंक...
    करिए मेहनत और जिएँगे
    पड़े रहेंगे रोगी कहलाएँगे..
    जल्दबाजी में बनी प्रस्तुतियां
    हरदम अच्छी ही बनती है..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!!दी..एक से एक रचनाओं का संकलन।
    जल्दबाजी में और भी सुंदर प्रस्तुतिकरण।
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात !
    बेहतरीन सूत्रों से सजी बेहतरीन प्रस्तुति । इस प्रस्तुति में मेरी लघुकथा को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार यशोदा जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात 🙏🏼बेहतरीन प्रस्तुति । सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी आज की हलचल ! मेरी लघुकथा को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर अंक .... पढ़कर मन प्रसन्न हो गया ।

    जवाब देंहटाएं

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