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शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

1568 ...सूर्य,प्रकृति और मानव

स्नेहिल नमस्कार
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सूर्य के बिना धरा पर जीवन संभव नहीं,
सूर्य, प्रकृति और
मानव को मानव से 
जोड़ने का महापर्व है छठ, जो कि आधुनिक जीवनशैली में 
समाजिक सरोकारों में एक-दूसरे से दूर होते परिवारों को 
एक करने का काम करता है। यह होली,दशहरा की तरह 
घर के भीतर सिमटकर मनाया जाने वाला त्योहार नहीं,बल्कि 
एकाकी होती दुनिया के दौर में सामाजिक सहयोगात्मक रवैया और सामूहिकता स्थापित कर जड़ों को सींचने का प्रयास करता 
एक अमृतमय घट है।कुछ लोग साल में एक बार लौटते है 
अपने जड़ों की ओर,रिश्तों की टूट-फूट के मरम्मती के लिए,
माटी की सोंधी खुशबू को महसूस करने अपने बचपन की 
यादों का कलैंडर पलटने के लिए,गिल्ली-डंडा, सतखपड़ी,आइस-पाइस,गुलेल और आम लीची की के रस में डूबे बचपन को टटोलने के लिए,लाड़ से भीगी रोटी का स्वाद चखने।

आज यह त्योहार सिर्फ बिहार या उत्तरप्रदेश तक ही नहीं सिमटा  है अपितु इसका स्वरूप व्यापक हो गया है यह देश के अनेक हिस्सों में मनाया जाने लगा है।हिंदू के अलावा अन्य धर्माम्बलंबियों को इस त्योहार को करते देखने का सुखद सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है।
★★★★★★★
आइये आज की रचनाओं का आनंद लेते हैं-

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आदरणीया कामिनी सिन्हा
आस्था और विश्वास का पर्व 

छठीमाता कौन थी? सूर्यदेव से उनका क्या संबंध था? छठपर्व की उत्पति के पीछे पौराणिक कथाएं क्या थी? इस व्रत को पहले किसने किया? इस व्रत के पीछे मान्यताएं क्या थी? ढेरों सवाल हैं परन्तु मेरे विचार से सबसे महत्वपूर्ण  सवाल ये हैं कि -  इस व्रत के पीछे कोई सामाजिक संदेश और वैज्ञानिक उदेश्य भी था क्या ? 
जैसा कि मैंने  इससे पहले वाले लेख [हमारे त्यौहार और हमारी मानसिकता] में भी इस बात पर प्रकाश डाला हैं  कि -हमारे पूर्वजों द्वारा प्रचलित प्रत्येक त्यौहार के पीछे एक बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक और सामजिक उदेश्य छिपा होता था। 
तो चलें, चर्चा करते हैं कि - छठपूजा के पीछे क्या -क्या उदेश्य हो सकते थे ?छठपर्व को चार दिनों तक मनाएं जाने की परम्परा हैं।

सोना के सूप में ...सुबोध सिन्हा

अभी-अभी घर आकर थाना के बड़ा बाबू अपनी धर्मपत्नी - 'टोनुआ की मम्मी' के हाथों की बनी चाय की चुस्की का आनन्द ले रहे हैं।
अक़्सर हम स्थानीय भाषा में अपने करीबी या मातहत के नाम के आगे बिंदास 'या', 'आ' या 'वा' इत्यादि जोड़ कर उस नाम की संज्ञा को विशेषणनुमा अलंकृत कर देते हैं ।

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कविता ...रोहिताश घोड़ेला

मैं बाहर निकलता हूँ
और उठा लेता हूँ 
किसी की भावना से 
खेलता हुआ विषय 
जिस पर कविता बननी होती है 
मैं अपराधी हूँ कविता तेरा 
जो इस विषय पर तुझे लिख रहा हूँ 


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इबादत मैं करूँ सिर्फ तेरी ..नीतिश तिवारी
Indian girl
ख्वाब भी तेरे,
रौशनी भी तेरी,
हुस्न भी तेरा,
तिश्नगी भी तेरी।
एक मैं ही अधूरा,
शाम-ए-महफ़िल में,

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लिख रहे हैं आप मानवता पर...यशोदा अग्रवाल

लिख रहे हैं आप
मानवता पर
लिखिए
जी चाहे
जितना हो
स्याही कलम में
खतम हो जाए 
तो और भर लो
कलम को सियाही से

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तुम देख रहे हो साहेब ...अनीता सैनी

उजड़ रहा है
 साहेब 
धरा के दामन से 
विश्वास 
सुलग रही हैं 
साँसें 
कूटनीति जला रही है ज़िंदा 

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और चलते-चलते
छठ पूजा ने इतना तो समझाया

छठ पूजा
पर खबर
चल रही थी
मतलब की बात
कुछ भी नहीं
निकल रही थी
अचानक सूत्रधार
ने कुछ
ऐसा बताया
कान पहले
दायाँ हिला
फिर बायाँ भी
ऐसा लगा कुछ नया
सा हाथ में

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आज का यह अंक आपको कैसा लगा?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की सदैव प्रतीक्षा रहती है।
कल का अंक पढ़ना न भूलें
कल का विशेष अंक लेकर आ रही हैं
विभा दी।


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#श्वेता सिन्हा






15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत आभारी हूँ दी आपके सहयोग और स्नेहाशीष हर मुश्किल को आसान कर देती है सदैव।
    सादर।

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  2. लाजवाब प्रस्तुति..
    आज नहाय खाय के
    शुभकामनाएं..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. नहाय-खाय बीते कल यानी 31 अक्टूबर को था आज खरना/लोहंडा है। छठ पर्व का दूसरा दिन
      पूरा दिन उपवास रहकर शाम में साठी धान के चावल को गुड़ संग पका(रसियाव) रोटी केला से व्रतधारी फलाहार करते हैं

      सादर

      हटाएं
  3. सुप्रभात प्रिय श्वेता दी. बेहतरीन भूमिका के साथ बहुत ही सुन्दर सजी है पांच लिंको की प्रस्तुति. बहुत ही सुन्दर रचनाएँ चुनी है आज की प्रस्तुति में आप ने.मेरी रचना को स्थान देने हेतु तहे दिल से आभार आपका.
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई
    छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  5. सृष्टि के कारक सूर्य और उनकी अर्द्धांगिनी द्वय उषा और प्रत्युषा को नमन। सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह!!श्वेता ,बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।छठ पूजा पर हार्दिक शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन प्रस्तुति ,छठपर्व की बेहतरीन भूमिका के साथ एक और लाजबाब अंक , मेरी रचना को स्थान देने लिए हृदयतल से धन्यवाद श्वेता जी ,
    आप सभी को छठपूजा की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  9. बढ़िया प्रस्तुति प्रिय श्वेता। भूमिका सार्थक और ज्ञानवर्धक । सूर्योपासना के इस अलौकिक अनुष्ठान कीे अनुपम बेला के सभी उपवासियों को कोटि नमन। सभी के लिए छठ पर्व शुभता भरा और मंगलकारी हो यही दुआ हैं। आज के सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं । सभी रचनाएँ बहुत बढिया हैं। बहुत दिनों के बाद लिखा हैं यशोदा दीदी ने कुछ, पर अच्छा और चिंतनपरक लिखा है। 🙏🙏

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  10. भकामनाएं
    1
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    वाह श्वेता ! छठ पर्व तो जैसे हम जैनियों के लिए ही बना है. लहसुन-प्याज़ से रहित स्वादिष्ट भोजन ! लगता है कि अगली छठ पर तुम्हारे यहाँ भोजन करना ही पड़ेगा. सूर्य भगवान हम सब पर कृपा रक्खें, यही कामना है.

    जवाब देंहटाएं
  11. छठ पूजा पर बहुत व्यापक और स अर्थ टिप्पणी के साथ उसमें निहित सुंदर भावों पर प्रकाश डालती व्यापक भुमिका ।
    सुंदर रचना ओं का संगम सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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