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शनिवार, 14 सितंबर 2019

1520.. हिन्दी दिवस


हिन्दी दिवस
सबको यथायोग्य
प्रणामाशीष



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शब्द हमारी सासें हैं
चलाते हैं जीवन रुक जाये वरना,
मना रहे हैं जिस तरह
टीवी चैनल हिन्दी दिवस
उससे ही हमने प्रसन्नता पाई,
नहीं मिलेगा हमें यह तय है
फिर भी देंगे
सम्मानीय ब्लॉग लेखको को हार्दिक बधाई,


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भावी पीढ़ी पर अगर, दिया नहीं जो ध्यान !
हो जाएगी सत्य यह,.... हिंदी से अनजान !!
हिंदी का समझें बड़ा, खुद को खिदमतगार !
बच्चे जिनके पढ़ रहे,..... अँग्रेजी अखबार !!
अँग्रेजी में लिख रहे, हिन्दी का अनुवाद !
संसद में भरपूर है ,..... ऐसों की तादाद !!
फिल्मो का भी हाथ है,इसमे बडा रमेश ! 
हिंदी को पहचानते, इसकारण सब देश !


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बस ये सोच कर कलम रुक जाती है,
हिंदी किसी कोने में धाराशाही नज़र आती है !
निकलना तो चाहती है वो लेकिन ठहाकों के,
भंवर में कहीं डूब जाती है !!
सोचता हूँ उस तिनके का सहारा मैं बन जाऊ,
मातृ भाषा कहते हैं जिसे उसको माँ का ओहदा दिलाऊं,
बस इसलिए सोचता हूँ मैं कवि बन जाऊं !!


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आज भी कई लोग ऐसे हैं, जो हिन्दी भाषा को उचित दर्जा दिलवाने की दिशा में काम कर रहे हैं। वहीं हिन्दी दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से  हिन्दी भाषा के महत्व को बढ़ाने के लिए हिन्दी के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। वहीं आप भी इस तरह की कविताओं को सोशल मीडिया साइट्स पर ज्यादा से ज्यादा शेयर करने की कोशिश करें ताकि हम सभी के ह्रदय में अपनी मातृभाषा के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना पैदा हो सके।

हिन्दी दिवस



चलिये बहुत ही अंग्रेजी की बात…अंग्रेजी जानने समझने और सीखने में कोई बुराई नही है….वक़्त के साथ परिवर्तन ज़रूरी है…क्योंकि परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है…
पर अपनी भाषा हिन्दी का अलग ही महत्व है…
आप सभी चेतन भगत से भली-भांति परिचित होंगे….उन्होंने अपने किसी एक वक्तव्य में ये कहा था कि… हिन्दी मेरे लिए माँ जैसी है….अंग्रेजी प्रेमिका जैसी…
बहुत से लोग ये मानते होंगे…पर कुछ लोग अपनी इस माँ को ओल्ड एज होम छोड़ कर आ गये हैं….

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फिर मिलेंगे...

विषय...अठासी नम्बर का
खामोश/खामोशी
उदाहरण..

ख़ामोशी से बातें करता था 
न जाने  क्यों लाचारी है  
कि पसीने की बूँद की तरह 
टपक ही जाती थी 
अंतरमन में उठता द्वंद्व 
ललाट पर सलवटें  
आँखों में बेलौस बेचैनी

छोड़ ही जाता था 
रचनाकारः अनीता सैनी
अंतिम तिथिः 14 सितम्बर 2019(तीन बजे दोपहर तक)
प्रविष्ठि सम्पर्क फार्म द्वारा



16 टिप्‍पणियां:

  1. यदि सच में यह प्रबुद्ध समाज जो हिन्दी को मातृभाषा मानता है, तो वह हिन्दी दिवस पर आज क्या यह संकल्प ले सकता है कि अपने बच्चों से कहे कि वह उन्हें पिता जी और माँ कह कर संबंधित करे..
    पम्मी - पापा अथवा डैडी , अंकल- आंटी कहना बंद कर दे।
    इतना भी त्याग यदि हिन्दी के कर्णधार न कर सकते हो ,तो काहे की मातृभाषा..?
    नमस्कार और प्रणाम यानि कि हाथ जोड़ने की जगह हम अपने बच्चों को हाथ हिलाना बताते हैं। बचपन से ही उन्हें अंग्रेज बनाते हैंं।
    परंतु कभी बंगालियों , मुसलमानों नेपालियों सहित अन्य किसी भी भाषा के लोगों को देखें न जरा वे चाहे कितने ही अंग्रेजी के विद्वान हो परंतु आपस में अपनी भाषा में ही वार्तालाप करेंगे और अपनी संस्कृति के अनुरूप ही दुआ- सलाम भी..?
    और अब तो विद्यालयों में शिक्षक शुद्ध हिन्दी बोलना एवं लिखना तक बच्चों को नहीं बताते हैं..।
    संभवतः वे स्वयं नहीं जानते हैं..।
    फिर भी यह तय है कि मन के भाव को हम अपनी मातृभाषा में ही सहज रुप से व्यक्त कर सकते हैं।
    सार्थक प्रस्तुत सदैव की तरह ही दी..
    प्रणाम।

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    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आपका
      एक बात कहने की इच्छा हो आई
      मेरा बेटा अपने पिता को पापा ही कहता रहा लेकिन मुझे पहले मम्मी बोलना शुरू किया और जैसे-जैसे बड़ा होता गया खुद से माँ ही कहने लगा...
      मुझे खुद को मैम या मेमसाहब कहलवाना कभी पसन्द नहीं आया..

      हटाएं
    2. जी दी माँ कहने में जो अपनत्व है, वह मम्मी में कहाँ ..?

      हटाएं
  2. हिन्दी मेरे लिए माँ जैसी है….अंग्रेजी प्रेमिका जैसी…
    बहुत से लोग ये मानते होंगे…पर कुछ लोग अपनी इस माँ को ओल्ड एज होम छोड़ कर आ गये हैं….
    सादर नमन..

    जवाब देंहटाएं
  3. हिंदी दिवस विशेष सम्बन्धी बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ. हम सिर्फ़ 14 सितंबर को ही हिंदी पर होनेवाली चिंतन-मनन की औपचारिकता से अब ऊब चुके हैं. हमें हर दिन हिंदी की दशा और दिशा पर चिंतन और विमर्श की महती आवश्यकता है.
    सुन्दर सारगर्भित प्रस्तुति के लिये आदरणीया विभा दीदी को बधाई .
    सादर नमन.

    जवाब देंहटाएं
  5. हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ |
    विभा दी ने आज बहुत ही बेहतरीन रचनाएँ चुनी हैं|
    सादर नमन दी |
    आज हम-क़दम के विषय के उदाहरण के तौर पर अपनी रचना का अंश पाँच लिंकों की हलचल में देखकर बहुत ख़ुशी हुई|
    सादर आभार पाँच लिंकों का आनन्द...
    सब भी को हार्दिक बधाई |
    सादर

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  6. उपजी है कुछ
    पंक्तियाँ आज के लिए
    हिस्सा है हिन्दी
    हमारे अस्तित्व का ...
    ये वो पुल है जो...
    ले जाती है सुखों तक
    पहुंचाती है हमें
    संतुष्टि के शिखरो पर
    जोड़ती है..हमें
    हमारी जड़ों से
    बताती है पता..
    ज्ञान का..... जिसे
    संजोया गया है
    करोड़ों लोगों द्वारा
    वर्षों से...
    और आगे लिखी जा रही है
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  7. हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं। सुन्दर अंक।

    जवाब देंहटाएं
  8. जी प्रणाम दी,
    आज हिंदी दिवस पर बहुत सारी पठनीय सामग्री हम पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है आपने।
    हमेशा की तरह अति विशेष अंक।
    आभार आपका दी।

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  9. Thank you for posting such a great article! I found your website perfect for my needs. It contains wonderful and helpful posts. Keep up the good work see my site

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  10. जी सुंदर विशेषांक।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामना।

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