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रविवार, 8 सितंबर 2019

1514....जय हिन्द-सलाम भारत के वीरों


जय मां हाटेशवरी.....
भारत शनिवार की सुबह इतिहास रचने से दो क़दम दूर रह गया. अगर सब कुछ ठीक रहता तो
भारत दुनिया का पहला देश बन जाता जिसका अंतरिक्षयान चन्द्रमा की सतह के
दक्षिणध्रुव के क़रीब उतरता.
इससे पहले अमरीका, रूस और चीन ने चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैन्डिंग करवाई थी
लेकिन दक्षिण ध्रुव पर नहीं. कहा जा रहा है कि दक्षिण ध्रुव पर जाना बहुत जटिल
था इसलिए भी भारत का मून मिशन चन्द्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर रह गया.
पूर्व इसरो चीफ  बोले, 95% काम  पूरा, बस 5% से चूके
क्या इसरो की यह हार है या इस हार में भी जीत छुपी है?
आख़िर चंद्रयान-2 की 47 दिनों की यात्रा अधूरी आख़िरी पलों में क्यों रह गई?
क्या कोई तकनीकी खामी थी?
इन प्रश्नों का उत्तर तो विज्ञान के पास ही है......
संभव है....उत्तर मिल भी जाएगा.....
पर कल से मन बहुत आहत  है....
बस ईश्वर से यही कामना है.....
शीघ्र अति शीघ्र इसरो का संपर्क  चंद्रयान 2 से जुड़ जाए.....
और हमारा ये मिशन सफल हो जाए.....
इस रचना के साथ.....
पेश है आज की हलचल.....



चंद्रयान-2 से उपजे चार भाव

"6 सितम्बर देर रात (7 की सुबह) चाँद की सबसे ऊँची पहाड़ी के पीछे रात के घुप्प अँधेरे में कोई
प्रज्ञान बाबू टहलते पाए गए. उन्होंने पीले-कत्थई रंग की शर्ट और स्लेटी कलर के जूते पहन रखे हैं.
पूछे जाने पर अपने पिता का नाम विक्रम और माँ पृथ्वी को बताते हैं. इनका अपने परिजनों से
सम्पर्क टूट चुका है. जिस किसी का भी हो कृपया चाँदमहल के पास बनी पुलिस चौकी से आकर ले जाए. ये बच्चा कुछ भी खा-पी नहीं रहा है." देखना, एक दिन ये सम्पर्क जरूर होगा! सलाम,
#इसरो ....हमें आप पर बेहद गर्व है!


लहू बोलता भी हैं

मुंगेर जिले के मोहनपुर गाँव में पठान जमींदारों ने अगस्त  सन 1857 में अंग्रेजी  जुल्म  के
खिलाफ  बगावत कर दी | उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करके
कचहरी पर हमला किया और  सरकारी दस्तावेजो को लूटने के साथ ही वहां आग लगा दिया  |
इस बगावत के इल्जाम में दस लोग  गिरफ्तार हुए  उनके उपर मुकदमा चलाया गया ,
जिसमे करीम खान की पुलिस पिटाई से जेल में ही मौत  हो यी | रज्जू खान को उम्रकैद की सजा हुई  |
इन पठानों के साथ एंव  पांच और गैर मुस्लिम  कारिंदों पर ही मुकदमा  चला और उनमे से
दो को 14 - 14 साल और दो को  को 9-9 साल की सजा हुई |

प्रयास
मेरी फ़ोटो
उनकी पीठ सहलाना....किन्ही शब्दों की जरुरत नहीं थी वहाँ ढ़ांढ़स बँधाने.....
वो मानवता की,संवेदना की भाषा थी ....वो गले लगाना महज दिलासा नहीं था ,
एक शक्ति थी, हिम्मत थी, उर्जा थी। हमे हमारे वैज्ञानिकों पर गर्व है और
हमारे देश के प्रधानमंत्री पर भी , जिन्होने परिणाम के बजाय
प्रयास देखे और उन्हे सराहा, पीठ थपथपाई।


मेरी बेटी

दो घंटे बाद जब वैशाली लौटी तो कमरे को झाड़ पोंछ कर माँ आईने के सामने खड़ी अपने बाल सँवार रही थीं ! वैशाली ने पीछे से आकर माँ की आँखें बंद कर लीं !
“कहाँ चली गयी थी मुझे रसोई में भेज कर ? भूख लगी थी ना तुझे ?” कुछ झल्लाई सी माँ बोलीं !
‘श् श् श् .... ! आँखें बंद करो ना माँ !” वैशाली ने मनुहार की ! माँ के आँखें बंद करते ही वैशाली ने एक कोट माँ को पहना दिया !
माँ का गुस्सा काफूर हो चुका था ! नम आँखों में खुशी का सागर लहरा रहा था !
“ओ ओ .. मेरी बेटी !”
हर्षातिरेक से उन्होंने वैशाली को गले लगा लिया ! मुग्ध वैशाली उन्हें एकटक निहार रही थी !

ठहरे क्षणों में

मिल जाऊँगा मैं, सफर के उसी मोड़ पर,
जिन्दगी के, उस दूसरे से छोड़ पर,
देखना तुम मुझे, बस राह थोड़ी मोड़ कर!

ठहरे क्षणों में, मैं रुका हूँ उन्ही वनों में,
गुम हैं जहाँ, जीवंत से कहकहे,
पर संग है मेरे, लम्हे कई बिखरे हुए,
लट घटाओं के, सँवरे हुए,
बरस जाएँ, कभी ये घटाएँ बूँदें बनकर,
घेर ले कभी, तुम्हें सदाएं बनकर,


जय हिन्द-सलाम भारत के वीरों
चित्र में ये शामिल हो सकता है: 2 लोग, स्क्रीन
चन्द्रयान के सफर में लगा
ग्यारह साल सुन-पढ़
कुछ वैसा ही कौतूहल जगा
इस ग्यारह साल में कितने
सपने बुने उलझे टूटे होंगे
फिर दूने जोश से
उठ खड़े हुए होंगे

विधवा विलाप की तरह ...
राहू, केतु और शनि का दुर्लभ संयोग है
नहीं सुने या सराहे जायेंगे तुम्हारे नज़रिए
सुन लो
ओ कलबुर्गी, दाभोलकर,पानसारे, गौरी लंकेश
वो नहीं करते लिंग भेद
गर करोगे विद्रोह या प्रतिरोध
देशद्रोह की श्रेणी तैयार है तुम्हारे लिए
सच तो बस एक कोने में सिसकने को बेबस है
आओ सत्य का अंतिम संस्कार करें
एक एक मुट्ठी मिटटी डाल अपने हिस्से की
विधवा विलाप की तरह ...

धन्यवाद।

10 टिप्‍पणियां:

  1. हम भारतवासियों को अपने वैज्ञानिकों की क्षमता पर पूरा विश्वास है। अतः अगली बार उनका प्रयास रंग लाएगा।
    सभी को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात सर्,
    सही कहा आपने कुछ हारे भी जरूरी हैं आख़ीर बाज़ी जितने के लिए।आने वाला पल अच्छा होगा।

    देखना तुम मुझे, बस राह थोड़ी मोड़ कर!
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. संग्रहनीय संकलन के लिए साधुवाद
    हार्दिक आभार आपका

    जवाब देंहटाएं
  4. आशा और विश्वास की रोशनी से सजा एक बहुत ही सुन्दर संकलन ! हम होंगे कामयाब एक दिन ! मन में है विश्वास ! पूरा है विश्वास ! हम होंगे कामयाब एक दिन ! बहुत सुन्दर रचनाएं ! मेरी रचना को आज के संकलन में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. देश के वैज्ञानिकों का प्रयास व्यर्थ नहीं जायेगा आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि कामयाबी बहुत जल्द मिलेगी....
    शानदार प्रस्तुति उम्दा लिंंक्स....

    जवाब देंहटाएं

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