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सोमवार, 2 सितंबर 2019

1508 ....अंक क्रमांक छियासी... सोमवारीय विशेषांक

स्नेहिल नमस्कार
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सोमवारीय विशेषांक में
आप सभी पाठकोंं का स्वागत है।
हिंदू धर्म का लोकप्रिय त्योहार है आज
गणेश -चतुर्थी 
सर्वप्रथम सुनिये 

गणेश वंदना

सोमवारीय विशेषांक हम-क़दम का
उद्देश्य रहा आप सभी रचनाकारों
की रचनात्मकता का सम्मान करना।
ऐसा मंच प्रदान करना जिससे ज्यादा से ज्यादा
पाठक आपसे जुड़ सके।
पिछले कुछ समय से
हम-क़दम में दिये गये
विषयों पर आपकी उदासीनता
आपकी तटस्थता ने
हमें सोचने को मजबूर किया है कि
आपके समक्ष यह प्रश्न रखा जाए
क्या हम-क़दम
को अब अनिश्चित काल के लिए
बंद कर दिया जाना चाहिए?
आप पाठको की प्रतिक्रियायें ही
हमक़दम का भविष्य तय करेगी।

आप सभी सृजनशील
रचनाकारों की सहभागिता और
रचनात्मकता के लिए
हृदय से आभार व्यक्त
करते हैं।

पाँच लिंक परिवार का सतत प्रयास रहा है
पाठकों की अभिरुचि के अनुरूप सार्थक
और साहित्यिक रचनाओं का
आस्वादन करवाना।
इसी कड़ी में
आज हम लेकर आये है
कुछ खास कालजयी
रचनाएँ
आप भी आनंद लीजिए-
★★★★★★★
सूर्यकांत त्रिपाठी'निराला"
बाँधो न नाव इस ठाँव,बंधु
यह घाट वही जिस पर हँसकर,
वह कभी नहाती थी धँसकर,
आँखें रह जाती थीं फँसकर,
कँपते थे दोनों पाँव बंधु!


★★★★★

धर्मवीर भारती
तुम्हारे चरण
रसमसाती धूप का ढलता पहर,
ये हवाएँ शाम की, झुक-झूमकर बरसा गईं
रोशनी के फूल हरसिंगार-से,
प्यार घायल साँप-सा लेता लहर,
अर्चना की धूप-सी तुम गोद में लहरा गईं
ज्यों झरे केसर तितलियों के परों की मार से,
सोनजूही की पँखुरियों से गुँथे, ये दो मदन के बान,
मेरी गोद में !
★★★★★★
भगवती चरण वर्मा 
मानव
जब भूले से भरमाए से
भर्मरों को रस का पान मिला
तब हम मस्तों को हृदय मिला
मर मिटने का अरमान मिला।
★★★
सपने की एक किरण मुझको दो ना,
है मेरा इष्ट तुम्हारे उस सपने का कण होना,
और सब समय पराया है
बस उतना क्षण अपना ।
★★★★★★

हरिवंशराय बच्चन
आदर्श प्रेम
ले लेना सुगंध सुमनों की
तोड़ उन्हें मुरझाना क्या
प्रेम हार पहनाना लेकिन
प्रेम पाश फैलाना क्या
★★★★★

दुष्यंत कुमार
प्रेम कविताएँ
अकेला चाँद और तुम
तारों की भीड़ में
टिमटिमाती तुम
उजाले की अंगीठी में
मेरी फूंक से जलती और
शोला बनती
अंगारे सी मेरी प्रिय
क्या तुम चाँद भी होती हो कभी !
किसी क्षण 
★★★★★★
और चलते-चलते
रंजना जायसवाल 
तीज
सीप और घोंघों में भी पड़ गयी है जान
बस तिलमिला रही है अकेली ननद धूप
छिपती -फिरती इधर -उधर
कि कब जायेंगे मुए बादल
और कायम होगा फिर से उसका राज
खुशी से उछल रही है धरती
रचा रही है मेहँदी झूल रही है झूला
गा रही है कजरी जबकि रो रहे हैं
भोकार पार बादल
★★★★★★

-श्वेता





10 टिप्‍पणियां:

  1. जय श्री गणेश...
    सही समय पर सही प्रस्तुति..
    साधुवाद...
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. अखंड सौभाग्यशाली रहो छूटकी
    सराहनीय संकलन

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर प्रस्तुति
    सभी को तीज की बधाइयाँ
    अमर रहे सुहाग सबका हैं यही कामना करती हूं शिव भोले से

    जवाब देंहटाएं
  4. आप सभी विद्वजनों से निवेदन है कि कृपया हम-कदम,को न बंद करें , मैं हम-कदम का ऋणी हूं,उसके कारण ही मेरे जैसे नवोदित ब्लाॅगरों को थोड़ी सी पहचान मिली।
    मैं उदासीन नहीं हूं,हां इस समय मां की सेवा में लगी हूं। फिर भी हम-कदम को
    नियमित पढ़ती हूं।मैं ऐसे ही लिखना पसंद
    नहीं करती जब तक भाव हृदय में न जागे।
    आप इसे नियमित करिए,चाहे तो कुछ बदलाव के साथ ,जिससे रचनात्मकता में
    और निखार आए।आज के बेहतरीन रचना
    संकलन एवं प्रस्तुति के लिए सहृदय आभार सखी,सादर।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुन्दर सार्थक स्तरीय अंक आज की हलचल का ! इतने महान रचनाकारों की अनुपम रचनाओं पर प्रतिक्रिया देने की योग्यता नहींं पाती स्वयं में ! यह तो सूरज को दीपक दिखाने जैसी बात होगी ! हमकदम को मेरे विचार से जारी रखना चाहिये ! इससे लेखन के प्रति रुझान और तारतम्य बना रहता है और एक तरह का अनुशासन क़ायम रहताहै ! यह संभव है कि कभी-कभी विषय मनोनुकूल ना होने से या किसी व्यक्तिगत कारण होने से प्रविष्टियों की संख्या में कमी आई हो लेकिन इसका यह तात्पर्य तो बिलकुल भी नहीं कि एक बेहतर सिलसिले को रोक दिया जाए !वैसे जैसा आप सब उचित समझें ! मुझे तो कल का विषय जानने की उत्सुकता बनी हुई है ! गणेश चतुर्थी की सभी पाठकों, मित्रों और बंधू बांधवों को हार्दिक शुभकामनाएं !

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  6. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
    गणेशोत्सव की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

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  7. सराहनीय प्रस्तुति।उम्दा रचनाओं का चयन।सदा सौभाग्वती भव।

    जवाब देंहटाएं

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