---

शनिवार, 27 जुलाई 2019

1471..सावन


सावन में अब ना रहा...पहले जैसा सार
ना झूला ना पाटली... कजरी ना मल्हार
बदरा बैरी हो रहे... देती बरखा पीर
बिन पिय के भाये नहीं...चुभती कुटिल बयार
©अंकिता कुलश्रेष्ठ (आगरा)

सावन में बदरा छेड़े मन के तार,
विरह में तड़पे बहुरि गंगा के पार,
बरखा में भींग छुपाये अपने अश्रु,
मन करत सजना से करे मिल के प्यार।
©प्रभास सिंह (पटना)

ek kavita roz: baarish aane se pehle by gulzar

सबको यथायोग्य
प्रणामाशीष

चढ़ता वेग ऊँची पेंग ढ़लता पेग सब सावन में सपना
टिटिहारोर कजरीघोर छागलशोर अब सावन में सपना
व्हाट्सएप्प सन्देश वीडियो चैट छीने जुगल किलोल
वो झुंझलाहट कब हटेगा मेघ है जब सावन में सपना

VILLAGE VOICE,VILLAGE STORY,VILLAGE ISSUE
“फैली खेतों में दूर तलक
मखमल सी कोमल हरियाली..”
मल्लब कि जिन घासों को बैल और गधे तक नहीं चरते
उनका भी सौंदर्य आज देखते बन रहा है. जिन पेड़ों के पत्ते
बसन्त की भी नहीं सुनते वो सावन में हरियरी के मारे नाच रहें हैं…

सावन
rain-fall-animation
बरस बरस दिल जमके भीगा,
बूँदों पे है कैसी मस्ती छाई,
क्यों है ये जुदाई मुझपे आई,
यूँ ना बरसो मुझे मत तड़पाओ,
मेरे प्यार को ज़रा बुलाके लाओ,

सावन
बारिश पर कविता
आस्मां के बुलावे पर जब जब
श्वेत वस्त्र धारण कर उपर पहुची
दुनिया पूकार उठी बादल बादल
याद सताने लगी यार की बुंदों को
मशाल जला तब देखा बुंदों ने निचे
चोंच खोल पक्षी तलाश रहे बुंदों को

सावन


था भीगा-सा आँचल, थी गालों पर बूँदें,
मन में थी कोई हलचल, थी दिल में उम्मीद।
मेरे गर्म हाथों में, तेरा नर्म हाथ था,
तू थी पास इस कदर, जैसे जन्मों का साथ था।
दोनों भीग रहे थे, नज़दीकियाँ बढ रही थी,

एक टूटी अभिलाषा
264167_4062516615595_1209688317_n

सावन की रिमझिम है फीकी
इस इन्द्रधनुष के रंग भी
सपनों ने अब साथ है छोड़ा
नहीं आज कोई मेरे संग भी
नहीं देता कोई मुझे दिलासा !


><
आज अब बस...
अब विषय देखिए ये भी 
कुछ अनोखा सा ही है
इक्यासिवां विषय
धूम्रपान निषेध
सिगरेट
इनको देखो ज़रा - 
ये दिवाली पर अस्थमा की मरीज़ बन जाती है 
और सुट्टे लगाते वक्त तंदरुस्ती की चमकार। 
इसकी अम्मा इससे भी दस कदम आगे बढ़ गई है, 
वो सिगार फूंक रही है जमाई के साथ। 
ये हैं हिंदुस्तानी महिलाओं की रोल मॉडल। 
क्या बात! क्या बात! क्या बात! 
इन माँ-बेटी के मुंह पर एक ज़ोरदार झन्नाटेदार लात। 
भक्क! साली मक्कार, झूठी, पाखंडी औरत।
...........
उपराक्त चित्र फेसबुक वाल से
सौजन्यः तुषार राज रस्तोगी

प्रेषण तिथि- 27 जुलाई 2019 तीन बजे तक
प्रकाशन तिथि- 29 जुलाई 2019
प्रस्तुतियाँ ब्लॉग सम्पर्क प्रारुप पर ही मान्य




12 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी..
    सादर नमन..
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह! सावन की सुहानी फुहारों का सरगम।

    जवाब देंहटाएं
  3. सावन पर बेहतरीन प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह !बेहतरीन प्रस्तुति दी जी
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन लिंक संकलन शानदार प्रस्तुतिकरण....।

    जवाब देंहटाएं
  6. अच्छा भला पंच-मेल पुलाव का स्वाद आ रहा था, अंतिम कौर में मुंह में कंकड़ आ गया !
    इन जैसों की बात ना हीं हो तो अच्छा है, मुफ्त में प्रसिद्धि मिल जाती है जो इनका ध्येय भी होता है !

    जवाब देंहटाएं
  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर रचनायें.............

    https://www.hindipyala.com

    जवाब देंहटाएं
  9. कहाँ से खोजकर लाती हैं विभा दी आप ? आपकी प्रस्तुति मुझे बहुत पसंद है। सादर।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।