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गुरुवार, 23 मई 2019

1406....जो प्रकृति के बहुत करीब होते हैं....

सादर अभिवादन।
आज निकल रहा है 
ईवीएम से जनादेश,
लोकतंत्र के महापर्व में 
तल्लीन है भारत देश। 
-रवीन्द्र 

आइये अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-   



पर सब की ऐसी किस्मत कहाँ
 भाग्यशाली ही भोग पाते हैं
ऐसे गलीचे पर सुबह सबेरे
 घूमने  का   आनंद
कम को ही नसीब हो पाता है |
यह सुख वही पाते हैं
जो प्रकृति के बहुत करीब होते हैं
उसे सहेज कर रख पाते हैं |


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कल अतीत का  खिला
फूल था मैं,
और आज सूखा कांटा
वक़्त का!
फूल और काँटे
महज क्षणभंगुर आस्तित्व हैं
पलों के अल्पविराम की तरह।

निभानी होगी हमें भी, वफ़ा की वही रीत फिर.....दिलबाग सिंह विर्क 



बदनाम हो न जाए इश्क़ कहीं, मर मिटे थे लोग 
निभानी होगी हमें भी, वफ़ा की वही रीत फिर।

आदमियत पर मज़हबों को क़ुर्बान करके देखो 

वादियों में गूँजेगा, अमनो-चैन का संगीत फिर। 

"कल दे दूंगी.....कसम से".....सुधा देवरानी 


अगली सुबह भी यही हुआ सीमा यही कहते हुए आगे बढ़ गयी परन्तु आज उसकी सहेलियां भी उसके साथ थी उन सबको जब पूरी बात पता चली तो उन्हें सीमा की फिक्र होने लगी बोली; क्या जरूरत थी उसके मुंह लगने की, कसम क्यों ली तूने.....? अब क्या करेगी......?  कब तक ऐसे चला पायेगी उसे.....?    तू जानती तो है न इन लड़को को..... अब क्या होगा......  चल और लड़कियों को इकट्ठा करते हैं तब सब मिलकर लड़ेंगे इनसे...।



अपनापन होने का मतलब हैं भावनाओ के तल पर जीना और उसे अनुभव करना। इसमें गहरी तृप्ति और शांति मिलती हैं। जब तक परस्पर प्रेमपूर्ण भावनायें नहीं होगी ऐसा ही सब ओर दिखाई देगा। संबंधो में प्रेम भाव होने के साथ साथ अपने अधिकार और कर्तव्य का बोध हो तो अमीर  हो या गरीब कभी भी उनमे भावनात्मक दूरियां नहीं आयेगी। परन्तु आज चहुँ ओर भावनाये दम तोड़ रही हैं ,प्रेम आखिरी सांसे ले रहा हैं ,अपने अधिकार सभी को याद हैं परन्तु अपने कर्तव्यों का भान किसी में नहीं। सम्बन्ध टूट रहे है, घर बिखर रहा हैं ,बच्चे माँ -बाप के होते हुये भी अनाथ हो रहे हैं और बच्चो के होते हुए भी वृद्ध माँ -बाप वृद्धाआश्रम की शरण में जीने को मजबूर हो रहे है ,संजना और अनिल जैसे पति पत्नी की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं।

हम-क़दम का नया विषय

आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात रवींद्र भाई..
    बेहतरीन अंक..
    आभार.
    सादर.।

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन प्रस्तुति बहुत सुंदर रचनाएं

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह क्या लिखा है आदमियत पर मजहब को कुर्वान करते देखो।वादियों में गुंजेगा अमनों चैन का संगीत अन्य सभी रचनाएँ बेहतरीन हैं सभी रचनाकारों को बधाई। सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन प्रस्तुति सुन्दर पठनीय लिंक का संकलन...
    दो दिन से अतिव्यस्तता के चलते ब्लॉग पर न आ सकी....मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद रविन्द्र जी!
    सादर आभार...

    जवाब देंहटाएं
  7. सराहनीये प्रस्तुति ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद सर ,क्षमा चाहती हूँ देर से उपस्थित होने के लिए ,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं

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