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मंगलवार, 21 मई 2019

1404...जायज है, देश और देशभक्ति करना किसने कहा है मना है

सादर अभिवादन
मई का तीसरा मंगलवार
दो दिन शेष
परीक्षाफल को
जो लिखा वही मिलेगा
और जिसे मिलेगा
वही झेलेगा


चलिए चले रचनाओं की ओर...

मासूम के पर कुतरे होंगे ....

कितनी जद्दोजहद से वे गुजरे होंगे
तब कहीं गहरी झील में उतरे होंगे

उड़ान भरने से कतरा रहा है परिंदा
बेरहम ने मासूम के पर कुतरे होंगे

तलाश ......

वो रंग है, फिर भी वो कितनी उदास है! 
उसे भी, किसी की तलाश है... 
दिखना है उसे भी, निखर जाना है उसे भी! 
बिखर कर, संग ही किसी के.... 
जीना है उसे भी! 


इत्र सा महकता नाम ....

इत्र सा महकता नाम तेरा,  
सुरभित समीर कर जाता है 
कितनी है कशिश मोहब्बत में,  
मन बेखुद सा हो जाता है  

दिल में एक टीस सी जगती है  
जब नाम तुम्हारा आता है   
विरहा की अग्नि जलाती है  
और तृषित हृदय अकुलाता है 

ऐ चंदा, मैं सारी उमर वारता हूँ...

अब भी शिकायत करूँ एक तुमसे,
न झुँझलाकर मुझसे नज़र फेर लेना;
मुकद्दर कहो कौन पाये हो रब से?
मानूँ तो हीरा, न मानूँ, खिलौना।
अनुग्रह करो, या कर लो अवज्ञा,
उजले दीख पड़ते सदा ही गगन में;
क्या तारे खिले हैं तुम्हें देखकर यूँ?
या खिलते खड़े हो तुम्हीं उस चमन में?

चलते-चलते एक खास खबर

मगर 
खुद शहीद 
हो लेना 
गजब की बात है 

इतनी 
ऊँची उड़ान 
से उतरना 
फिर से 
जन्म लेना है 

कमल होना 
खिलना कीचड़ में

ब्रह्मा जी 
का आसन 
बहुत सरल है 
ऐसा कुछ सुना है 

शार्ट एन्ड सिम्पल प्रस्तुति
यहीं तक...
बहत्तरवें विषय के बारे में बता दें
विषय 
गलीचा
उदाहरण कुछ भी हो सकता है...
मसलन ...
पहली 
बार दिखा है 
मन्दिर के 
दरवाजे तक 
गलीचा 
बिछाया गया है 

कितना कुछ है 
लिखने के लिये 
हर तरफ 
हर किसी के 

अलग बात है 
अब सब कुछ 
साफ साफ 
लिखना मना है

रचनाकार
डॉ. सुशील जोशी
प्रेषण की अंतिम तिथि- 25 मई 2019
प्रकाशन तिथि- 27 मई 2019
प्रविष्ठियाँ ब्लॉग सम्पर्क प्रारूप द्वारा ही मान्य


आज्ञा दें
यशोदा


14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर अंक।
    मैं जिस क्षेत्र का हूँ।
    वहाँ का यह गलीचा मुख्य व्यवसाय रहा है।

    जवाब देंहटाएं
  2. व्वाहहहहह...
    बढ़िया प्रस्तुति..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  3. बिछे गलीचे धानी मिला ना जिसका सानी…
    वाह्ह्ह प्रस्तुति लाजवाब लिंक संयोजन।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात !
    बेहतरीन और लाजवाब प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सस्नेहाशीष संग शुभकामनाएं छोटी बहना
    शानदार प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  6. इतना ऊँचा उड़ान से उतरना
    फिर से जनम सेवा कमल होना।
    वाह वाह न कहकर भी सब बात कही।
    शानदार प्रस्तुति ।सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. हमेशा की तरह लाजवाब प्रस्तुति । आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  8. हा हा। बेचारा गलीचा।

    जमीन में बिछा नहीं इक गलीचा कि कितनी सुर्खियों में आ गया
    जन्म सफल हुआ चलता हुआ कोई उसपर ये गया और वो गया।

    आभार यशोदा जी नजरे इनायत की उलूक-ए-बकवास पर।

    जवाब देंहटाएं

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