------
"निष्ठा"
किसी भी काम के प्रति संपूर्ण मन,वचन
और कर्म से समर्पित होकर कर्तव्य का
निर्वहन करना ही निष्ठा है।
★
हमारे रचनाकारों की अद्भुत लेखनी से निसृत सृजन हमेशा अचंभित कर जाता है।
विषय कोई भी हो
अपनी एकाग्रता और रचनात्मकता से
विस्मित कर जाते है।
आप सभी को सादर प्रणाम करते हुये
चलिए
आज की रचनाओं की ओर
★
आदरणीया साधना वैद जी
मेरी निष्ठा मेरी आराधना
हे ज्योतिरादित्य,
आज मेरी निष्ठा, मेरे समर्पण,
मेरी आस्था मेरे विश्वा्स के साथ
तुम्हारी सामर्थ्य, तुम्हारा पराक्रम,
तुम्हारे अंतस की करुणा
और तुम्हारी दानवीरता
सभी कसौटी पर कसे हुए हैं
आदरणीया कुसुम कोठारी जी
एक निष्ठ सूरज
चंचल शिशु से तुम
कभी आसमां
छूने लगते
कभी सिंधु में
जा गोते लगाते
दौड़े फिरते
दिनभर
प्रतिबद्धता
और निष्ठा से
फिर थककर
काली कंबली
ओढकर सो जाते
उठकर प्रभात में
कनक के पहनते
★★★★★
आदरणीया अनुराधा चौहान जी
फानी की तबाही (पूरी निष्ठा से)
बहुत कोशिश की इंसानों ने
बचा ले तबाही
प्रकृति के कहर से
फानी आया पूरी निष्ठा से
मचाकर तबाही
अपना रौद्र रूप दिखाया
तिनके की तरह उड़ते
पेड़,घर,छत और दीवारें
हम कितने भी महल बना लें
बस यहीं हम प्रकृति के क्रौध से हारे
★★★★★
आदरणीया अनीता सैनी जी
निष्ठा से ठन गई
आँखें गड़ाए बैठे , निष्ठा से ठन गई
हौसले संग थामा हाथ, मंजिल से बात बन गई
सासों में सुलगने का उस का इरादा न था
इस क़दर मिलेगी राह में किया कभी वादा न था
लम्हा दर लम्हा निभाई वफ़ा
लगा न कभी जिग़र से हुई पराई l
★★★★★
आदरणीया अभिलाषा चौहान जी
निष्ठा वीर सपूतों की
मातृभूमि के वीर सपूत,
थी निष्ठा उसकी सेवा की।
बांध कफ़न वे निकल पड़े,
पीछे मुड़कर फिर देखा नहीं।
खायी थी कसम मरमिटने की,
मुखमंडल पर था तेज बड़ा।
भुजाओं में थी शक्ति बड़ी,
शत्रु का दिल भी धड़क उठा।
★★★★★
आदरणीया अभिलाषा चौहान जी
जननायक की निष्ठा....
धर्मनिष्ठ और कर्म निष्ठ,
निष्ठा ही जिनकी पूंजी हो।
कटंक पथ पर चलते जाते,
बाधाओं से कहां वे घबराते।
ऐसे निष्ठावान मनुष्य,
सच्चे नायक हैं कहलाते।
★★★★★
आदरणीया सुधा सिंह जी
मजदूर दिवस ...
मजदूर दिवस के नाम पर
पीठासीनों पदाधिकारियों को
होगा एक दिन का अवकाश।
पर मजदूर को इसका भी कहाँ आभास।
इस तथ्य से अनजान
अनभिज्ञ कि उसके नाम से भी
पूरी दुनिया में होती है छुट्टी।
वह डँटा रहता है पूरी निष्ठा से
अपनी जिन्दगी के मोर्चे पर
छेनी - हथौडी लिए,
पत्थर ढोता, बड़ी - बड़ी अट्टालिकाओं
के रूप संवारता
★★★★★
आपको कैसा लगा?
कृपया अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया
अवश्य प्रेषित करें।
★★★★★
हमक़दम का अगला विषय
जानने के लिए
कल यशोदा दी को पढ़ना न भूले।
#श्वेता सिन्हा
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंउत्तम परिभाषा
किसी भी काम के प्रति संपूर्ण मन,वचन
और कर्म से समर्पित होकर कर्तव्य का
निर्वहन करना ही निष्ठा है।
साधुवाद
सुंदर प्रस्तुति एवं बेहतरीन रचनाएँ। हमकदम का कारवां यूँ ही चलता रहे और रचनात्मकता को प्रोत्साहन मिलता रहे।
जवाब देंहटाएंहलचल टीम के श्रम एवं सराहनीय प्रयास हेतु साधुवाद।
वाह!!श्वेता, खूबसूरत प्रस्तुति ।सभी रचनाएँ लाजवाब!!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसटीक अर्थ लिये सुंदर भुमिका ।
जवाब देंहटाएंएक निष्ठा लिये सरस रचनाऐं।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी निष्ठा को जगह देने के लिये सस्नेह आभार।
हमकदम का हर अंक सुन्दर से सुन्दरतम की ओर कदम बढ़ाता हुआ लगता है ! सभी रचनाएं अत्यंत सुन्दर ! मेरी रचना को आज के अंक में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएं" निष्ठां " पर सबने अपनी पूरी निष्ठां से लाजबाब सृजन किया हैं ,सभी को हार्दिक बधाई ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर हमक़दम की प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंशानदार रचनाएँ ,मुझे स्थान देने के लिए सस्नेह आभार प्रिय श्वेता जी
सादर
उम्दा संकलन |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद श्वेता जी |
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा संकलन लाजवाब प्रस्तुतिकरण...
जवाब देंहटाएं