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शनिवार, 4 मई 2019

1387... जीना



सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

ऐश ही ऐश है न सब ग़म है 
ज़िंदगी इक हसीन संगम है
@अली जव्वाद ज़ैदी

आपको इसे गंभीरता से लेना चाहिये,
ऐसी और इस हद तक
कि, मिसाल के तौर पर, आपके हाथ बंधे आपकी पीठ पर,
आपकी पीठ दीवाल पर,
या फिर किसी प्रयोगशाला में
अपने सफ़ेद कोट और हिफ़ाज़ती चश्मों में

दर्द उल्फ़त का न हो तो ज़िंदगी का क्या मज़ा 
आह-ओ-ज़ारी ज़िंदगी है बे-क़रारी ज़िंदगी 
@ग़ुलाम भीक नैरंग

कल रात अन्तरिक्ष की  बात  कर  रहे थे  वे  लोग
अलस्सुबह फिर सड़क पर खुद को पाया हमने

साल-दर-साल सड़क पर रहते और ठोकर खाते हुए
मर-मर कर जीने  का  रहस्य बखूबी जाना हमने
alone-man1

धूप की सख़्ती तो थी लेकिन 'फ़राज़' 
ज़िंदगी में फिर भी था साया बहुत 
@फ़राज़ सुल्तानपूरी

इंसान को अपने सिवा कुछ ना नज़र आता है,
तू सहे तू हाहाकार विध्वंस का क्यूँ मचाता है,
रहना तैयार भुगतने को; जो इसके नतीजे है,
न्याय करती है कुदरत; उसके अपने तरीके हैं
जीवन जीने के कुछ अपने ज़रूरी सलीके हैं (कविता)

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो 
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो 
@निदा फ़ाज़ली

हो सकता है हमारे महान आलोचकों को
उस संग्रह में कोई नया वाद (या विवाद) देखने को नहीं मिला हो,
लेकिन इस अदम्य कवि की अदम्य काव्य ऊर्जा का
आदर तो किया ही जा सकता था।
कबाड़खाना

इक इक क़दम पे रक्खी है यूँ ज़िंदगी की लाज 
ग़म का भी एहतिराम किया है ख़ुशी के साथ 
@कैफ़ी बिलगिरामी

कुछ दिन पहले कुछ बच्चों को यूँ ही मार दिया था
उनके माता पिता ने भी सजाये थे सपने
बड़े होकर बनेंगे डॉक्टर वह पायलेट
टूटे फिर सारे सपने,
उड़े आसमान मे पंख फैलाये
पर देख रहे शायद वो नीचे

जीना पर कविता के लिए इमेज परिणाम

गुजर जाती है जिन्दगी सरस्वती की खोज में
उलझने बढ़ाने में व्यस्त रहते रोज-ब-रोज में
न करे वश में, सरल उपलब्धता में क्या मजा 
रूप बदला पंगत-प्रेम का अब प्रीति-भोज में
><
फिर मिलेंगे...
बारी है हम-क़दम की
उनहत्तरवाँ क़दम
विषय
निष्ठा
उदाहरण
इसी अंक से
पूरी निष्ठा ईमानदारी से
स्त्री बाँध कर रख देती
ख्वाहिशों को अपनी
भूल जाती सपने सारे
कर्त्तव्यों का पालन करने में
निष्ठा से निभाती रिश्ते
बड़ों का सम्मान
पति के लिए समर्पित
रचनाकार है अनुराधा चौहान

अंतिम तिथि- 04 मई 2019
प्रकाशन तिथि - 06 मई 2019


6 टिप्‍पणियां:

  1. जीना..
    दो अर्थ..
    जिन्दगी जीना
    अथवा..
    जीने का उपयोग कर
    ऊपर चढ़ना..
    सदा की तरह बेमिसाल
    सादर नमन..

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह बहुत भाव भरी प्रस्तुति सुंदर लिंक संयोजन ।
    सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर संकलन आदरणीया विभा दीदी।

    जवाब देंहटाएं
  4. हमेशा की तरह सराहनीय संकलन है दी।
    बेहतरीन रचनाएँ एक विषय पर अलग अलग दृष्टिकोण पढना अद्भुत है।

    जवाब देंहटाएं

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