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सोमवार, 29 अप्रैल 2019

1382 अड़सठवाँ अंक हमक़दम का ... वेदना

स्नेहिल अभिवादन...
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मन या तन की पीड़ा में अंतस से निकली कराह वेदना कहलाती है।
वेदना के विषय म़े मेरे लिखने लयक कुछ बचा नहीं है
हमारे सम्माननीय रचनाकारों के द्वारा
विषय पर अद्भुत रचनाएँ लिखी गयी है।
हर बार किसी भी विषय पर
सृजनशील क़लमकारों के द्वारा
बस क़माल ही लिख जाता है।
इस बार भी कुछ विशेष हैं  
जिसे पढ़कर आप भी अचंभित रह जायेंगे।


यशोदा दी के विशेष सहयोग के लिए
सादर आभार।
★  

चलिये अब देर न करते हुये
आपकी रचनाएँ पढ़ते हैं।

सर्वप्रथम पढ़िये
उदाहरणार्थ दी गयी रचना


भीगे एकांत में  बरबस -
पुकार लेती हूँ  तुम्हे
 सौंप अपनी वेदना -
 सब भार दे देती हूँ तुम्हे !

 जब -तब हो जाती हूँ विचलित
 कहीं  खो ना  दूँ तुम्हे
क्या रहेगा जिन्दगी में
जो हार देती हूँ तुम्हे !
★★★★★
आदरणीया रेणुबाला जी
सुन !ओ वेदना

 आज प्रतीक्षित है  कोई  -
कुछ पग संग चलने के लिए ;
 रीते मन  में   रंग अपनी -
 प्रीत  का  भरने के लिए
 लौटा  लाया  खुशियाँ  मेरी    -
 समझो ना उसे बेगाना तुम

★★★★★

आदरणीया साधना वैद जी

वेदना की राह पर 
बेचैन मैं हर पल घड़ी ,
तुम सदा थे साथ फिर 
क्यों आज मैं एकल खड़ी !

थाम कर उँगली तुम्हारी 
एक भोली आस पर ,
चल पड़ी सागर किनारे 
एक अनबुझ प्यास धर !

★★★★★★

आदरणीया  शुभा मेहता जी
वेदना
कह कर गए तो थे 
लौटूंगा ....
बरसों बीते 
व्यर्थ इंतजार 
कहाँ छुपाऊँ 
मन की वेदना ...
शायद ,इसीलिए 
यादों की चादर से 
ढाँप लेती हूँ खुद को ।
★★★★★

आदरणीया आशा सक्सेना जी
मन खिन्न हुआ

गहरे सोच में 
डूब गया
वेदना ने दिये 
ज़ख्म ऐसे 
नासूर बनते 
देर न लगी
अब कोई दवा 
काम नहीं करती 
दुआ बेअसर रहती
अश्रु भी 
सूख गये अब तो 

★★★★★

आदरणीया मीना शर्मा जी
की दो रचनाएँ
सृजन - गीत
वेदना,पीड़ा,व्यथा, को
ईश का उपहार समझो,
तुम बनो शिव,आज परहित
इस हलाहल को पचा लो !
सृजन में संलग्न होकर.....
वेदना के अभाव में
ईश्वर के दूत भटकते हैं धरती पर,
खोजते हैं अश्रुओं के मोती
जो नयनों की सीपियों में पलते
और सिर्फ इसी लोक में मिलते हैं।
★★★★★

आदरणीया अनुराधा चौहान जी
की दो रचनाएँ
मेरी वेदना अकसर आँखों को भिगोती
दर्द दिल का देख दामिनी भी तड़पती
तुझसे मिलने की चाह है अभी जी रही हूँ
तू आकर तो देख असर अपनी बेरुखी का
★★★★★

अकेलेपन की वेदना

सूखी टहनियों को लिए खड़ा
कड़ी धूप में तन्हा पेड़
अकेलेपन की वेदना सहता
ना राही ना पंछी बस राह है देखता
यादों में खोया सोचता यही है
★★★★★

 आदरणीया  कुसुम कोठारी जी
एक गुलाब की वेदना

कांटो में भी हम महफूज़ थे।
खिलखिलाते थे ,सुरभित थे ,
हवाओं से खेलते झुलते थे ,
हम मतवाले कितने खुश थे ।
★★★★

आदरणीया शशि जी
की दो कृत्तियाँ
वेदना से हो अंतिम मिलन

जलती हुई एक चिता हूँ मैं
और भस्म हमारा उसे दे दो

वेदना  से हो  ये अंतिम मिलन
अब अनंत की राह मुझे दे दो
पिछले कुछ दिनों यह विरक्त भाव मुझे कुछ इस तरह से 
मानसिक शांति प्रदान कर रहा है कि मानस पटल पर स्नेह एवं 
वेदना के वे पल चलचित्र की तरह छाये हुये हैं, फिर भी हृदय 
उसे ग्रहण नहीं कर रहा है। मन में यदि कुछ है,तो वह अपने 
आश्रम का सुखद स्मरण एवं गुरु की वाणी-
माया महा ठगनी हम जानी...
★★★★★

आदरणीया अभिलाषा चौहान जी
की दो रचनाएँ
सुप्त वेदनाएं ,
बंजर होती हृदय की जमीं !!
सूखे अश्रुनिर्झर,
सूखे मन सरोवर !
न बरसे ‌करूणाघन ..
न भीगा मन का आंगन...!
तृषित मानवता..!!


अभिलाषा चौहान
आह!वेदना मुझमें सोती….

जग की पीड़ा देख के रोती।
चुभती है अपनों की घातें,
ये दुख की जो काली रातें।
विरह-व्यथा की कटु कहानी,
कैसै कहूं मैं अनजानी।
बन के कविता हुई प्रस्फुटित,
हृदय भाव जिसमें उर्जस्वित।
आह!वेदना करती व्याकुल,
हृदय मची रहती है हलचल।
★★★★★

आदरणीया अनीता सैनी जी
वेदना जननी प्रीत की
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क्यों  पहनी   मायूसी, ख़ामोशी  में  सिमटा प्यार 
उतरी वेदना अंतर मन में  भाग्य उदय हुआ उस का हर बार 

क्यों  मिटाया  ख़ुद  को  जीवन  पर  कुण्डी  मार 
सुख पीड़ा का  बहुत  बड़ा  कवि  हृदय  का  सार 


-*-*-*-*-*-*-
अंचभित करती 
लेखनी से 
ढेरों कविताएँ लिखी है
इस विषय पर..
आदरणीय पुरुषोत्तम सिन्हा जी ने..
कुछेक चुनकर लाए हैं...
आप भी अवश्य पढ़िये..

मौन धरा की वेदना

चाक पर पिसती मौन धरा की वेदना,
पाषाण हृदय क्या समझेगा जग में।

लहरों की तेज हाहाकार, 
है वेदना का प्रकटीकरण सागर का,
मौन वेदना की भाषा का हार,
पाषाण हृदय क्या समझेगा जग में।

गर्जनों की भीषण हुंकार,
है प्रदर्शन बादलों की वेदना का,
परस्पर उलझते बादलों की वेदना,
पाषाण हृदय क्या समझेगा जग में।

सागर की वेदना

तेज लहरों की भीषण हाहाकार, 
है वेदना का प्रकटीकरण सागर का,
मौन वेदना की भाषा का हार,
कौन समझ पाया है इस जग में।

लहरें चूमती सागर तट को बार बार,
पोछ जाती इनके दामन हर बार,
करजोड़ विनती कर जैसे पाँव पकड़ती,
पश्चाताप किस भूल का करती?


वेदना
फव्वारे छूटे हैं आँसूओं के नैनों से पलपल,
है किस वृजवाला की असुँवन की यह धार,

फूट रहा है वेदना का ज्वार विरह में हरपल,
है किस विरहन की वेदना का यह चित्कार,

टूटी है माला श्रद्धा की मन हो रहा विकल,
है किस सुरबाला की टूटी फूलों का यह हार,

विदाई

विदाई की वेदना में असह्य से गुजरते हुए ये क्षण!

भर आई हैं आखें, चरमराया सा है ये मन,
भरी सी भीड़ में, तन्हा हो रहा ये बदन,
तपिश ये कैसी, ले आई है वेदना की ये अगन!

निर्झर से बह चले हैं, इन आँखों के कतरे,
बोझिल सा है मन, हम हुए खुद से परे,
मिलन के वे सैकड़ों पल, विदाई में संग रो रहे!

कोई अरुचिकर कथा

कोई अरुचिकर कथा,
अंतस्थ पल रही मन की व्यथा,
शब्दवाण तैयार सदा....
वेदना के आस्वर,
कहथा फिरता,
शब्दों में व्यथा की कथा?
पर क्युँ कोई चुभते तीर छुए,
क्युँ भाव विहीन बहे,
श्रृंगार विहीन सी ये कथा,
रोमांच विहीन, दिशाहीन कथा,
कौन सुने, क्युँ कोई  सुने?
इक व्यथित मन की अरुचिकर कथा!


उद्वेलित हृदय

मेरे हृदय के ताल को,
सदा ही भरती रही भावों की नमीं,
भावस्निग्ध करती रही,
संवेदनाओं की भीगी जमीं.....

तप्त हवाएं भी चली,
सख्त शिलाएँ आकर इसपे गिरी,
वेदनाओं से भी बिधी,
मेरे हृदय की नम सी जमीं.....

★★★★★
आशा है आज का अंक आपको
पसंद आया होगा।
कृपया अपनी प्रतिक्रिया
अवश्य लिखें।
अगला विषय जानने के लिए
कल के अंक में पढ़िये
यशोदा दी को

#श्वेता सिन्हा


20 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद श्वेता जी ,मेरी अनुभूतियों और विचारों को स्थान देने के लिये।
    यह वेदना ही तो है,जो हमें मानवीय दृष्टिकोण देती है। जनकल्याण एवं आनंद का मार्ग दिखलाती है।

    जवाब देंहटाएं
  2. व्वाहहहहह..
    अविवादित उत्तम प्रस्तुति
    साधुवाद....
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई |उम्दा संकलन |

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर संकलन। मेरी रचनाओं को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार। सादर।

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह•श्वेता ,बहुत खूबसूरत संकलन । मेरी रचना को स्थान देने हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन हमक़दम का संकलन प्रिय सखी श्वेता जी
    मुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार आप का
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति¡¡
    शानदार संकलन।
    सभी रचनाकारों की अथक भावाभिव्यक्ति सुंदर सरस विषयानुरूप हृदय स्पर्शी।
    सभी रचनाकारों को हृदय तल से बधाई।
    मेरे गुलाब की वेदना को मानव की वेदना के बीच स्थान देने के लिए तहे दिल से शुक्रिया।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  9. शानदार संकलन श्वेता जी..सभी कलमकारों की रचनाएँ बहुत बढ़िया।
    बधाई एवम् धन्यवाद

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  10. वेदना को मुखरित करती अनुपम अभिव्यक्तियाँ श्वेता जी ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  11. आज की प्रस्तुति में मेरी विविध रचनाओं को एक जगह शामिल कर आपने मुझे विस्मित कर दिया है आदरणीया श्वेता जी। मेरे शौकिया लेखन को विशिष्टता प्रदान करने हेतु हृदयतल से आभारी हूँ।
    समस्त पाठक गण के असीम स्नेह हेतु आभारी हूँ ।

    जवाब देंहटाएं
  12. प्रिय श्वेता -- देर से उपस्थित होने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | यदि कहूं आज का अंक हमकदम के अविस्मरनीय अंको में से एक है तो अतिशयोक्ति ना होगी |वेदना पर सशक्त रचनाएँ देखकर बहुत ही ख़ुशी भी और विस्मय भी | सभी रचनाकारों ने सराहनीय रचनाएँ लिख कर वेदना शब्द को सार्थक कर दिया | जब संवेदनाओं पर स्वयं का बस नहीं रहता तो वेदना का अनुभव होता है | तीव्र वेदना एक असहनीय दर्द की अनुभूति करवाती है | यूँ तो कोई भी व्यक्ति जीवन में वेदना नहीं चाहता पर ये किसी को ना मिली हो ऐसा कभी नहीं हुआ |हर आम से खास तक इसका रिश्ता अक्षुण रहा | आम आदमीं तो वेदना ये गाहे बगाहे दो चार होता रहता है पर खास लोगों की वेदना इतिहास बन गयी | नारी जीवन को तो वेदना का पर्याय ही खा गया -- जैसे अहिल्या की वेदना को कौन नहीं समझ पाता , जिसे शाप ग्रस्त हो दीर्घ काल तक मानवी से पाषाणी बन कर अपने मुक्तिदाता की प्रतीक्षा करनी पड़ी थी | पति के अप्रितम प्रेम के बाद पति द्वारा त्यागी गयी पत्नी के रूप में यशोधरा की वेदना से कौन अनजान है ? माँ सीता को भी अप्रत्यासित रूप से बनवास मिला होगा तो कितनी पीड़ा हुई होगी उन्हेखुद को वन के भयावह प्रांगण में देख कर ?इसी वेदना ने जीवन के अटल सत्यों से साक्षात्कार कराकर सिद्धार्थ को बुद्ध बनादिया | पर वेदना की एक अवधि होती है |
    इसे से गुजर कर इन्सान खुद की कमियों और गुणों को सही ढंग सेदेख सकता है | इसी से दया ,करुना ,क्षमा इत्यादि सद्गुण उपजते हैं जो मानवता के लिए वरदान बनते हैं | यही इंसान को अध्यात्म से जोड़कर प्रार्थना और अराधना के लि प्रेरित करती है | वेदना यदि सकारात्मक हो उत्तम सृजन की जननी बनती है और नकारत्मक रूप में मानसिक विकार को जन्म देती है | वेदना प्रेरित सृजन अमर हुआ | सृष्टि में वही गीत अमर हुए जिनमें दर्द पिरोया गया | महादेवी वर्मा इसका सबसे उल्लेखनीय उदाहरण है |
    अंत में अंक के सभी रचनाकारों को सप्रेम , सादर बधाई और शुभकामनायें | और तुम्हे बहुत सराहनीय अंक की सूत्रधार बनने के लिए हार्दिक बधाई |मेरी रचनाओं को भी इस अंक में शामिल किया गया उसके लिए आभारी रहूंगी | सभी पाठको और सहयोगियों को आभार जिन्होंने रचनाएँ पढ़ी |

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  13. वेदना पथ के पथिक का

    सफर का कब आसान रहा

    विरह का आनन्द ही

    जीने का सामान रहा

    आसूंओं से याराना

    आहों से अनुबंध हुए

    हंसी पे लग गये पहरे

    मुस्कानों पर प्रतिबन्ध हुए

    फिर भी इसके उर से जन्मा

    सृष्टि के मधुरतम गान रहा

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  14. कहते है न कि -"जब दर्द हद से ज्यादा बढ़ जाये तो वो ही दवा बन जाता हैं "वेदना पर एक से बढ़कर एक रचना देख सच ख़ुशी से आंसू निकल आये श्वेता जी,उन्दा प्रस्तुति ,सभी रचनाकार को बधाई ,मुझे दुःख हैं कि मैं इस हमकदम के साथ कदम नहीं मिला सकी ,क्योकि खुद वेदना के दौड़ से गुजर रही थी ,सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  15. भाँति -भाँति की वेदना।
    कुछ कह गई वेदना।
    कुछ सह गई वेदना ।
    कुछ रह गई वेदना।
    कुछ बह गई वेदना।
    बहुत सुंदर प्रस्तुति।स्वेता बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत सुंदर प्रस्तुति।बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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