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शनिवार, 26 जनवरी 2019

1289... समझदारी में बुद्धिमानी



सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
"15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस
'आजादी की कीमत' जिनलोगों ने अदा की उनका आभार मानते हैं... उनका गुणगान करते हैं... उनसे सीख लेते हैं कि अपनी आजादी को कायम रखने की कोशिश करेंगे... दूसरे कोशिश नहीं कर रहे तो हमें देखकर चेत जाएं... 

"मैं उस सदी की पैदावार हूँ जिसने बहुत कुछ दिया और बहुत कुछ छीन लिया. यानी एक थी आज़ादी और एक था विभाजन. मेरा मानना है कि लेखक सिर्फ़ अपनी लड़ाई नहीं लड़ता और न ही सिर्फ़ अपने दुःख-दर्द और ख़ुशी का लेखा जोखा पेश करता है.
लेखक को उगना होता है भिड़ना होता है हर मौसम और हर दौर से. नज़दीक और दूर होते रिश्तों के साथ, रिश्तों के गुणा और भाग के साथ. इतिहास के फ़ैसलों और फ़ासलों के साथ.

मेरे आसपास की आबोहवा ने मेरे रचना संसार और उसकी भाषा को तय किया. जो मैने देखा जो मैने जिया वही मैंने लिखा."----- कृष्णा सोबती
अपूरणीय क्षति...।।

 लेखिका कृष्णा सोबती जी को विनम्र श्रद्धांजलि....
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आपको भारतीय ज्ञानपीठ, साहित्‍य अकादमी सम्मान, साहित्य शिरोमणि सम्मान, शलाका सम्मान, मैथिली शरण गुप्त पुरस्कार, साहित्य कला परिषद पुरस्कार, कथा चूड़ामणि पुरस्कारों से नवाजा गया  ।


शत शत नमन

26 जनवरी गणतंत्र दिवस
संविधान बना
हम मनुष्य की तरह जीने लगे
'अभिव्यक्ति की आजादी' हमें तभी मिली
अब अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब यह नहीं कि हम दूसरे को गाली देने के अधिकारी हो गए...
": दी 🙏मेरी यह रचना भी तो एक कटाक्ष है, क्या मुझे कोई और रचना की तैयारी करनी होगी ?"
": मैं जो प्रवचन कर रही हूँ क्या आप उसे समझ पा रही हैं ?"
": जी समझने की कोशिश कर रही हूँ"
": आपके घर में आपके किसी अपने का जन्मदिन हो तो क्या उसकी बुराइयाँ उस दिन गिनवाएँगी तो कैसा लगेगा ?"
" बिल्कुल गलत होगा..।"
" अब आप समझ पाएंगी मेरी बात! हम स्वाधीनता मिलने के जन्मदिन और संविधान बनने के जन्मदिन पर क्या करें...? हम तो पूरे समाज के सामने अपने देश की बुराइयाँ करने जा रहे हैं..., क्यों नहीं समझ पाते, हर बात कहने का अलग समय और अलग स्थान होता है
फेसबुक पर 'मौत की खबर' पर 'बहुत सुंदर' की टिप्पणी जैसे...!"
" जी बिल्कुल दी, बात समझ गयी मैं..।"


समझदारी में बुद्धिमानी

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इश्क़ के बाद तो मौत आती है। समझदारी नहीं।

'जब सब कुछ ही ख़त्म जो जाएगा। मैं आग लगा दूँगी, तुम्हारी ब्लैक शर्ट के साथ अपनी अट्ठारह सफ़ेद शर्ट्स को, तुम बताना...जो तुमने कहा था'। 'तुम मेरे बेस्ट फ़्रेंड बनना चाहते हो।' मैंने कहा था उस दिन भी, बहुत मुश्किल है मेरा बेस्ट फ़्रेंड बनना। मेरे आशिक़ों के बयान सुनने पड़ेंगे, मेरे लव लेटर एडिट करने पड़ेंगे।

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समझदारी में बुद्धिमानी

दावत का इंतज़ाम करने के लिए राजा ने सभी जानवरों को एक-एक काम सोंप दिया|
जश्न की तैयारियां बड़े ही जोरों शोरों से चल रही थी|
इसी बीच हाथियों के सरदार गजराज और उनके साथियों को दावत के लिए सभी जरुरी सामान का इंतजाम करने की ज़िम्मेदारी दी गई|  गजराज ने यह जिमेदारी उठाने के लिए एक दल बनाया| इस दल में हाथियों के अलावा जिराफ, जेबरा  और दुसरे बलशाली जानवरों को भी रखा गया|



समझदारी में बुद्धिमानी

 किसके साथ मैं खेलूं कूदूं
उछलूं कूदूं धूम मचाऊं
किससे खाऊं किसे खिलाऊं
नन्दू सोचा करता था।

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समझदारी में बुद्धिमानी

शेर ने ग्लास साइड पर रखा और चूहे को 5-6
थप्पड़ मारे।
हाथी बोला: अरे क्यों मार रहे हो इस बेचारे को?
शेर बोला, "ये साला रोज़ भांग पीके ऐसे ही😇😝
सबको पूरी रात जंगल घुमाता है।
><
फिर मिलेंगे...
लोकसभा चुनाव के सिरहाने खड़े गणतंत्र दिवस के अवसर पर हार्दिक बधाई। इस बार निजी स्वार्थ से परे देश का नेतृत्व चुनें।
अब बारी है पचपनवें अंक की
विषयः

अवसाद
उदाहरण
अब अंतर में अवसाद नहीं 
चापल्य नहीं उन्माद नहीं 
सूना-सूना सा जीवन है 
कुछ शोक नहीं आल्हाद नहीं 

तव स्वागत हित हिलता रहता 
अंतरवीणा का तार प्रिये ..

रचनाकारः दुष्यन्त कुमार

अंतिम तिथिः शनिवार 26 जनवरी 2019
प्रकाशन तिथिः सोमवार 28 जनवरी 2019

11 टिप्‍पणियां:

  1. गणतंत्र दिवस की सभी को शुभकामनाएँ,इस उम्मीद के साथ आगे बढ़ने का संकल्प लेते हूँ कि वर्ष भर कोई एक ऐसा कार्य करूँ जो समाज और राष्ट्र हित में हो,ताकि उसका वर्षगांठ मनाने की पात्रता रख सकूं और तिरंगे की डोर जब हाथ में हो, तो कथनी और करनी का द्वंद मन में न हो।
    जैसा की आमतौर पर हो रहा है, बापू और शास्त्री जी की तरह खुली किताब हम हो।
    सभी को सुबह का प्रणाम।

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  2. शुभ प्रभात दीदी...
    सादर नमन...
    भारतीय गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ...
    सदा की तरह सदाबहार प्रस्तुति...
    अश्रुपूरित श्रद्धांजली कृष्णा सोबती को....
    सादर..

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  3. सुप्रभातम् दी:)
    कृष्णा सोबती जैसी शख्सियत गुज़रकर भी गुजरती नहीं..विनम्र श्रद्धासुमन।🙏
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    गणतंत्र दिवस पर सारगर्भित संदेश देती बेहद शानदार भूमिका है। जीवन के यथार्थ से आप सदैव परिचित करवाती रहती है ऐसे सार्थक उदाहरण के द्वारा।
    हमेशा की भाँति बेहद उम्दा संकलन है।

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  4. सुंदर प्रस्तुति, बिल्कुल गणतांत्रिक गणवेश में। सोबती जी को शत शत नमन।

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  5. गणतंत्र दिवस पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
    संकल्प उठायें की गणतंत्र को सार्थकता दे सकें।
    कृष्णा सोबती जी सदा अपनी रचनात्मकता से हमारे बीच रहेंगी सादर श्रृद्धानजली 🙏।
    शानदार प्रस्तुति।
    सभी रचनाकारों को बधाई

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  6. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  7. गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं। सुन्दर प्रस्तुति।

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  8. गणतंत्र दिवस के अवसर पर सभी साहित्यकारों को हार्दिक बधाई और महान लेखिका कृष्णा सोबती जी को नमन।

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  9. महान लेखिका कृष्णा सोबती जी को सादर श्रद्धांजलि.....।
    आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।
    लाजवाब प्रस्तुति ।

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  10. बेहतरीन लिंक्स एवम प्रस्तुति

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  11. सादर नमन व विनम्र श्रद्धांजलि।

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