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रविवार, 20 जनवरी 2019

1283...अज्ञानता और परमानन्द

सादर अभिवादन,
आपका दिन शुभ हो....

भाई गोपेश जी सुना रहे हैं कथा..
ठण्डी की धूप से
अटे सने से दिन,
ठिठुरते परिंदों से दिन,
कनटोपे और
मफलर से दिन,
अम्माँ की गोद में शॉल में
घुसड़े पुसड़े से दिन,
तिल अलसी के लड्डू से दिन,

मीना भारद्वाज जी
मेरी फ़ोटो
सुकून की तलाश में फिरता है आदमी ।
दिल के चैन के लिए ये है भी लाजमी ।।
मरु लहरियों में फंस खुद को छलता ।
प्यासे हिरण सा भटकता है आज भी ।

भाई पुरुषोत्तम जी की रचना....
जीर्ण-शीर्ण सा काया,
फिर से है इठलाया,
पूर्णता, सरसता, रोचकता,
यौवन रस भर लाया,
रसयुक्त हुए पोर पोर,
खिली डार-डार कलियाँ,
नव-श्रृजन का श्रृंगार , शिशिर ले आया !

आशा मौसी अपना अनुभव साझा कर रही हैं
छिप छिपकर परदे की ओट से झांकना
कमरे में बेचैन हो चक्कर काटना
सुध बुध खो दरवाजे पर नजरें टिकाना
यह प्यार नहीं तो और क्या है?
मिलने पर नजरें चुराना शर्माना
और अधिक शोख हो जाना
यह प्यार नहीं तो और क्या है?

रवीन्द्र जी प्रस्तुत कर रहे हैं
गजान माधव मुक्तिबोध की रचना..
कदम-कदम पर...
मुझे भ्रम होता है कि प्रत्येक पत्थर में
चमकता हीरा है,
हर एक छाती में आत्मा अधीरा है
प्रत्येक सस्मित में विमल सदानीरा है,
मुझे भ्रम होता है कि प्रत्येक वाणी में
महाकाव्य पीड़ा है,

उलूक के दरबार से
एक पुरानी कतरन
"ये विद्वांसा न कवय:"
का अर्थ 
जब गूगल
में नहीं 
ढूंढ पाया

कहने वाले 
विद्वान का 
द्वार तब 
जा कर 
खटखटाया

विद्वान
और कवि 
दोनो का
भिन्न भिन्न 
प्रतिभायें 

होना पाया

इस रचना के बाद
फिर मिलेंगे




13 टिप्‍पणियां:

  1. बात फख़त इतनी सी है कि हम भी हैं तुम्हारे ।
    करते हैं मनुहार..., रूको ! मान भी जाओ
    सच में मीना दी,इसी की तलाश तो करता है आदमी,जिसे कोई मित मिला और यह मनुहार ,वह कुछ पल रुक गया ,अन्यथा तो पथिक की तरह भटकता है आदमी।
    बहुत सुंदर रचना और प्रस्तुत।
    सभी को सुबह का प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ-प्रभात
    सादर वंदन सभी रचनाकारों का
    बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. सस्नेहाशीष व शुभकामनाओं के संग शुभ दिवस छोटी बहना
    सुंदर संकलन

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ प्रभात आदरणीय
    बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
    बेतरीन रचनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात ! बहुत खूबसूरत संकलन । मेरी रचना को संकलन सम्मिलित कर मान देने के लिए हृदयतल से सादर आभार यशोदा जी !

    जवाब देंहटाएं
  6. सुप्रभात |मेरी रचना शामिल करने के लिये धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर रविवारीय अंक। आभार यशोदा जी 'उलूक' की पुरानी कतरन को जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन, सुन्दर रचनाओं से सजी हलचल की प्रस्तुति हमेशा प्रेरणास्रोत होती है।

    जवाब देंहटाएं
  10. आदरणीय यशोदा दीदी -- बहुत प्रेरक और बचपंन की महक लिए मीठा मधुर संकलन | सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनायें | आपको भी बधाई इस संयोजन के लिए | साभार |

    जवाब देंहटाएं

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