कौन कहता है पत्थर बेजुबां होते है
मैंने देखा है उन्हें दर्द से तड़पते हुये।
★
शान से नभ चूमते बादलों के संग अठखेलियाँ करते पहाड़ प्रकृति का अनुपम वरदान है जो पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पर हम मानव कितने स्वार्थी है न लालच के वशीभूत होकर अपने विनाश को आमंत्रित कर रहे हैं।
राजस्थान के अरावली क्षेत्र की 13 पहाडियाँ गायब
हो गयी, 115,34 हेक्टेयर पहाड़ का सीना विदीर्ण
कर दिया गया। ऐसा ही चलता रहा तो अब डर सता रहा कि विश्वप्रसिद्ध अरावली की पहाड़ियाँ आने
वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास बनकर
पुस्तकों में रह जायेंगी।
ऐसा मात्र राजस्थान में ही नहीं हुआ है ऐसी
कहानियाँ तकरीब़न देश के हर पहाड़ और पठार आच्छादित राज्य में सुनने
को मिल जायेंगी।
आखिर क्यों विवेकशील मानव नहीं समझ
पाता कि प्रकृति की समृद्धि ही उसके स्वास्थ्य
और सुख की कुंजी है।
★
चलिए आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
★★★
आदरणीय विश्वमोहन जी
मुंह को सी लो, कुछ न बोलो
चाहे ‘ मा ओ ‘, चाहे ‘ भाई ‘
‘ फेक - नेक ‘ मौसेरे भाई।
ये
बाग़
सागर
फल फूल
कारोबार में
आलय प्रत्यय
पुल्लिंग अधिकारी।
★★★★★★
हर प्रश्न का उत्तर यदि हाँ या न में होता
आदरणीया डॉ.वर्षा सिंह
सच तो यह है कि एक ख़ामोशी
कह रही आज शोर की गाथा
धुपधुपाती है बत्ती सी
सांस का देह से यही नाता
★★★★★★
आदरणीया नीलम जी
वृक्षों का जमघट कहाँ लग पता है।
पीड़ा कैसी भी हो,
आँखों के रास्ते बाहर फैल ही जाती है।
दर्द का मंजर समेटे,
काले बादलों में मिल,
बाढ़ ले ही आती है।
ले ही आती है!!!
★★★★★★★
चलते-चलते पढ़िये उलूक के पन्नों.से डॉ.सुशील सर की अभिव्यक्ति
जल्दी मची
दिखने लगी
अपनी छोड़
दूसरे की पकड़
नैया पार हो जाने की
★★★★★
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★
मुझे आज्ञा दें।
कल आ रही है आदरणीया विभा दी अपनी विशेष प्रस्तुति के साथ।
--श्वेता सिन्हा
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति....
सभी रचनाएँ उम्दा..
सादर...
सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर शुक्रवारीय हलचल। आभार श्वेता जी 'उलूक' के टर्राने को भी जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण बिषय पर विचारणीय अग्रलेख के साथ चुनिन्दा रचनाओं का चयन. आदरणीया श्वेता जी को बधाई.
जवाब देंहटाएंइस अंक में चयनित सभी रचनाकारों को बधाई एवम् शुभकामनाएं.
वाह!!!श्वेता ,बहुत ही खूबसूरत संकलन..। सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक अभिनंदन ।
जवाब देंहटाएंवाह! सुन्दर! पहाड़ से बुत बने ये लोग पता नहीं कब अपनी पहाड़ियों की सुध लेंगे! बेहतरीन भूमिका!!!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार 🙏
जवाब देंहटाएंश्वेता जी, आपने मेरी ग़ज़ल को अपने समवेत ब्लॉग में शामिल कर मेरा उत्साहवर्धन किया है, पुनः हार्दिक आभार 🙏
आपके द्वारा चयनित सभी रचनाएं पठनीय और रोचक हैं। बेहतरीन रचना चयन हेतु बधाई 💐
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बेहतरीन रचनाएं सभी चयनित रचनाकारों को बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन था।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअच्छा लिंक संयोजन
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