---

रविवार, 30 सितंबर 2018

1171.....बातें ज़ियादा वक्त ख़राब कर देता है

हैप्पी सण्डे...
खुशनुमा रविवार...
नया कुछ नहीं
पितृ-पक्ष चालू आहे....

बातें ज़ियादा वक्त ख़राब कर देता है....
चलिए चलें....



आने दो, माँ को, मेरी!....विश्वमोहन
चलो हटो!
आने दो
माँ को मेरी.
करने पवित्र
देवत्व मेरा.
छाया में
ममता से भींगी
मातृ-योनि की अपनी!



यक़ीनन हम इंतज़ार में हैं.....अभिलाषा अभि
कभी तो थोड़ा हंस दिया करो
जब हम खुश होते हैं,
कभी तो दिल बहला दिया करो
जब ये आंसू रोते हैं,
उस छोटी सी तिपाई पर
याद है न,
नुक्कड़ वाली दुकान में
जब वो 'चाय' ठुकराई थी हमने
और वो खूबसूरत सा इतवार
जब 'कॉफ़ी' का ऑफर था तुम्हारा





मतलबी....आशा सक्सेना
घर में सेवा कभी न की
अब ढोते हो दूसरों को
कंधे पर कावड़ टांग कर
यह कहाँ का है न्याय|

घर से ही आरम्भ करो
परमार्थ की प्रक्रिया 
तभी सफल हो पाएगी
जीवन की अभिलाषा |



मेरी बेबसी तेरा अहंकार....राजीव
कुछ बोल पड़ूँ,
तो कहते हैं ग़द्दार है
जब चुप रहूँ,
तो ज़ाहिर है लाचार है

बेज़ुबान तो हूँ नहीं,
लिए फिरता जज़्बात कई,
कुछ बोलने का हक़ कहाँ,
हर हर्फ़ मेरा बेज़ार है


image not displayed

जीना नहीं है आसान...मालती मिश्रा 'मयंती'
जीना नहीं है आसान खुद को भुला करके
नया शख्स बनाना है खुद को मिटा करके

मिटाकर दिलो दीवार से यादों के मधुर पल
इबारत है नई लिखनी पुरानी को मिटा करके

माना कि जी रहे हम दुनिया की नजर में
चाँद भी मुस्काया मेरी हस्ती को मिटा करके



वृद्ध होती माँ........सुधा देवराणी
हौसला रखकर जिन्होंने हर मुसीबत पार कर ली ,
अपने ही दम पर हमेशा, हम सब की नैया पार कर दी ।
अब तो छोटी मुश्किलों से वे बहुत घबरा रही हैं,
वृद्ध होती माँ अब मन से बचपने में जा रही हैं ।



नारी तू अपराजिता....पंकज प्रियम
भला किसने कभी तुमसे
यहां कोई जंग है जीता
सदा ही हार मिली सबको
नारी तुम सदा हो अपराजिता

आज बस
आज्ञा दें
दिग्विजय




15 टिप्‍पणियां:

  1. आओ न!
    फिर एक बार
    फिर एक शाम
    'चाय' के नाम,
    हम भी जी लें थोड़ा
    भले ही किश्तों में।

    सुन्दर रचनाएँ, खूबसूरत प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण संकलन सभी चयनित रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभ प्रभात
    बेहतरीन चयन
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. बातें ही सम्बल जो दूर बहुत दूर जिंदगी से होते हैं

    सुंदर संकलन

    जवाब देंहटाएं
  5. शुभ प्रभात
    बहुत ही सुन्दर हलचल प्रस्तुति
    चयनित सभी रचनाकारो को हार्दिक बधाई
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. बढ़िया रविवारीय प्रस्तुति दिग्विजय जी।

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन रचनाओं का संगम सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर संकलन। मेरी अपराजिता को सजाने हेतु आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर संकलन। मेरी अपराजिता को सजाने हेतु आभार

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुंदर रचनाओं से सजाया है आज का अंक आपने आदरणीय सर।
    सभी रचनाएँ बहुत ही उम्दा है...👌
    सादर आभार इतने सुंदर संकलन के लिए सर।

    जवाब देंहटाएं
  11. सुंदर रचनाओं से सजा अंक, वाकई ! आभार!

    जवाब देंहटाएं
  12. शानदार लिंकों से सजा बेहतरीन अंक।
    सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।