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शनिवार, 22 सितंबर 2018

1163... हिन्दी दिवस पखवाड़ा... नींद


सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

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उछले कूदे
कोलाहल मचाये
सोने जा रहे
सब रखे ताक पे
बेसुध वाली नींद

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गिले शिकवे
स्पर्द्धा सत्यापनीय
उजड़े नींद
भोर में भिड़ने को
शिद्दत से जीने को

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एक मौन हैं
सपनों का पुकार
निष्प्रयोजन
संग्राम प्‍यारी नींद
नसीब कारस्तानी

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स्नातक स्तर
नहीं भी आती नींद
 नेस्तनाबूद
स्वर्ग से बेआबरू
सन्निपात सिमटी

बिखरी नींद
 ज्वर-जूड़ी चढ़ता
मित्र रहे तो
नीम-तुलसी पौधे
बाधा दूर भगाते

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फिर मिलेंगे...

हम-क़दम 
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम का सैंतीसवाँ क़दम 
इस सप्ताह का विषय है
'तृष्णा'
...उदाहरण...
निर्णय-अनिर्णय के दोराहे पर डोलता जीवन,
क्या कुछ पा लूँ, किसी और के बदले में,
क्यूँ खो दूँ कुछ भी, उन अनिश्चितता के बदले में,
भ्रम की इस किश्ती में बस डोलता है जीवन।
-पुरुषोत्तम सिन्हा
उपरोक्त विषय पर आप को एक रचना रचनी है
एक खास बात और आप इस शब्द पर फिल्मी गीत भी दे सकते हैं

अंतिम तिथिः शनिवार 22 सितम्बर 2018
प्रकाशन तिथि 24 सितम्बर 2018  को प्रकाशित की जाएगी ।

रचनाएँ  पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के

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12 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    सादर नमन
    बढ़िया प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर संकलन सभी चयनित रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन प्रस्तुति करण उम्दा लिंक संकलन...

    जवाब देंहटाएं
  4. पांव जब तलक उठें कि ज़िंदगी फिसल गई
    सुंदर रचनाओं का संकलन

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुन्दर संकलन बढ़िया प्रस्तुति 👌

    जवाब देंहटाएं
  6. सुप्रभातम् दी,
    हमेशा की तयह लाज़वाब प्रस्तुति।
    बहुत बढ़िया है सभी रचनाएँ एक संग्रहणीय अंक है दी।

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति शानदार संकलन ।
    नीरज जी की बेमिसाल कविता...
    पात पात झर गया कि शाख शाख जर गई
    चाह तो निकलन स्की पर उम्र निकल गई।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही सुन्दर संकलन 🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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