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सोमवार, 27 अगस्त 2018

1137...हम-क़दम का तैंतीसवा क़दम..आँखें

सादर नमस्कार
सर्वशक्तिमान ने सुंदर संसार का निर्माण किया और सृजन के चमकात्कारिक स्वरुप को प्रत्येक जीव देख पाये, इसके लिए जीव 
देह को सबसे अनमोल कृति आँख का उपहार दिया।
कहते है आँखें मन का दर्पण होती हैं।
नेत्र,दृष्टि,नयन,लोचन जैसे नामों से सुशोभित आँखों का काम बाहरी वस्तुओं का अवलोकन कर मस्तिष्क तक संदेश पहुँचाना है। शरीर 
का सबसे संवेदनशील और कोमल अंग आँख होता है।
बिना आँख के जीवन अंधकारमय है।

साहित्य में लगभग हर विधा, सभी भाषा और लिखने वाले हर 
रचनाकारों के द्वारा आँख पर अनगिनत शब्द-शिल्प गढ़े गये हैं।
हमक़दम के हमारे विषय "आँखें" पर हमारे रचनाकारों की क़लम से बेहद सारगर्भित और सुंदर रचनाओं का प्रस्फुटन हुआ है।

तो चलिए आपके द्वारा सृजित रचनाओं के संसार में 
★◆◆◆★★◆◆◆★
सर्वप्रथम पढ़िए आदरणीय कुलदीप जी की रचना
उसकी आँखों से देख रहा हूँ

मेरी बुझी हुई
आंखे देखी
छोड़ दिया मंझधार में मुझे.....
एक की आंखों ने
बुझी हुई आंखों में भी 
अपने लिये प्यार देखा,
.... कहा, मेरी आंखे हैं तुम्हारे लिये.....


★★★★★
आदरणीय लोकेश नदीश जी 


ख़्वाब जिसके तमाम उम्र संजोई आँखें
उसकी यादों ने आंसुओं से भिगोई आँखें

तेरे ख़्वाबों की हर एक वादाखिलाफ़ी की कसम
मुद्दतें हो गई हैं फिर भी न सोई आँखें

ज़िक्र छेड़ो न अभी यार तुम ज़माने का
हुश्न के ख़्वाबों-ख़्यालों में है खोई आँखें

★★★★★

आदरणीया उर्मिला सिंह जी

कई पोशीदा राज छुपाती हैं आँखे..
कई सवालों का जबाब देती हैं आंखे!
अनगिनत ख्वाब तैरते इन आँखों में..
मय के छलकते प्याले होती है आंखे !!

★★★★★

आदरणीया डॉ. इन्दिरा गुप्ता जी
एक गजब की बात सुनो 
इस जग  की रीत बताये 
आँख के अंधे नाम नयन सुख 
क्या क्या गुण गिनवाये !

पल में तोला पल में माशा 
दादुर सी कूद लगाये 
बैठ हिंडोला दूर देश की 
सैर खूब करि आये !

★★★★★

आदरणीया शकुंतला राज जी

कोई पूछे उनसे जिनके होती नहीं हैं
आँखे...........
जन्म लिया बिटिया का मैंने
सबने देखा मुझे.....
तो कहा चाँद का टुकड़ा हैं
इसकी आंखे तो समुद्र जैसी गहरी हैं
मृगनयनी, कजरारी आंखे
चंचलता से भरी हुई आंखे

★★★★★

आदरणीया ऋतु आसूजा जी

“ आँखें ही तो हैं , जो सुन्दरता को
       पढ़ती हैं , सुन्दर - सुन्दर विचारों को
       गढ़ती हैं “
        “कवि, लेखकों की आँखें
       प्रकृति की सुन्दरता को निहारती हैं
       मन मंदिर में पनपते सुन्दर विचारों को
       सुन्दर ,प्रेरक कहानियों
       कविताओं के रूप में रचती हैं “

★★★★★

आदरणीया नीतू ठाकुर जी

आँखों में अश्क़ भरकर रूखसत वो हो गए
उम्मीद हसरतों को तेरे  बाद भी रही

हमको पराया कर गए शब्दों के तीर से
हर बात तेरी याद तेरे बाद भी रही

आँखों में नमी दिल में बसती उदासियाँ
सौगात तेरी साथ तेरे बाद भी रही

★★★★★

आदरणीया कुसुम कोठारी जी

आंखें बेजुबान कितना बोलती है
कभी रस कभी जहर घोलती है
बिन तराजु ये तो मन तोलती है
कभी छुपाती कभी राज खोलती है। 

इन आंखों के कितने अफसाने हैं
इन आंखों के कितने दीवानें है
इन आंखों में कितने बहाने हैं
इन आंखों के चर्चे सदियों पुराने हैं। 

★★★★★

आदरणीया आशा सक्सेना जी

झील सी गहरी नीली आँखें
खोज रहीं खुद को ही
नीलाम्बर में धरा पर
रात में आकाश गंगा में |
उन पर नजर नहीं टिकती
कोई उपमा नहीं मिलती
पर झुकी हुई निगाहें 
कई सवाल करतीं |

★★★★★

आदरणीया साधना वैद जी

मुझे छेड़तीं, मुझे लुभातीं,
सखियों संग उपहास उड़ातीं,
नटखट, भोली, कमसिन आँखें !

हर पल मेरा पीछा करतीं,
नैनों में ही बाँधे रहतीं,
चंचल, चपल, विहँसती आँखें ! 

★★★★★
आदरणीय पंकज प्रियम् जी

कारी कजरारी तेरी आँखों में
मादकता भारी तेरी आँखों में
डूबता उतराता हूँ अंदर बाहर
अजब खुमारी तेरी आँखों में।

★★★★★

आदरणीया अभिलाषा चौहान जी

जवानी की आंखें
चंचल अल्हड़ रूमानियत से
भरी ये आंखें
मानो कोई झील हिलोरें लेती
डुबाने को तत्पर
जमाने को
बदल जाती है पल में इनकी
तासीर
लहराता जोश का समंदर

★★★★★

आदरणीया अभिलाषा चौहान जी

वो आंखें सूनी सपाट  खुली हुई
दुनिया का अथाह दर्द समेटे
कुछ भोगा हुआ
कुछ अपनों का दिया
भावना विहीन पथराई सी
देख जिन्हें रूह कांप उठी
समझ कर भी नहीं समझ पाए

★★★★★

आदरणीया अनुराधा चौहान जी

रेत के घरोंदों से
बिखर जाते हैं
सपने मेरे
जब तुम
पास होकर भी
पास नहीं होते हो
कभी आंखों ही आंखों में
समझ लेते थे

★★★★★

आदरणीय पुरुषोत्तम जी जी

खामोशियों में कहकहे लगाती है तेरी ये दो आँखें!
कभी चुपचाप युँ ही मचाती है शोर ये,
जलजला सा लेकर ये आती कभी हृदय में,
कभी मुक्त धार लिए बहती है चुपचाप ये दो आँखें....
★★★★★
और.चलते-चलते पढ़िये मेरी लिखी एक रचना
आँखों में
मुस्कुराता हुआ ख़्वाब है आँखों में
महकता हुआ गुलाब है आँखों में

बूँद-बूँद उतर रहा है मन आँगन
एक कतरा माहताब  है आँखों में

उनकी बातें,उनका ही ख़्याल बस
रोमानियत भरी किताब है आँखों में

★★★★★

एक सुंदर गीत सुनिये

आपके द्वारा सृजित यह अंक आपको कैसा लगा कृपया 
अपनी बहूमूल्य प्रतिक्रिया के द्वारा अवगत करवाये
 आपके बहुमूल्य सहयोग से हमक़दम का यह सफ़र जारी है
आप सभी का हार्दिक आभार।



अगला विषय जानने के लिए कल का अंक पढ़ना न भूले।

अगले सोमवार को फिर उपस्थित रहूँगी आपकी रचनाओं के साथ







18 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात सखी
    हमें आपका श्रमबिन्दु दिखाई पड़ रहा है
    भाल पर आपके चमक रहा मोती सा
    रचनाकारो मे भी काफी से अधिक मेहनत की है
    साधुवाद
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात।
      वाह वाह।बहुत ही सुंदर संकलन हैं।आंखों पर बहुत ही रचनात्मक और भावविभोर करने वाला संकलन पढ़कर मज़ा आ गया।अपने भी काफी मेहनत की हैं इन लिंक्स को एकत्र करने में।धन्यवाद।

      हटाएं
  3. सुप्रभात.
    "आँखों" पर रचनात्मकता का मनोहारी वर्णक्रम सज गया है. आँखों पर बहुत सारा साहित्य सृजित हो चुका है फिर भी यह बिषय अधूरा है यही ख़ासियत है आँखों की....
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
    आदरणीया श्वेता जी को सुन्दर प्रस्तुतिकरण एवं सटीक प्रस्तावना हेतु बधाई.

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  4. बहुत सुन्दर लिंक संयोजन ।

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  5. बहुत ही सुंदर संकलन मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभार🌷

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  6. बहुत उम्दा रचनाएं
    बेहतरीन संकलन
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. उम्दा संकलन और उत्कृष्ट विषय सभी लेखकों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन संकलन के साथ उम्दा प्रस्तुति.. सभी रचनाकारों को बधाई।
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह वाह ! बहुत ही बेहतरीन रचनाएं ! अपनी रचना का सूत्र यहाँ देख कर अत्यंत हर्षित हूँ ! हृदय से आपका धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! बहुत सुन्दर सभी रचनाएं ! सभी रचनाकारों का हार्दिक अभिनन्दन एवं सभी को अनंत अशेष शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, बेहतरीन और भावपूर्ण रचनाएं, मेरी रचनाओं को चयनित करने के लिए
    आभार श्वेता जी सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  11. आंखों पर दुनिया रहते हर शायर कवि रचनाकार लिखते रहेंगे,
    और कभी भी आंखों पर लिखा अफसाना पुरा नही होगा,
    किसी शायर ने सही लिखा है...

    "आँखों से बड़ी कोई तराजू नहीं होती
    तुलता है बशर जिसमे, वह मीजान है आँखे"

    व्याख्यात्मक विशिष्टता लिये मनोहारी भुमिका,
    शानदार रचनाओं का नयनाभिराम गुलदस्ता लिये बेहतरीन प्रस्तुति।
    मेरी रचना को लाने हेतू सस्नेह आभार।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  12. वाह अद्भुद आँखें ही आँखें। सुन्दर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  14. बेहतरीन प्रस्तुति। सबको बधाई। मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  15. आंखों पर बेहतरीन रचनाओं की सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं

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