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शनिवार, 4 अगस्त 2018

1114... छलावा



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सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

दुनिया को समझ ना पाने पर,
जब जब खुद को समझाती हूँ।
और खुद को समझ ना पाने पर,
खुद प्रश्न चिह्न बन जाती हूँ।
जब मन आहत हो जाता है,
बुद्धि पत्थर हो जाती है,

चित्र में ये शामिल हो सकता है: 3 लोग, मुस्कुराते लोग, लोग खड़े हैं


बिन ज़मीर जीते , जीत पर इतराते
भूलो ना ऊंट पहाड़ के नीचे ही आते

मैं सोचता हूं तो यह सोचता हूं 
हर पल देखते है नए कलेवर,
अपनो के बदलते यह तीखे से तेवर,
धन की लड़ाई  और लालच का मंजर,
जो खुद के दिलो को बनाता है बंजर,

यह पैसे की चाहत है या झूठा दिखावा,
अपनों को ठगना यह कैसा छलावा

रात भुलावा,सुबह छलावा
चिल्ला चिल्ला कर वह
करते हैं एक साथ होने का दावा
यह केवल है छलावा
मन में हैं ढेर सारे सवाल
जिनका जवाब ढूंढने से वह कतराते
आपस में ही एक दूसरे के लिये तमाम शक
जो न हो सामने
उसी पर ही शुबहा जताते

क्या तू छलावा है?

आँखे बंद करूँ तो सामने आ जाएँ
खुली आँखों में दूर खड़ी मुस्कुराएँ
तेरी कल्पनाओं में जिंदगी का
मजा कुछ ओर ही आता है

अनुभवी पिता की सीख

एक चुप्पी
हजार बलाओं को टालती है
चुप रहना सीख
सच बोलने का ठेका
तूने ही नहीं ले रखा है

दुनिया के फटे में टांग अडाने की
क्या पडी है तुझे
मीन मेख मत निकाल
जैसे और निकाल रहे हैं
तू भी अपना काम निकाल

वाह रे पैसा , तेरे कितने नाम

अपहर्ताओ के लिएं ( फिरौती ) ..,
होटल में सेवा के लिए ( टिप ) ..,.
बैंक से उधार लो तो ( ऋण ) ..,
श्रमिकों के लिए ( वेतन ) ..,
मातहत कर्मियों के लिए ( मजदूरी ) ..,
अवैध रूप से प्राप्त सेवा ( रिश्वत ) ..,
और मुझे दोगे तो (गिफ्ट)
ब्लॉग पर आ ही गये हो 
फिर मिलेंगे...
अब बारी है साप्ताहिक विषय की
हम-क़दम 
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम का तीसवाँ क़दम 
इस सप्ताह का विषय है
'ख्वाब'
...उदाहरण...
रात कली एक ख्वाब में आई और गले का हार हुई
सुबह को जब हम नींद से जागे आंख उन्हीं से चार हुई

चाहे कहो इसे मेरी मोहब्बत, चाहे हंसी में उड़ा दो
ये क्या हुआ मुझे, मुझको खबर नहीं, हो सके तुम्हीं बता दो
तुमने कदम तो रखा ज़मीन पर, सीने में क्यों झनकार हुई
फिल्मः बुढ्ढा मिल गया
https://youtu.be/jFYlChHSdzo

उपरोक्त विषय पर आप को फिल्मी गीत चुनना है
गीत के बोल की चार पंक्तियाँ तथा वीडियो का लिंक देना है
यदि कोई इस विषय पर कविता देने को इच्छुक है तो
स्वागत है, यह क़दम तनिक मनोरंजक भी होगा ऐसा हमारा मानना है 

अंतिम तिथि :: आज शनिवार 04 अगस्त 2018
प्रकाशन तिथि :: 06 अगस्त 2018  को प्रकाशित की जाएगी । 
रचनाएँ  पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के 
सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें



12 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय दीदी
    सादर नमन
    सदा की तरह बेहतरीन प्रस्तुति
    श्रम को नमन
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभातम दी:)
    सदैव की भाँति सबसे जुदा अंदाज़ में बनायी गयी आपकी प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी।
    सभी रचनाएँ बढ़िया है।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. हमें तो गिफ्ट ही चाहिए...
    वरदान हो..या
    आशिर्वाद...
    सब दौड़ेगा...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर संकलन बेहतरीन रचनाएं

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत अच्छी प्रस्तुति 👌👌👌

    जवाब देंहटाएं

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