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मंगलवार, 10 जुलाई 2018

1089...विश्व दृष्टिदान संकल्प दिवस पर संकल्प करें

जय मां हाटेशवरी......
स्वागत है आप सभी का.....

विश्व दृष्टिदान संकल्प दिवस पर
आईये अपनी अनुपस्थिति में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने हेतु इस बहुमूल्य रत्न को दान करने हेतु संकल्पित हों !- प्रदीप आर्या
अब पेश है.....मेरे द्वारा पढ़ी गयी कुछ रचनाएं.....


कल कुछ मीठे सपने आये
आसमान नीचे उतरा था
नीम करेला हुआ था मीठा
कुत्ते सीधी पूंछ किये थे
भीख मांगता रावण जीता


दिनचर्या
... कुछ तो हुआ है,
क्योंकि कोई एक नहीं,
सबकेसब अकेले हो गए हैं
...
तस्वीरों पर मत जाना,
वह तो एक और सबसे बड़ा झूठ है !!!



पूजा और प्यार का फर्क याने पश्चिम बनाम पूर्व
उन ओठों और हाथों को
मैं प्यार करता हूँ
जो पीते हैं और पिलाते हैं।
पर इरीस !
ओ मेरी प्रिय इरीस !!
उन ओठों और हाथों को
जो न पीते हैं न पिलाते हैं
मैं पूजता हूँ।
पूजा और प्यार का फर्क समझने के लिये
तुम्हें आना होगा भारत
हाँ! मेरे देश।

काहे बोला !
शेर के हैं 'शेर' जो
फिरते अरण्य में,
तब अनोखा शेर ही
भरमा रहा था।
जी करे है,कान पकड़ूँ
रे ! रे ! निर्लज्ज
बता-बता अपनी विरासत
दिखला रहा था।


बूढ़ा पीपल
पर पहली बार
किसी ने अपने लिए
एक नन्ही कली की
मन्नत मांगी ,
तो पीपल को लगा
उसका जन्म सफल
हो गया इस धरती पर ....

बिसारिए न मन से
इक याद हूं, बिसारिए न मन से,
मुझको संभालिए जतन से,
फिर लौट आऊंगा मैं उस गगन से,
न हूं दूर, पुकारिए न मन से!


राम ने कहा था
 व्याकुल और विह्वल सीता का उत्तर – “राम ने कहा था !“
जानती हो सीता इस तरह आँख मूँद कर पति की हर सही गलत बात का अनुसरण कर तुमने नारी जाति के लिए कितनी मुश्किलें पैदा कर दी हैं ! आज भी हर पुरुष स्वयं को राम समझता है और अपनी पत्नी से अपेक्षा रखता है कि वह आँख मूँद कर सीता के अनुरूप आचरण करे और अपने साथ हुए हर अन्याय, हर अपमान को चुपचाप बिना कोई प्रतिवाद किये, बिना कोई प्रतिकार किये उसी तरह सहन करती जाए जैसे तुमने जीवन भर किया था! तुमने पति परायणता के नाम पर कायरता और भीरुता के ऐसे उदाहरण स्थापित कर दिए हैं
कि इस परुष प्रधान समाज में नारी का स्थान अत्यंत शोचनीय हो गया है ! जो तुम्हें आदर्श मान तुम्हारे अनुरूप आचरण करे वह तो हर अन्याय, हर अपमान, हर आक्षेप सहने को उसी तरह विवश है ही जिस तरह तुमने किया है जीवन भर ! पर जो विरोध करे विद्रोह करे उसका परिणाम और भी भीषण होता है ! सीता आज की नारी शिक्षित होते हुए भी भ्रमित है कि वह तुम्हारे स्थापित किये आदर्शों को अपनाए या उन्हें सिरे से नकार दे क्योंकि परिणाम तो हर हाल में उसके विपरीत ही होंगे ! जानती हो सीता नारी का जीवन आज भी एक चिरंतन संघर्ष का पर्याय बन चुका है ! हर दिन हर लम्हा हर पल उसे स्वयं को स्थापित करने के लिए युद्धरत होना पड़ता है और हर पल अपनी पवित्रता अपनी शुचिता को बचाए रखने के लिए इस युग में भी भाँति भाँति के असुरों से जूझना पड़ता है ! काश सीता, राजा जनक की अत्यंत दुलारी विदुषी राजकुमारी एवं अयोध्या
नरेश श्रीराम की सबल सशक्त महारानी होने के उपरान्त भी तुम इतनी अबला, इतनी अशक्त, इतनी कातर और इतनी निरीह न होतीं !


अब न मानूंगी भगवान तुझे
बहुत सुना है, बहुत सहा है
अब घुटन से् है इंकार मुझे
दिखलाओ जरा साथी बनकर
अब न मानूंगी भगवान तुझे
पिता पुत्र सा पावन रिश्ता
तेरे कुकर्मो से कंलकित है
परायी क्या घर की बेटी भी
तेरी कुदॄष्टि से आतंकित है
ज्यादियां तेरी माथे धरी सब
अब मनमानी से इंकार मुझे
दिखलाओ जरा साथी बनकर
अब न मानूंगी भगवान तुझे


.... ज़िंदादिल :)
पर इन सब से लड़ता वह
हमेशा चेहरे पर रखता है मुस्कराहट
नहीं दिखाता अपना दुःख दूसरों को
क्योंकि सुख के सब साथी है
दुःख में कोई नहीं
और इसीलिए वो हमेशा बना रहता है
ज़िंदादिल !!

आज बस इतना ही.....
अब बारी है नए विषय की
हम-क़दम
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम सत्ताईसवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
'संकल्प'


...उदाहरण...
रात गई , बात गई
आओ दिन का अह्वान करें
भूलें तम की नीरवता को
जीवन में नव प्राण भरें

आओ छू लें अरुणाई को
रंग लें अपना श्यामल तन
सूर्यकिरण से साँसे माँगें
चेतन कर लें अन्तर्मन

ओस कणों के मोती पीकर
स्नेह रस का मधुपान करें।
-शशि पाधा
http://4yashoda.blogspot.com/2018/07/blog-post_10.html
उपरोक्त विषय पर आप सबको अपने ढंग से
पूरी कविता लिखने की आज़ादी है

आप अपनी रचना शनिवार 14 जुलाई 2018
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय
अंक 15 जुलाई 2018  को प्रकाशित की जाएगी ।
रचनाएँ  पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के
सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें


प्रयास रहेगा......
अपनी प्रस्तुति.....
नियमित दे सकूं......
अगर नेटवर्क महाराज ने चाहा तो.....
धन्यवाद।






















           

16 टिप्‍पणियां:

  1. भाई कुलदीप जी
    शुभ प्रभात
    विश्व दृश्टिदान दिवस पर
    अशेष शुभ कामनाएं
    सही व सटीक रचनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात सुंदर संकलन,आदरणीय क्षमा चाहूँगी उपरोक्त पूरी पंक्तियाँ विषय हैं या इनके भाव या पंक्तियों के शब्द कृपया मेरी शंका दूर करें..

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत उम्दा रचनाएँ
    पठनीय संकलन

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन रचनाएं सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह!!बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति । सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर सार्थक पठनीय सूत्रों से सुसज्जित आज का अंक ! मेरे आलेख को भी स्थान देने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार कुलदीप जी ! सस्नेह वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  7. *हम अपने प्रिय पाठकों को हर्षित हृदय से सूचित कर रहे हैं कि शनिवार दिनांक 14 जुलाई, रथयात्रा के दिन हमारे ब्लॉग पाँच लिंकों का आनन्द का तीसरा वर्ष पूर्ण हो रहा है, इस अवसर पर आपसे आपकी पसंद की एक रचना की गुज़ारिश है आप कृपया शुक्रवार दोपहर तक दे देवें, हमारा तीसरा वर्ष यादगार वर्ष बन जाएगा....सादर*

    जवाब देंहटाएं
  8. दृष्टि दान दिवस पर बेहद महत्वपूर्ण संदेश प्रेषित करने के लिए सादर आभार आदरणीय कुलदीप जी।
    आँखें जीवन का सर्वश्रेष्ठ उपहार है, हम सभी को नेत्रदान का संकल्प अवश्य लेना चाहिए।
    सभी रचनाएँ बहुत अच्छी है। बहुत सुंदर अंक संयोजन
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  9. आदरणीय कुलदीप जी -- नेत्रदान आज के युग की सबसे बड़े मांग है | मौत के बाद भी आपकी आँखे किसी के शरीर में लग इस संसार में जिवित रहती है और संसार को निहारती है | सबसे माहत्वपूर्ण है , कि परिवार को दान कर्ता की इच्छा को सम्मान देते हुए सह्ह्योग जरुर करना चाहिए क्योकि जीवित व्यक्ति अपना दान पत्र भर सकता है पर मौत के बाद docter को खबर देने तो नही आ सकता या खुद अपनी आँखे निकाल कर नहीं दे सकता | ये सब कर्तव्य परिवार के हैं जो सहयोग और तत्परता से मृतक के दान को सार्थक कर सकते हैं | आज के लिंक की सभी रचनाएँ पढी | बहुत ही अछि ली | सिर्फ साधना जी के ब्लॉग पर लिख ना पायी | कल लिखूंगी सादर

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर रचनाओं का संकलन, सार्थक भूमिका एवं प्रस्तुति। सादर धन्यवाद आदरणीय कुलदीप जी।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर रचनाएं,
    पांच लिंको का आनंद के लिए लिंक में जाकर नाम,ई मेल के बाद संदेश के स्थान पर ही रचना भेजनी है क्या यशोदा जी?

    जवाब देंहटाएं
  12. दृष्टि दान इस जहाँ से जा चुकने के बाद भी बरसो किसी के जीवन मे रंग और खुशियो का वरदान इससे उत्तम और क्या हो सकता है कोई दान।
    बहुत उपयोगी भुमिका द्वारा सचेतना फैलाना बहुत साधुवाद
    पठनीय संकलन सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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