---

सोमवार, 11 जून 2018

1060....हम-क़दम का बाईसवां क़दम

दहलीज़ अर्थात् ड्योढ़ी।
किसी भी घर का मुख्य प्रवेश द्वार दहलीज कहलाता है। दहलीज़ पुरातन काल से ही हमारे 
संस्कार व जीवन शैली का एक प्रमुख अंग रही है। किसी भी घर की दहलीज़ उसमें निवास करने 
वाले सदस्यों में शुभ व उत्तम संस्कार का संरक्षक व पोषक.है। तभी तो घर की चौखट को 
शुभ लक्ष्णयुक्त बंदनवारों से सजाया जाता है।

दहलीज़ घर में प्रवेश करने वाली गंदगी, नकारात्मक ऊर्जा और शत्रुओं के प्रवेश को 
प्रतिबंधित करने का द्योतक है।

पुरानी मान्यता के अनुसार ऐसे घर जिसमें चौखट या दहलीज़ न हो उस घर के लोग 
संस्कारहीन होते हैं। दहलीज.मर्यादित रहना सिखलाती है। मानवीय  मूल्यों को सहेजकर एक 
दायरे में रहकर संयमित जीवन जीने की शिक्षा मिलती है दहलीज़ से।

इस सप्ताह के विषय दहलीज़ पर एक बार फिर से हमारे रचनाकारों की रचनात्मकता सराहनीय है। 
एक बात विशेष यह है कि विषय पर आने वाली रचनाओं का स्तर बेहद उम्दा होता जा रहा है। 
रचनाकारों की कल्पनाशीलता ,लेखनी की धार और विचारों का तारतम्य एक से बढ़कर 
एक रचनाओं का आस्वादन करवा रहे हैं।

तो चलिए आप सभी की रचनाओं के संसार में-
🔷🌸🔷
अभी कुछ दिनों
पहले ही तो आई थी
छोड़ उस आँगन को
इस दहलीज़ पर ...
तभी खाने की टेबल पर
कुछ हंगामा सा हो गया
किसी ने खाना छोडा
किसी ने उसको कोसा

🌸🌸🌸🌸

भूलकर की उन्हें थामकर
रखने वाली दहलीज़ 
कोई साँकल नहीं जो हर बार
बजकर या कुंदे पे चढ़कर
अपने होने का अहसास कराती
वो तो बस मौन ही
अपना होने का फ़र्ज निभाती है !!

🔷🌸🔷

अरे कालिदास!
महानता की दहलीज़ के बाहर आओ,
ज़रा मुस्कुराओ,
कुछ बेवकूफियां करो
कुछ नादानियाँ करो,
बौद्धिकता का खोल उतारो
हंसो खुल के
जियो खुल के,

🔷🌸🔷

दहलीज के बाहर ठिठकी
ये खट्टी मीठी तीखी यादें
गाहे बे गाहे
मेरे अंतर्मन के द्वार पर
जब तब आ जाती हैं और 
कभी मनुहार कर तो
कभी खीझ कर ,

🔷🌸🔷

जब कदम उठाएं
 बहुत विचार कर आगे बढ़ें
दहलीज पार करने के पहले
  जान लें अच्छे
 बुरे कार्यों के परिणाम
उनका प्रभाव कैसा होगा? 
जीवन में सफलता की 
 कुंजी है यही |
l
🔷🌸🔷

आदरणीया कुसुम कोठारी जी की दो रचना

मन की दहलीज पर
स्मृति का चंदा उतर आता
यादों के गगन पर,

सागर के सूने तट पर
फिर लहरों की हलचल
सपनो का भूला संसार
फिर आंखों में 

🔷

दस्तक दे रहा दहलीज पर कोई
चलूं उठ के देखूं कौन है
कोई नही दरवाजे पर
फिर ये धीरे धीरे मधुर थाप कैसी
चहुँ और एक भीना सौरभ
दरख्त भी कुछ मदमाये से

🔷🌸🔷

घर से भागी बेटी के नाम --
ना हो ये चादर  तार- तार -
लौट आओ बस एक बार,
 चौखट  जो लाँघ गई थी तुम
अभी खुला है  उस  का द्वार-
 आ जाओ पौ फटने से पहले -
 रह जाए पिताकी लाज का भ्रम!!!

🔷🌸🔷
आदरणीया सुप्रिया "रानू" जी
दहलीज के उस पार
सामाजिक सारे अचार विचार
चाहकर भी बहु को बेटी न बना पाया
इसी दहलीज ने उसे सदा 
ससुर ही बनाया...
और विडम्बना यही रही 
एक पुरुष की लाचारी 
कोई न देख न पाया

🔷🌸🔷


सूनी सी हो चली है 
धर्म की दहलीज़ 
जबसे जमाने ने पायी 
झूठ की ताबीज़ 
ओढ़ कर हिजाब बैठा 
सच हुआ नाचीज़ 
बढ़ चला बेखौफ सा 
फरेब का तासीर 

🔷🌸🔷

मेरी फ़ोटो
हर  दहलीज है कहानी 
अपने इतिहास की 
कहीं मर्यादा के हास की
कहीं गर्वीले  अट्टहास की
कुछ शर्मीली चूड़ियों की 
कुछ हठीली रणभेरियों की
कई दपदपाते झूमरों की
कई अधजले कमरों की 
🔷🌸🔷

आप के द्वारा सृजित हमक़दम का यह अंक 
आपको कैसा लगा कृपया अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के 
द्वारा अवश्य अवगत करवाइयेगा।

हमक़दम का अगला विषय जानने के लिए
कल का अंक देखना न भूले।

अगले सोमवार फिर मिलेंगे नये विषय पर  
आपके द्वारा सृजित रचनाओं के साथ।

आज के लिए बस इतना ही

13 टिप्‍पणियां:

  1. बाईसवाँ क़दम...
    सच मे हम प्रसन्न हैं
    हमारी सीमा दीदी ने हमारा मान रखा
    आभार उनको...
    अब वे ही बताएंगी आज की प्रस्तुति के बारे में
    सखी श्वेता को आभार
    शुभ प्रभात
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रयास। सुन्दर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  3. ये सामजिक मान्यताओं की वो दहलीज है जिसे हम बार-बार लांघने की कोशिश करते हैं और अंततः पछतावा के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होता। मान्यताओं की दहलीज हमारे समाज के निर्माण का आधारभूत स्तंभ है। इसे नवीकृत कर इसके दायरे में खुद को रखना है हमारी भविष्य की अमूल्य निधि और धरोहर होगी।
    सुंदर विषय पर अनेकों विलक्षण रचनाएं स्वागत योग्य हैं।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह!!श्वेता ,बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ..सभी रचनाएँ एक से बढकर एक ...मेरी रचना को इस सफर का हमसफर बनाने के लिए तहेदिल से शुक्रिया ..।

    जवाब देंहटाएं
  5. हमकदम का यह सफ़र दिन ब दिन खूबसूरत होता जा रहा है ! हर कदम के साथ विषय के विभिन्न आयामों को छूती अनुपम रचनाओं का रसास्वादन करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है ! मेरी रचना को आज के सफ़र में शामिल करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सभी रचनाकारों की रचनात्मकता को सलाम एवं रचनाकारों का हार्दिक अभिनन्दन !

    जवाब देंहटाएं
  6. दहलीज पर बहुत रोचक और सारभूत भुमिका के साथ शानदार प्रस्तुति श्वेता आपकी ।
    देहरी को अलग अलग आयाम देती सुंदर रचनाओं से सजा संकलन मेरी दो रचनाओं को प्रेसित करने के लिये हृदय तल से शुक्रिया। सभी सह रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुंदर......आभार आप का.......

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति श्वेता जी..सभी रचनाकारों की रचनात्मकता उत्तम।

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह लाजवाब प्रस्तुति आदरणीय श्वेता दीदी
    सभी रचनाएँ उत्क्रष्टता को प्राप्त हैं
    हमारी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार
    सभी रचनाकारों को ढेरों शुभकामनाओं के साथ सादर नमन शुभ संध्या 🙇

    जवाब देंहटाएं
  10. प्रिय श्वेता -- आज का विलक्षण अंक भी प्यारी बहनों के नांम रहा | दहलीज का महत्त्व एक नारी से बढ़कर कौन समझ पाता है उसे इसे ना लांघने की नसीहत बचपन से दी जाती है | जैसा कि आपके आज के अंक की भूमिका में लिखा है असल में दहलीज हमारी परम्पराओं और नैतिक मूल्यों की सरंक्षक और शुभता की प्रतीक है | यूँ तो आधुनिक घर्रों से मूर्त रूप में दहलीज गायब है पर इसका महत्व अमूर्त होकर भी विद्यमान रहता है | हमारे यहाँ अगर किसी कोई किसी की बेटी के बारे में कोई अर्थहीन शब्द कहता है और संयोगवश उसकी बेटी ना हो तो है तो उसे नैतिक मूल्यों की याद दिलाने के लिए कहा जाता है कि भले आपके घर में बेटी नही देहरी तो है अर्थात बेटी के समकक्ष ही देहरी को उंचा स्थान दिया जाता है | असल में दहलीज मर्यादित आचरण की सीमा रेखा है इसे मानिए तो ये बड़ी महत्वपूर्ण है अन्यथा एक नाम भर है | समाज में हरेक के लिए इसका महत्व होता है नारी प्रतिबद्ध है इसके पालन के लिए तो पुरुषों के लिए भी इसका महत्व कम नही | बहरहाल सभी रचनाओं ने मन मोह लिया | सभी अपनी अपनी जगह महत्वपूर्ण हैं |मुझे प्रिय अपर्णा वाजपेयी और प्रिय बहन कुसुम जी की रचना ने विशेष लगी - हालाँकि सभी ने बहुत अच्छा लेखन किया है-- दहलीज के बहाने से ||दहलीज पर गूगल बाबा पर रचनाएँ खोजेंगे तो लगता है पञ्च लिंकों से बेहतर रचनाएँ नही मिलेगी |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभारी हूँ | सभी सहयोगी रचनाकार बहनों को हार्दिक शुभकामनाये | सफल लिंक संयोजन और सार्थक भूमिका के लिए आपको हार्दिक बधाई और मेरा प्यार |

    जवाब देंहटाएं
  11. प्रिय श्वेता जी ,
    नमस्ते ।बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आने का मौका मिला ।रचनाकारों की सटीक, भावुक, संवेदनशील रचनाएं पढ़कर अभिभूत हूं ।बहुत सुंदर संकलन। आपको और सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं।मेरे विचारों को सम्मान देने के लिए हृदय से आभार ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  12. प्रिय श्वेता जी मेरी रचना स्वीकृत करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।