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रविवार, 1 अप्रैल 2018

989....आओ मूर्खो, मूर्ख दिवस मनायें

नाईन एट नाईन
मतलब
एक अप्रैल दो हज़्ज़ार अट्ठारह

अप्रैल फूल का नाम जुबान पर आते ही सभी के दिमाग पर एक अप्रैल की तारीख छा जाती है। भले ही आप सभी अपने दोस्तों या करीबियों के साथ कोई मजाक कर उन्हें मूर्ख बनाने की कोशिश हर रोज करते होंगे, लेकिन एक अप्रैल को यह कुछ खास होता है। यूं समझिए कि यह दिन खास इसलिए ही रखा कि आप अपनों के साथ कुछ मजाक कर उन्हें मूर्ख बना सकें और उनके चेहरे पर कुछ समय के लिए हंसी ला सके। लेकिन ध्यान यह भी रखना चाहिए कि आपका मजाक किसी के लिए नुकसानदायक साबित न हो जाए।

इस दिन को लेकर कई और कहानियां भी प्रचलित हैं, लेकिन हर कथा का मूल उद्देश्य है 
पूरे दिन को मनोरंजन के साथ व्यतीत करना है।

सभी कहानियाँ विदेशों की है...भारत में ऐसा कोई पर्व नहीं...फिर भी पढ़िए...
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बहुत पहले यूनान में मोक्सर नामक एक मजाकिया राजा था। एक दिन उसने स्वप्न में देखा कि किसी चींटी ने उसे जिंदा निगल लिया है। सुबह उसकी नींद टूटी तो स्वप्न की बात पर वह जोर-जोर से हंसने लगा। रानी ने हंसने का कारण पूछा तो उसने बताया कि रात मैंने सपने में देखा कि एक चींटी ने मुझे जिंदा निगल लिया है। सुन कर रानी भी हंसने लगी। तभी एक ज्योतिष ने आकर कहा, महाराज इस स्वप्न का अर्थ है, आज का दिन आप हंसी-मजाक व ठिठोली के साथ व्यतीत करें। उस दिन अप्रैल महीने की पहली तारीख थी। बस तब से लगातार एक हंसी-मजाक भरा दिन हर वर्ष मनाया जाने लगा।
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एक अन्य लोक कथा के अनुसार एक अप्सरा ने किसान से दोस्ती की और कहा- यदि तुम एक मटकी भर 
पानी एक ही सांस में पी जाओगे तो मैं तुम्हें वरदान दूंगी। मेहनतकश किसान ने तुरंत पानी से भरा 
मटका उठाया और पी गया। जब उसने वरदान वाली बात दोहराई तो अप्सरा बोली- तुम बहुत 
भोले-भाले हो, आज से तुम्हें मैं यह वरदान देती हूं कि तुम अपनी चुटीली बातों द्वारा लोगों के बीच 
खूब हंसी-मजाक करोगे। अप्सरा का वरदान पाकर किसान ने लोगों को बहुत हंसाया। इसी कारण ही 
एक हंसी का पर्व जन्मा, जिसे हम अप्रैल फूल के नाम से पुकारते हैं।
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बहुत पहले चीन में सनन्ती नामक एक संत थे, जिनकी दाढ़ी जमीन तक लम्बी थी। एक दिन उनकी 
दाढ़ी में अचानक आग लग गई तो वे बचाओ-बचाओ कह कर उछलने लगे। उन्हें इस तरह उछलते 
देख कर बच्चे जोर-जोर से हंसने लगे। तभी संत ने कहा, मैं तो मर रहा हूं, लेकिन तुम आज के ही 
दिन खूब हंसोगे, इतना कह कर उन्होंने प्राण त्याग दिए।

अब चलिए आज की संक्षिप्त प्रस्तुति की ओर....

1अप्रैल को "अप्रैल फूल " बनाने के बजाय 
एक पेड़ लगाकर "अप्रैल कूल" बनाए।

साहित्यकार श्री देव किशन सिंह को पौधा देते नरपत सिंह राजपुरोहित
सभी सम्मानित सदस्यो से निवेदन है कि 1 अप्रैल को "अप्रैल फूल " बनाने के बजाय एक पेड़ लगाकर "अप्रैल कूल" बनाए । आप की एक 
छोटी सी मुहिम धरती को "कूल " बनाने मे मदद कर सकती है ।


"थीम चुराई मेरी"...... डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
कुछ ने पूरी पंक्ति उड़ाई,
कुछ ने थीम चुराई मेरी।
मैं तो रोज नया लिखता हूँ
रोज बजाता हूँ रणभेरी।

मूरखता का वरदान...श्वेता सिन्हा

समझदारी का पाठ पढ़
हम अघा गये भगवान
थोड़ी सी मूरखता का
अब तुमसे माँगे वरदान

अदब,कायदे,ढ़ंग,तरतीब
सब झगड़े बुद्धिमानों के
प्रेम,परोपकार,भाईचारा
श्रृंगार कहाये मतिमारों के

बेस्वाद ज़िंदगी...साधना वैद

कैसी विचित्र सी मनोदशा है यह ! 
भूलती जा रही हूँ सब कुछ इन दिनों ! 
इतने वर्षों का सतत अभ्यास 
अनगिनत सुबहों शामों का 
अनवरत श्रम 
सब जैसे निष्फल हुआ जाता है 



इस अवसर पर आदरणीय डॉ. सुशील भाई जोशी 
अपने खास दिन 
‘मूर्ख दिवस’ पर 
क्षमा करेंगे आप 
के लिये नहीं 
केवल अपने जैसों 
के लिये ढेर सारी 
शुभकामनाऐं.....

पाखँडी कहलाने 
से अच्छा 
महामूर्ख कहलायें
झूठे सपनों की झूठी 
बातों के झूठों की 
बीमारी ना फैलायें
सच को देख सामने 
अपने आँख कान बंद 
रखने से बाज आयें
...............
आज अब बस...
पीछे पलटकर देखती हूँ
989 नम्बर का मील का
पत्थर दिखाई पड़ा

खुश हुई मैं
हजारवाँ पत्थर भी अब
ग्यारह मील के बाद
दिखाई दे जाएगा
सादर
यशोदा





15 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभातम् दी:)
    वाह्ह......रोचक जानकारी के साथ बहुत अच्छी भूमिका लिखी है आपने। मूर्ख दिवस पर प्रचलित कथाएँ बढ़िया है। सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी। मेरी रचना को स्थान देने के लिए अति आभार दी।
    1000वाँ अंक आने वाला है बहुत उत्साहित है हम सब।

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  2. मूलतः, हम सभी मुर्ख ही हैं. जो अपनी मुर्खता को 'जस्टिफाई' कर लेता है, उसे विद्वान् कहते हैं!
    सुन्दर प्रस्तुति की बधाई!!!

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  3. सभी सम्मानित सदस्यो से निवेदन है कि 1 अप्रैल को "अप्रैल फूल " बनाने के बजाय एक पेड़ लगाकर "अप्रैल कूल" बनाए । आप की एक
    छोटी सी मुहिम धरती को "कूल " बनाने मे मदद कर सकती है ।
    ये पंक्तियाँ मैं अपने फेसबुक स्टेटस पर लिख रही हूँ यशोदा दी। बेहतरीन व बेजोड़ अंक हमें देने के लिए सादर
    धन्यवाद दीदी।

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  4. बहुत सही।
    सभी मूर्खों को मूर्खदिवस की बधाई हो।

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  5. यूं तो अप्रैल फूल शुरू होने के लिये कई किस्से हैं पर आपने दी छोटी छोटी रोचक कथाओं द्वारा इन्हें सांझा कर बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया।
    नमन।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई, सभी रचनाऐं प्रासंगिक संदर्भों से सुसज्जित।
    संसार मे सब से उन्नत प्राणी का अपनी बुद्धि द्वारा अपने ही समान प्राणी को नैतिकता की सीमा मे रह आरसी दिखाना और अपना बिंब प्रतिबिंबित करना। "अप्रैल फूल"

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  6. अप्रैल फूल नहीं अप्रैल कूल बनाए....आज के दिन एक पौधा लगायें....
    बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति.... उम्दा पठनीय लिंक्स...

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  7. वाह!रोचक कहानियों के साथ अप्रैल फूल दिवस बना कूल- कूल
    बहुत सुंदर और आन्नंदमय
    उम्दा संकलन
    आभार।

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  8. मील के हजारवें पत्थर
    के लिये शुभकामनाएं
    आज अप्रैल फूल मनायें

    आभार यशोदा जी मूरख 'उलूक' की मूर्खता उवाच को फिर से ला कर आज की हलचल में दिखाने के लिये।

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  9. मूर्ख तो हम रोज़ बनाए जाते हैं किन्तु मूर्ख-दिवस, हम साल में एक बार ही मनाते हैं. ऐसा क्यूं है? गब्बर भाई कह उठेंगे - 'बहुत नाइंसाफ़ी है.'

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  10. बहुत सुंदर ...उम्दा संकलन
    सभी मूर्खों को मूर्खदिवस की बधाई

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  11. वाह!!बहुत सुंदर संकलन,रोचक कहानियों के साथ ..वाह !!मजा आ गया पढकर ।

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  12. बहुत बढ़िया संकलन रहा , अप्रैल फूल का मजा आ गया |

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  13. सामयिक रोचक प्रस्तुति के साथ बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

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  14. बहुत सुन्दर सूत्रों का चयन किया है यशोदा जी ! मेरी रचना को आज के संकलन में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत सुंदर संकलन,रोचक पोस्ट के साथ मेरी पोस्टको स्थान दिया..... यशोदा जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

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