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शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

1015....फ़ैसले करेंगे दूर फ़ुतूर और गुमान....


सादर अभिवादन। 

प्राकृतिक न्याय के लिए वर्षों से 
लाचार जनता तड़पती देखो,  
वर्चस्व के लिए अब आपस में  
न्याय-व्यवस्था झगड़ती देखो।
सत्ता और न्याय-व्यवस्था में 
दोस्ती और साँठगाँठ का अनुमान,
गुज़रेगा यह दुश्वारियों का दौर भी  
फ़ैसले करेंगे दूर फ़ुतूर और गुमान।
-रवीन्द्र   
   
आइये चलते हैं अब आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर -
वर्तमान परिवेश का गहन जाएज़ा लेती हालात की पड़ताल करती 
एक शानदार ग़ज़ल मुलाहिज़ा कीजिये-


My photo

नाज़ुक सी छूई मूई पे, क़ाज़ी के ये सितम,
पहले ही संग सार के, ग़ैरत से मर गई.
सोई हुई थी बस्ती, सनम और ख़ुदा लिए,
"मुंकिर" ने दी अज़ान तो, इक दम बिफर गई.

एक सच जिसे हम ज़िंदगी भर झुठलाते रहते हैं ,दूसरे को 
मरता हुआ देखते हैं लेकिन अपने ऊपर लागू नहीं करते।  
पढ़िए एक आध्यात्मिक रुख़ की सुन्दर रचना-


अंतिम इच्छा..... नीतू ठाकुर

विधिना का लेख लिखित ना हो 
मृत्यू का क्षण अंकित ना हो 
पर शाश्वत पल हो जीवन का 
जब जीवन सूर्य उदित ना हो 

नई कारगर दवाइयाँ आने से अब मलेरिया का भयावह प्रकोप 
नियंत्रित होने लगा है. एक नज़र डालिये आंकड़ों पर 
हर्षवर्धन जी की सामयिक प्रस्तुति में-


विश्व मलेरिया दिवस

विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day) प्रति वर्ष विश्व भर में 25 अप्रैल को मनाया जाता है। यूनिसेफ द्वारा पहली बार विश्व मलेरिया दिवस 25 अप्रैल, सन् 2008 ई. को मनाया गया था। 'मलेरिया' एक जानलेवा बीमारी है, जो मच्छर के काटने से फैलती है। मलेरिया जैसी गंभीर और जानलेवा बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई थी।

जीवन के उलझे रहस्य तलाशने की कश्मकश में आदरणीया सुधा सिंह  जी की उर्दू अल्फ़ाज़ से सजी-संवरी एक गंभीर रचना आपकी सेवा में-




बनके मुन्तजीर राह उनकी हम तकते रहे
वो हमें अनदेखा कर बगल से यूँ ही गुजर गए

दर रोज वो बढ़ाते रहे रौनक-ए - महफिल  
शाम-ओ-सुबह हमारी तो तीरगी में ठहर गये

किसानों की पीड़ा को मुखरित करती शुभम जी की 
एक समसामयिक रचना ग़ौर-तलब है-



जंतर मंतर पे धरना करते हुए
मैने देखा है किसान को मरते हुए

आदरणीया पम्मी सिंह जी का 2016 में प्रकाशित  काव्य-संग्रह "काव्यकांक्षी" हमारे संजीदा एहसासात का ख़ूबसूरत गुलदस्ता है। हिन्दी भाषा के जाने-माने विद्वानों ने उनकी पुस्तक पर मोहक भावपूर्ण टिप्पणियाँ करते हुए उन्हें शुभकामनाऐं प्रेषित की हैं -  


Kavya Kanchhi


काव्यकांक्षी , कवयित्री पम्मी सिंह की कविताओं का पहला संकलन होकर भी भाव और भाषा की दृष्टि से परिपूर्ण है। संकलन की कविताओं में भावना का प्रवाह और अनुभव की कसौटी दोनों ही देखने लायक है। तलाश कविता की पंक्तियां -स्वतंत्रता तो उतनी ही है हमारी जितनी लंबी डोर ! सहज ही स्त्री मन की विवशताओं को  साफगोई से चित्रित करती है, इसी प्रकार कई राह बदल कर, किताबों के चंद पन्ने, निशान धो डालें ,जैसे दर्जनों कविताएँँ हैं जो पाठक के मन -मस्तिष्क को झकझोरती  है। कवयित्री पम्मी सिंह के लगातार लेखन के लिए शुभेच्छा एवं
 'सुरसरि सम सब कहँ  हित होई ' 
की मंगल कामना है।

सुबोध सिंह शिवगीत
हिन्दी विभाग
आदरणीय दिलबाग जी का अंदाज़-ए-बयाँ आपको  
अवश्य प्रभावित करेगा- 


मेरी फ़ोटो

पूछो, दरख़्त भी लगाया है कभी

शौक है जिन्हें छाँव घनी का ।

चलो ‘विर्क’ मैं तो नादां ठहरा

ग़म क्यों हमसाया है सभी का ?

आदरणीय महावीर उत्तरांचली जी की ग़ज़ल में समाये 
बिषयों पर नज़र डालिये -


करूँ क्या ज़िक्र मैं ख़ामोशियों का
यहाँ तो वक़्त भी थम-सा गया है
भले ही खूबसूरत है हक़ीक़त
तसव्वुर का नशा लेकिन जुदा है


हम-क़दम के सोलहवें क़दम
का विषय...

आज के लिए बस इतना ही। 
 मिलेंगे अगले गुरूवार नई प्रस्तुति के साथ। 
कल ज़रूर आइयेगा आदरणीया विभारानी श्रीवास्तव जी की विशेष प्रस्तुति का रसानन्द लेने। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

15 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    एक बेहतरीन प्रस्तुति
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सत्ता और न्याय-व्यवस्था में
    दोस्ती और साँठगाँठ का अनुमान,
    गुज़रेगा यह दुश्वारियों का दौर भी
    फ़ैसले करेंगे दूर फ़ुतूर और गुमान।
    -रवीन्द्र
    *कई सवाल हैं जिसके जबाब नहीं मिल रहे
    -सुंदर संकलन
    -बहना पम्मी जी को हार्दिक बधाई के संग असीम शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर सारगर्भित भूमिका...समसामयिक.. कम शब्दों में धारदार अभिव्यक्ति। बहुत सुंदर रचनाओं का बेहतरीन संयोजन। बहुत बढ़िया अंक।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति रविन्द्र जी । लाचार जनता और दुश्वारियों का दौर कब खत्म होगा ,ईश्वर जानेंं ...सत्ता ओर व्यवस्था के बीच पिसती जनता .....कब होगा हल ये मसला ...
    आदरणीय पम्मी जी को हार्दिक शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर लिंकों की बेहतरीन प्रस्तुति.
    पम्मी जी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं.
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर संकलन.. आदरणीय रवीन्द्र जी को बहुत बहुत धन्यवाद समीक्षा को शामिल करने के लिये।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई ।
    सभी को शुभेच्छा सम्पन्न शुभकामना हेतु आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. व्यंग्यात्मक भूमिका का आभार! सुन्दर संकलन। सभी रचनाकारों को साधुवाद। कव्यकांक्षी को भी सुन्दर समीक्षा की बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  9. उम्दा पठनीय लिंको से सजी बेहतरीन प्रस्तुति....

    जवाब देंहटाएं
  10. सुंदर प्रस्तुति
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत अच्छी प्रस्तुति है. उपर की पंक्तियाँ बहुत असरदार लगी.

    जवाब देंहटाएं

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