---

बुधवार, 25 अप्रैल 2018

1013..मुझे हर बात के लिये लड़ना पड़ा..



।।शुभ वंदन।।
समकालीन परिस्थितियों को परिलक्षित करती 
दिनकर जी के शब्द..
दो न्याय अगर तो आधा दो, पर इसमें भी 
यदि बाधा हो
तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रखो 
अपनी धरती तमाम
हम वहीँ खुशी से खायेंगे, 
परिजन पे असी ना उठाएंगे

रश्मिरथी/तृतीय सर्ग /भाग 3 /

 (सितम्बर 23, 1908 – अप्रैल 24, 1974)
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर  की पुण्यतिथि पर शत शत नमन..

पॉक्सो एक्ट में किए गए संशोधन के अंतर्गत 12 वर्ष से कम की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने पर अब मौत की सजा स्वागत योग्य के साथ विचारणीय भी है।

आज की लिंकों पर नज़र डालते है..✍

🔵

ब्लॉग "यथार्थ "  सच की बात, विक्रम जी के साथ..




अपना घर कोई बनाना हो 

या कहीं दूर घूमने जाना हो 

कोई दुःख की बात हो 

या कोई जश्न मनाना हो 

मुझे हर बात के लिये लड़ना पड़ा है 

🔵


ब्लॉग ''अब छोड़ो भी" से..





...और अंतत: दुष्‍कर्मियों के लिए फांसी का प्रावधान हो ही गया, फांसी  

अर्थात् अपराधशास्‍त्र और दंडनीति के अनुसार सजा का अंतिम अस्‍त्र। 

कठुआ, उन्‍नाव और सूरत में बच्‍चियों के साथ दरिंदगी करने वालों का  

उदाहरण सामने रखते हुए कल केंद्र सरकार ने अपनी कैबिनेट मीटिंग  में 

बच्‍चियों से दुष्‍कर्म करने वालों के लिए 

फांसी की सज़ा..
🔵


ब्लॉग " मेरी अभिव्यक्तियाँ " से..





कब खोया तुम्हे

जो तुम्हे 'मिस करूँ'

साथ ही तो रहते हो,

खाते हो,टहलते हो,

सोते हो,,,,

लगता ही नही तुम
अब मुझसे दूर रहते हो!!!!
🔵


ब्लॉग "ज़िन्दगीनामा" से..


से बढ़ रहे है और मेरी निजी

 जिंदगी में दखल डालकर ज्ञानी बन रहे है और प्रमाणपत्र बाँट रहे है

निवेदन है सभ्य भाषा मे कि सीमा मतलब औकात में रहें, आप जो 
भी हो प्रशासनिक अधिकारी, मास्टर, लेखक , डाक्टर, वकील, बाबू, वैज्ञानिक ,
 पत्रकार, दोस्त या कोई ऐरे गैरे नत्थू खैरे
हजार बार कह चुका हूँ 
कि फेसबुक पर अरबों खाते है और यहाँ मैं आपसे पीले चावल देकर 
विनती नही कर रहा कि ये सब पढ़े 
और कमेंट करें..
🔵
ब्लॉग क्षितिज से..



 जिसने  उसके मन में झाँका,

जागी थी जैसे तू कपलायिनी -- 

ऐसे  कोई नहीं जागा !!

पति प्रिया से बनी  पति त्राज्या-- 

सहा अकल्पनीय दुःख पगली,

नभ से आ  गिरी धरा पे-

 नियति तेरी ऐसी बदली ;
 वैभव  से बुद्ध ने किया पलायन
तुमने वैभव में सुख त्यागा |

🔵

ब्लॉग " एक बोर आदमी का रोजनामचा" से..



मेरा महबूब एक साथ चाँदऔर गुले रातरानी है



होगा वो तुम्हारे ज़ालिम या  फिर होगा क़ातिल 

मेरे लिए तो साँस दर साँस है मेरी ज़िंदगानी है


🔵

हम-क़दम का सोलहवें क़दम

का विषय...
कृपया यहाँ देखें


इसी साथ आज की प्रस्तुति 
यहीं तक कल फिर एक नई लिंकों के साथ..

।।इति शम ।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह..✍



13 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात सखी
    दिनकर जी को हम स्कूल से पढ़ते आ रहे हैं
    आभार..
    बेहतरीन प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन प्रस्तुति
    उम्दा रचनायें

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन प्रस्तुति, दिनकर जी का सुंदर काव्य,
    सभी रचनाऐं बहुत सुंदर पठनीय, रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति पम्मी जी,दिनकर जी की कालजयी रचनाएँ सदैव प्रेरक है। सारगर्भित भूमिका के साथ बेहतरीन रचनाओं का गुलदस्ता बहुत अच्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन प्रस्तुति,
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर संकलन दिनकर जी के लिये विशेष आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा पठनीय लिंक संकलन..

    जवाब देंहटाएं
  8. अप्री पम्मी जी -- सबसे पहले साहित्य शिरोमणि आदरणीय दिनकर जी की पुण्य तिथि पर उन्हें शत- शत सादर नमन | राष्ट्र कवि दिनकर जी की हिंदी साहित्य को रश्मिरथी , कुरुक्षेत्र उर्वशी सरीखी रचनाओं का उपहार दे अतुलनीय योगदान दिया | साहित्य अकेडमी और सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ से विभूषित किये गये तो वीर रस के कवि कह पुकारे गये | गहन चिन्तक , निबंधकार दिनकर जी का महाकाव्य लेखन में योगदान अविस्मरनीय है | आज की सभी रचनाये पढ़ीं | बहुत अच्छी लगी | मेरी रचना को स्थान दिया गया | आपके निरंतर सहयोग के लिए आभारी हूँ | सभी सहयोगी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं | आपको हार्दिक बधाई और शुभकामना आज के लिंकों के सफल संयोजन के लिए | सस्नेह --

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।