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सोमवार, 12 मार्च 2018

969.... हम-क़दम का नवां क़दम "परिक्रमा"

"एक आशावादी व्यक्ति हर आपदा-परेशानी में 
एक अवसर देखता है लेकिन 
एक निराशावादी व्यक्ति हर अवसर में कोई आपदा देखता है।"
एक विचारक द्वारा कहे गये ये शब्द कितने महत्वपूर्ण है न। ये सत्य है कि सकारात्मक विचार जीवन को ऊर्जा से भर देते हैं। भविष्य उन्हीं का है जो अपने सपनों की सुंदरता में यकीन रखते हैं। यथार्थ की धरातल पर यह बात प्रमाणित है कि हम में शक्ति की कोई कमी नहीं है, बस इच्छा शक्ति का अभाव होता है। अतः निराशा की चादर उतार फेंकिये उठिये और आगे बढ़कर कर्मों की कुदाल से कठिनाइयों के पर्वत को ढहा दीजिए। आप भूल जायेंगे हाथ के छाले को, जब सफलता आपके अंतस में नवजीवन का संचार करेगी। 

अब चलते है आज के हमक़दम के विषय की ओर "परिक्रमा" 
का अर्थ है प्रदक्षिणा या फेरी। किसी भी स्थिर वस्तु के चारों ओर 
घूमना परिक्रमा कहलाती है।हमारे सृजनशील रचनाकारों के विचारों की परिक्रमा से उत्पन्न हुयी रचनाएँ सच में सराहना के योग्य है।
परिक्रमा कोई साधारण सा शब्द नहीं जिसपर आसानी से 
लिखा जा सके। पर रचनाकारों ने चुनौती स्वीकार कर 
अपनी वैचारिक क्रियाशीलता से मोहित कर दिया है। 
नमन आप सभी की अद्भुत लेखनी को।

::एक महत्वपूर्ण सूचना:: 
रचनाएँ क्रमानुसार नहीं सुविधानुसार लगायी गयी हैं।

सभी की रचनात्मकता के संसार में चलते है आपके द्वारा सृजित कविताओं का आस्वादन करने के लिए.....

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आदरणीया पूनम मोहन जी
तुम्हारे कर्मों का नहीं,
अधिकारों का नहीं,
सिर्फ और सिर्फ,
अपने महत्व का,
जो हमने वर्ष भर के परिक्रमा के बाद
एक दिन तुम्हें दिया।
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आदरणीय पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी 
इक छोर है यहाँ, दूजा छोर कहीं
विश्वास के डोर की, बस धूरी है वही,
उसी धूरी के गिर्द, ये परिक्रमा,
ज्यूं तारों संग, नभ पर वो चन्द्रमा!
कोई प्रेमाकाश बनाती, ये इक बन्दगी!
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आदरणीया साधना वैद जी
धीमे-धीमे उठते
हर पल मन-मन भारी होते कदम
उसी परिधि पर चलते हुए
फिर उसी दहलीज पर
जा खड़े होते हैं
जहाँ कभी ना लौटने का
संकल्प ले वे बाहर निकले थे !
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आदरणीया आशा सक्सेना जी
सृष्टि में हर जीव का
होता चक्र निर्धारित
दिन के बाद रात का आगमन 
ग्रह उपग्रह करते फेरे 
अगर भटक जाएं 
तब न जाने क्या हो ?

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आदरणीया कुसुम कोठारी जी
(दो रचनाएँ)



अनित्य मे से शाश्वत समेटूं
फिर एक यात्रा पर चल दूं

पाना है परम गति

तो निर्मल, निश्छल,

विमल, वीतरागी बन
मोक्ष मार्ग की राह थाम लूं
मै आत्मा हूं
◆◆◆◆◆◆
गर्मी का मौसम आता है
तपती दोपहरी लाता है
सन्नाटे शोर मचाते हैं
गर्म थपेड़े देह जलाते हैं
तन बदन कुम्हलाते हैं



और फूल सभी मुरझाते हैं।
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आदरणीया डॉ.इन्दिरा गुप्ता जी
Image result for नीला पथ  सिंदूरी आचमन  करे परिक्रमा  सुन चिरई शगुन ।
नीला पथ
सिंदूरी आचमन 

करे परिक्रमा 
सुन चिरई शगुन ।
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आदरणीया मीना शर्मा जी
देह के दायरों से परे
मन से मन का मिलन,
नई रीत का प्रतीक !
मैं लिखूँ , तुम रचो
तुम लिखो, मैं रचूँ
नए काव्य - नए गीत !
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आदरणीया नीतू ठाकुर जी
मुख क्यों तेरा अनुरक्त है
ब्रम्हांड की शोभा है वो

तन से भले संक्षिप्त है
अनभिज्ञ है क्या वो स्वयम सेशाश्वत है वो अलिप्त है

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आदरणीया सुधा सिंह जी

पर नहीं करते परिक्रमा

अपनी स्वयं की ,

अपने आत्मन की

नहीं करते परिक्रमा
अत्मचिंतन की, आत्ममंथन की
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आदरणीया पल्लवी गोयल
 बिल्ली बन तेरे पीछे दौड़ी। 
राखी बाँधी , बालाएं तोड़ी।  
वह भी एक  'ललना' है , 
जो तेरी प्यारी बहना है। 

चंद परिक्रमाओं  के साथ वह भूली
पिछला  संसार , पकड़ा तेरा हाथ। 
यह भी एक त्यागमयी 'कांता' है ,

इसे  तू अर्धांगिनी कहता है। 
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आदरणीया रेणु जी
जीवन में तुम्हारा होना
जीवन में  तुम्हारा होना---- कविता --
उसी क्षण की परिक्रमा  करता -
ये अनुरागी मन मेरा ,
जो भर  गया दामन  में उमंगे -
और बदल गया जीवन मेरा ;
उपकार बड़ा उस पल का-

 जिसने  तुमसे मिला दिया !!!!!!!!!!!!
◆◆◆◆◆◆●●●●◆◆◆◆◆◆◆

 

इज़ाज़त दें...
श्वेता

20 टिप्‍पणियां:

  1. इस बेहतरीन प्रस्तुति के साथ प्रस्तुत विचार ने अत्यन्त ही प्रभावित किया है हमें:
    सकारात्मक विचार जीवन को ऊर्जा से भर देते हैं। भविष्य उन्हीं का है जो अपने सपनों की सुंदरता में यकीन रखते हैं। यथार्थ की धरातल पर यह बात प्रमाणित है कि हम में शक्ति की कोई कमी नहीं है, बस इच्छा शक्ति का अभाव होता है। अतः निराशा की चादर उतार फेंकिये उठिये और आगे बढ़कर कर्मों की कुदाल से कठिनाइयों के पर्वत को ढहा दीजिए। आप भूल जायेंगे हाथ के छाले को, जब सफलता आपके अंतस में नवजीवन का संचार करेगी।
    वस्तुतः कर्म ही जीवन का मूल आधार है। इसे साथ मन और वाचना की स्थिरता भी उतनी ही जरूरी है।
    सधन्यवाद।

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  2. शुभ प्रभात सखी
    "आशा"
    वह शब्द है,
    जिसे ईश्वर ने
    हर व्यक्ति के
    मस्तक ..और
    भौंह पर
    लिखकर भेजा है
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. आशा और सकारात्मक सोच अवश्यम्भावी है जीवन में...
    बेहतरीन प्रस्तुतिकरण के साथ उम्दा लिंक संकलन...
    परिक्रमा पर इतनी सुन्दर रचनाएं... मन को भा गयी आज की प्रस्तुति ...
    सभी रचनाकारों को बधाई...

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  4. सुंदर विचार और शानदार प्रस्तुति
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार
    सभी चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह!!श्वेता !!!!सकारात्मकता की ओर ले जाती सुंंदर भूमिका के साथ बहुत नायाब प्रस्तुति ।सभी लिंक बहुत सुंंदर। सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।

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  6. बहुत अच्छी सुविचार -सह-सार्थक हलचल प्रस्तुति

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  7. आशा और निराशा, सकारात्मकता और नकारात्मकता के समांतर मनोगत स्थितियां है, और देखा गया है उसी के तहत इंसान अपना कल निश्चित करता है, ये भाव स्वयं के अंदर ही पनपते हों सदैव ऐसा नही होता कई मर्तबा ये आस पास की परिस्थिति से कभी तुलनात्मक स्थिति से कभी अभाव और कभी स्वगत इच्छा शक्ति से पनपते हैं। और चाहें तो दृढ निश्चय से हम परिस्थिति बदल सकते हैं।
    श्वेता विचारात्मक सुदृढ़ भुमिका के साथ आपकी शानदार प्रस्तुति मन को लुभा गई।
    मेरी रचनाओं को सामिल करने का तहे दिल से शुक्रिया।
    सभी रचनाऐं बहुत सुंदर गहराई समेटे विभिन्न भावों के साथ सांगोपांग है। सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

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  8. सभी रचनाकारों की रचनाएं एक से बढ़ कर एक हैं ! हमकदम की पदचाप सबके मन में हलचल मचा देती है और फिर आत्म मंथन के बाद जो रत्न निकल कर सामने आते हैं उनकी शोभा सभी को चकाचौंध कर जाती है ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए हृदय से आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

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  9. परिक्रमा बिषयक सृजन धारदार प्रभाव छोड़ता हुआ. बेहतरीन रचनाओं के साथ आज की प्रस्तुति का अपना अलग अंदाज़ है. हम-क़दम को सफलता की ओर ले जाने के लिये आप सभी का आभार. लिखते रहिये.
    आदरणीया श्वेता की "आशा और निराशा" सूत्र वाक्य पर भूमिका प्रभावशाली है.

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  10. प्रिय श्वेता जी -- सार्थक भूमिका के साथ आज के विशेष लिंकों का संयोजन भी बहुत खास रहा | पहले तो परिक्रमा शब्द सुनकर लगा था कि इस पर सृजन कैसे होगा पर जब साथी रचनाकार लिखने गे तो कलम तोड़ लिखा | सच तो ये है कि पूरा संसार हे परिक्रमा के अधीन है | सौर मंडल में सभी ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं तो धरती सूरज के साथ अपनी धूरी पर भी घूमती दो -दो गतियों को जन्म देती हुई अपनी कक्षा में गोचर करती है | इसी तरह हर इंसान अपने स्वभाव में गोचर करता है | मन बीती यादों की फेरियां लगा -लगा समय बिताता है |सनातन संस्कृति में जीवन का सफर अग्नि की परिक्रमा के बिना पूरा नहीं होता तो मंदिर और पूजास्थलों की परिक्रमा के बिना सगुण पूजा अपूर्ण मानी जाती है | बहुत रोचक है ये सफर | हम रचना कर्म से जुड़े लोगों का आपने प्रिय रचनाकारों के ब्लॉग का नियमित चक्कर भी सार्थक परिक्रमा है | ये साहित्यिक सौहार्द यूँ ही बना रहे और हमकदम बन पञ्च लिंकों की महफिले सजती रहें , यही कामना है | सभी साथी रचनाकारों को हार्दिक शुभ कामनाएं | आपको सफल संयोजन और जीवन में प्रेरणा जगाते आशावादी चिंतन के लिए हार्दिक बधाई | सस्नेह ------

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  11. प्रभावशाली भूमिका के साथ इतनी सारी बेहतरीन रचनाओं का मेल मानो सोने में सुहागा !!!
    मेरी रचना को शामिल करने हेतु सादर, सस्नेह आभार!!!

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  12. हर लिंक अपना छापा मन पर छोड़ती है |मन में हलचल सकारात्मक सोच उत्पन्न करता है |उम्दा संकलन लिंक्स का |मेरी रचना शामिल की इस हेतु आभार सहित धन्यवाद |

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  13. प्रिय श्वेता जी ,
    नमस्कार । बेहद असरदार भूमिका के साथ सभी उम्दा लिंक संयोजन ।सभीे रचनाकारों की सृजनात्मकता को सादर नमन । मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं

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