---

बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

950..ये कैसी सियासत ? .....


२१ फरवरी २०१८
।।हार्दिक शुभेच्छा।।
साझी अभिव्यक्ति का 
माध्यम है ये मंच जो वक्त के 
साथ कदम मिला कर 950 अंक में  
प्रवेश कर रही..गिरफ्त है इनमें अब भी 
आने वाली कई सरगोशियाँ आज की 
लिकों में सामंजस्य कविता की नमी, 
हास्य के रंग,विचार पूर्ण विषय के 
द्वारा व्यथा की प्रस्तुति से है..
जहाँ तक सामयिक विषय.. 
की बात है मानो भ्रष्टाचार 
में शिष्टाचार ढूंढने का चलन बन पड़ा..
अब ज़्यादा समय नहीं लूंगी..✍

◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ 
प्रथम लिंक में आनन्द ले..
नदीश  जी की भावनाओं का कल्लोल..

जरूरी जिस कदर है सावधानी घर बनाने में
अचानक अश्क़ टपके और बच गई आबरू वरना
कसर छोड़ी न थी उसने मुझे पत्थर बनाने में
मैं सारी उम्र जिनके वास्ते चुन-चुन के लाया गुल
वो ही मसरूफ़ थे मेरे लिए खंज़र बनाने में

◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ 

द्वितीय है..जीवन के  सत्य को आइना दिखाती 
आदरणीय रवीन्द्र जी  की रचना..



जलाये रखना, 

उम्मीद आँधियों  में  

बनाये रखना। 

अब  क्या  डरना 

हालात की तल्ख़ियों से,



◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ 

तृतीय लिंक में विचार करें तालियों का पिटना..पर


आपकी किसी बात या रचना पर ताली बजना और 
उससे समाज में बदलाव आना दो बिलकुल अलग़-अलग़ बातें हैं। फ़ेसबुक के लाइकस् को भी हम इस श्रेणी में रख सकते हैं हालांकि 
वह तालियों जितना तुरंता और तात्कालिक नहीं है। जब तालियां 
बजती हैं तो माना जा सकता है कि आपके जीवन में ज़रुर 
कुछ बदलाव आता है, लोग आपको जानने लगते हैं, 

◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ 

कार्टून :- आओ ठाकुर




◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ 

चतुर्थ लिंक के अंतर्गत सखी मीना शर्मा जी की 
भावपूर्ण रचना मैं दीपशिखा - सी जलती हूँ !

मैं मन ही मन में गढ़ती हूँ,

पूजा करने उस मूरत की

मैं दीपाशिखा-सी जलती हूँ !

सपनों की भूलभुलैया में

मैं करती हूँ पीछा जिसका,

◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ 

पंचम लिंक में अडिग शब्दों का पहरा से..



रहा जीवन सदियों से कुर्सी की दासी

महल अजीर्ण, बाहर भूखी उबासी 

जन घिसता रहा पिसता रहा

पर कुर्सी तुझ पर चूं नहीं हुई।

बुद्धि लिखती रही, बेबसी बकती रही 

लाचार मरता रहा ईमानदार खपता रहा


◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ 


चलते-चलते देखें शकुंतला जी की
 खूबसूरत कृति..




यू नहीं आँधियों से घबराइए

गीत जिंदगी का गुनगुनाते जाइये

देख कर हँसेंगी ये बेरहम दुनिया

आँसू आंख में न हरगिज़ लाइए

गुज़रेंगे लोग और भी इधर से

राह से काँटे हटाते जाइये



◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ 

ये कैसी सियासत? 

ये कैसी कारगुजारी इनकी 

थम सी गई है दिल्ली ..

◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ 


चलिए अब बारी है 
सभी के लिए 
एक खुला मंच
आपका हम-क़दम 
सातवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय
............यहाँ देखिए..........
◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ ◙ 
।।इति शम।।
पम्मी सिंह

धन्यवाद..✍


10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात सखी
    प्यारी रचनाएँ
    प्यारा दिन
    प्यारे आप
    प्यारे हम
    पर कौन हुआ
    प्यारा
    दिल्ली में
    जानकारी नहीं है
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात् पम्मी जी,
    "पाँच लिंकों का आनंद" एक-एक क़दम तय कर सीढ़ियाँ चढ़ता 950वें अंक तक आ पहुँचा,हम यशोदा दी और समस्त सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित करते है।
    आज के अंक में सारगर्भित भूमिका के साथ बहुत सुदर रचनाओं का संकलन है। सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. सर्वप्रथम पाँच लिंको का आनंद के950 वे अंक की बहुत बहुत बधाई
    बहुत आभार मेरी रचना को शामिल किया,सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. 950वें पड़ाव पर पहुँचने की बधाई। बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  5. पाँच लिंको का आनंद के 950 वे अंक की बहुत बहुत बधाई
    बहुत सुदर रचनाओं का संकलन
    सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. ... वाह खुबसूरत पड़ाव 950/के आंकड़े तक पहुंचाने की सबकी मेहनत को नमन...युं ही पांच लिंको का कारवां बढ़ता रहे .आप सबों को बधाई....एंव इतने अच्छे लिंको के चयन के लिए पम्मी जी को बधाई... एवं अन्य सभी चयनित रचनाकारों को भी शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  7. ९५० वीं पायदान पर कदम रख एक नया कीर्तिमान स्थापित करने के लिए हलचल की समस्त टीम को बहुत-बहुत बधाई एवं अनंत अशेष शुभकामनायें ! हार्दिक अभिनन्दन ! आज की हलचल में चुनिन्दा सूत्रों का बहुत सुन्दर संयोजन पम्मी जी ! सभी चयनित रचनाकारों को बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ख़ूब पम्मी जी सुन्दर संकलन सभी रचनायें बेहतरीन

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत प्रसन्नता है अपनी रचना को पाँच लिंकों में पाकर...याद आते हैं वे दिन जब मैंने एक कच्चा पक्का सा ब्लॉग बनाकर लिखने की शुरुआत की थी और याद आता है हलचल यानि पाँच लिंकों को बड़ी हसरत से देखना...फिर अपनी पहली रचना का यहाँ चुना जाना...फिर इस हलचल परिवार के सदस्यों से मिलता स्नेह...सब कुछ याद आता है...खूब सारी बधाइयाँ ! 950 वें अंक की प्रस्तुति भी लाजवाब है। तहेदिल से आभार आदरणीया पम्मीजी कि इस अंक में मेरी रचना को आपने स्थान दिया। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।