इकाई सबके साथ मिल सैकड़ों में शामिल हो सकती थी
लेकिन काश में फँस हम स्त्रियाँ
मौका के साथ वजूद खोना स्वीकार करती हैं
सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
और
एक दिन विलम्ब से अनुजा स्वामी
आदरणीय दिग्विजय अग्रवाल जी को
जन्मदिन की हार्दिक बधाई
कल दिन भर सोचती रह गई
कि कहाँ संदेश दूँ कि लगूँ
माना की हैं वो जागीर तुम्हारी,पर हैं कद्रदान "उनकी"
निगाहे हमारी
अदाएं दिखाना,अदावों से,अदावों की मल्लिका, बस हैं
एक यहीं आरजू हमारी
उछाल दो जो "मुस्कान" सुर्ख, सतरंगी, लाल, होठों से,
तबियत दुरुस्त हो जाऐंगी हमारी
मेरे चश्म जहाँ नम ना हुए,
मोहल्ले की कोई दर ना थी
तू याद ना आये इक लम्हा,
ऐसी ये दियार ए सहर ना थी
पाठकों के लिए खुला मंच है हमारा नया कार्यक्रम
"हम-क़दम"
इसकी नवीनतम कड़ी में हमने आपको सृजन के लिए दिया है शब्द
"इंद्रधनुष"
उदाहरणः
इंद्रधनुष,
आज रुक जाओ जरा,
दम तोड़ती, बेजान सी
इस तूलिका को,
मैं रंगीले प्राण दे दूँ,
रंगभरे कुछ श्वास दे दूँ !
पूर्ण कर लूँ चित्र सारे,
रह गए थे जो अधूरे !
इस कार्यक्रम में भागीदारी के लिए
आपका ब्लॉगर होना ज़रूरी नहीं है।
इस विषय पर आप अपनी रचनाऐं हमें
आज शनिवार 3 फरवरी 2018 शाम 5 बजे तक
भेज सकते हैं।
चुनी गयी रचनाऐं
आगामी सोमवारीय अंक 5 फरवरी 2018 में प्रकाशित होंगीं।
इस विषय पर सम्पूर्ण जानकारी हेतु हमारा पिछला गुरुवारीय अंक
दिखाने के लिये लोग अहसान करते हैं
नाम मदद, पर कीमत मांगते हैं सभी।।
रोटियों का ढेर भले भरा हो जिनके गले तक
उनकी भूख का शेर पिंजरे में नहीं जाता कभी।।
हाले धरती,देख कर ही रो पड़े,
दूर से ये आस्मां भी , क्या करें !
झाँकने ही झांकने , में फट गए ,
ये हमारे गिरेबां भी , क्या करें !
इज्ज़त देना दूसरों को दुगनी जितनी चाहते हो अपने लिए,
फिर देखना कैसे मिलता है तुम्हे मान-सम्मान – ज़िंदगी में I
जो बांधते रहते हैं पुल तारीफों के तुम्हारी, मिलना जरुर उनसे,
बहुत कम रह गए हैं अब तो दुनिया में असली कद्रदान – ज़िंदगी में I
आइये कद्रदान लेकर आया सियासत की दुकान
झोपड़ियां दूंगा तुमको छीन कर के तुम्हारे मकान
फिर मिलेंगे... पलक झपका लीजिये... यूँ गई यूँ आई...
शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
सर्व प्रथम आभार उनकी ओर से
सदा की तरह उत्कृष्ठ प्रस्तुति
सादर
आदरणीय बड़ी दी...
जवाब देंहटाएंसादर चरणस्पर्श...
हृदय से आभारी हूँ...
सादर...
सुप्रभातम् विभा दी,
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। हमेशा की तरह अलग अंदाज़ में प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी।
आभार आपका दी।
सुंदर प्रस्तुति से सुवासित जन्मदिवस की शुभकामनायें!!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति
हमेशा की तरह आकर्षक बाना पहने अलहदा सा अस्तित्व रखती सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंदिग्विजय भाई साहब को विलम्ब जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआदरणीय विभा दी की प्रस्तुति लाज़वाब होती है और बेमिसाल रचनाएं सामने आती हैं । आदरणीय दिग्विजय जी को जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंसादर
हमेशा की तरह अलग सुंंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
आदरणीय दिग्विजय जी
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की बहुत बहुत बधाई
हमेशा की तरह एक नया विषय
बहुत सुंदर प्रस्तुति
बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन.....
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की शुभकामनाएं ,सर !
सुंदर कड़ियों का संकलन.
जवाब देंहटाएंआदरणीय दिग्विजय जी को जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयाँ
बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीया विभा दीदी की। साहित्यिक गतिविधियों की झलक के साथ उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन। इस अंक के लिए चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।
जवाब देंहटाएंआदरणीय विभा दीदी -- आपकी एक विषय पर अनेक रचनाओं की प्रस्तुति की कायल हूँ |बहुत बड़ी बात है जीवन में किसी का कद्रदान होना और कद्रदानी करना | किसी की कद्र किसी के लिए उन्नति के अनेक दरवाजे खोल सकती है | सभी रचनाएँ बहुत हृदयस्पर्शी लगी | उन सभी रचनाकार मित्रों को हार्दिक बधाई जिनकी रचनाएँ आज के संकलन में शामिल हुईं | समयाभाव के कारण फिलहाल उन पर लिखना संभव ना हो पाया पर पढने का लोभ छोड़ ना पाई | आपको सफल संचालन के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं | नारी जीवन पूर्वाग्रह से ग्रसित ना हो तो ईवन को बदलते देर ना लगे | आदरणीय दिग्बिजय जी को जन्म दिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं | ईश्वर उन्हें उत्तम स्वास्थ्य , समृधि और निरंतर साहित्य साधना की शक्ति प्रदान करें | सादर
जवाब देंहटाएंआदरणीय बड़ी दी...
जवाब देंहटाएंसादर चरणस्पर्श...
हृदय से आभारी हूँ...
सादर...
रचना पसंद करने के लिए आपका आभार विभा जी !
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