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शनिवार, 13 जनवरी 2018

911... मेले- लोहड़ी-खिचड़ी की शुभकामनायें




इस ब्लॉग से शुरू हुए  नए कार्यक्रम 
एक क़दम आप.....एक क़दम हम
बन जाएँ हम-क़दम

का इस सप्ताह का बिषय है- 
"अलाव"
आप अपनी रचनाऐं आज शनिवार (13 जनवरी 2018 ) 
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी 10 रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक (15 जनवरी 2018 ) में प्रकाशित होंगीं। 
इस विषय पर सम्पूर्ण जानकारी हेतु हमारा पिछले गुरुवारीय अंक 
(11 जनवरी 2018 ) देखें या नीचे दिए लिंक को क्लिक करें -

909...एक क़दम आप.....एक क़दम हम बन जाएँ हम-क़दम


आज

Image result for लोहड़ी पर कविता
कल समाप्त हो जायेगा साहित्यकारों का कुंभ

चित्र में ये शामिल हो सकता है: 6 लोग, लोग खड़े हैं

मेले की बात करते हैं

सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

तो
खेले
झमेले
जेहन मेले
ख़ुशी की यादें
रंगीन चूड़ियाँ...
गम बबूल कांटें..
हां!
गच्चा
ना सच्चा
काम-कच्चा
साहित्य भीड़
सोंठ संपादक
ऐंठा-ऐंठा लेखक

हिन्दी फ़िल्मों के इतिहास को खंगालेंगे तो राजेंद्र कुमार जी के दशक की
फ़िल्मों में एक बात कॉमन थी कि नायक-नायिका के बीच की इश्क़ियाहट क़िताबों के गिरने
और फिर साथ-साथ उठाए जाने से प्रारंभ होती थी. आंखों-आंखों में हुआ ये
प्यार इतना सशक्त हो जाता था कि बगिया के फूलों की डाली को झुकाकर
और नदी की बहती धारा से अठखेलियाँ करते हुए
जमाने भर से लड़ने की ताक़त एकत्रित कर लेता था

और विस्तार से जानने के इच्छुक खुद थोड़ा श्रम करें


चित्र में ये शामिल हो सकता है: 8 लोग, लोग खड़े हैं


सुन्दर-सुन्दर खिलौने,
झूलों पर झूलते लोग,
जलेबियां और समोसे,
हँसते-खिलखिलाते चेहरे,
मायूस, उदास चेहरे,
ठग, चोर-उचक्के,
मासूम-से बच्चे.


चित्र में ये शामिल हो सकता है: 7 लोग, Renuka Chitkara सहित, मुस्कुराते लोग



 देश भर के अनेकों बुद्धिजीवी इस अवसर पर एक साथ एकत्रित होते हैं, 
अत: पाठक लेखक संवाद को सहजता से यहाँ स्थापित देखा जाता है। 
अपने प्रिय लेखकों को सामने पा कर न केवल पाठक ही अभिभूत होता है 
अपितु लेखक को भी रचनाओं पर स्वाभाविक एवं सम्मुख प्रतिक्रियायें मिल पाती हैं। 
ऐसे आयोजन इस लिये भी नितांत आवश्यक हैं 
चूंकि इनके माध्यम से पुस्तकों के प्रति एक गंभीर अभिरुचि उत्पन्न होती है।


चित्र में ये शामिल हो सकता है: 5 लोग, मुस्कुराते लोग, लोग बैठ रहे हैं



कंधे पर चलने वाली गठरी मुठरी के अंदर के अनिवार्य सामानों की चर्चा हो
चाहे नई नवेली दुल्हन के चाल ढाल की,
दो सहेलियों की आत्मीय बातचीत के झगड़े में बदलने की दास्तान हो
या अटैची के ताले के मोलाने या ड्रामा देख कर भौजी के उछलने की बात हो..
हर जगह अपने सूक्ष्म अवलोकन


Image result for लोहड़ी




जोड़ सके जो सब को उसका नाम है एकता,

इसी से मिलती है दुनिया में सफलता.

एक- एक फूल से बनती है माला,

एक- एक धागे से बनती है दुशाला .

घर बनता है एक-एक ईंट से 








लोहड़ी के पर्व का ध्यान आते ही या नाम सुनते ही 
मन में भांगड़ा, गिद्दा, मूंगफली और रेवड़ी की तस्वीर उभरने लगती है। 
ऐसा लगने लगता है अब सर्दी तो 
बस कुछ ही दिन की मेहमान है।

चित्र में ये शामिल हो सकता है: 5 लोग, मुस्कुराते लोग, लोग खड़े हैं



थकी हारी सी आती है 
कोहरे की चादर ओढे कभी
कभी गुमसुम सो जाती है
घर से बाहर निकले कैसे
दाँत टनाटन बजते है
मौसम की मनमानी दे

सर्दी की चुनौती "लेख्य-मंजूषा" के सदस्यों को आज मिली है
विस्तार से जानकारी अगले अंक में

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विचित्र लग रही न .... हूँ ही ऐसी 

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत प्यारी लग रही है दी:)👌
    सुप्रभातम् विभा दी, सुंदर त्योहारों का एक पुलिंदा सकारात्मक ऊर्जा भरने आ गया है। आपको भी मकरसंक्रांति और लोरी की हार्दिक शुभकामनाएँ है।
    हमेशा की भाँति विशिष्ट संकलन दी। सुंदर रचनाओं का संग्रहन।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात दीदी
    सादर नमन
    आज की एक विषयक प्रस्तुति आपकी आम प्रस्तुतिया से भिन्न है
    मन भावन है...खुशबू भी आ रही है
    आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छी हैं और बहुत अच्छी लग रही हैं। हमेशा की तरह लाजवाब प्रस्तुति विभा जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. ऋतु और त्यौहार का सुंदर संगम तिल गुड मूंगफली की सोंधी खुशबू लिये मधुर सी प्रस्तुति।
    चेहरे पे अनुभव का नूर,मधुर स्मित मन मे नेह और आदर जगाती सी लग रही हो दी जी।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही अच्छी लग रहीं है दी
    प्यारी - प्यारी सी

    जवाब देंहटाएं
  6. नमन विभा दी 🙏
    आपसे आज पहला दीदार
    प्रथम देव दर्शन का सा लग रहा है !
    त्यौहार की भीनी भीनी महक से महकते काव्य छंद
    मन को लुभा रहे है ... ..मै हूँ ही ऐसी के साथ नेह से छलकती हँसी मिठास घोल गई ..नमन
    शुभ सँक्रान्ति दी

    जवाब देंहटाएं
  7. ना जाने क्यों,'मेला'शब्द को जब भी सुनती हूँ मुझे 'मेला'फिल्म का वह गीत याद आ जाता है -
    "ये ज़िंदगी के मेले दुनिया में कम ना होंगे,
    अफसोसं, हम ना होंगे !"
    गीतकार शकील बदायूँनी जी की बेहतरीन रचना है ये गीत!
    आज विभा दी को अचानक ये क्या सूझी ?....विचित्र नहीं,स्नेहमयी मुस्कान के साथ प्यारी लग रही हैं आप आदरणीय विभा दी ! बहुत अच्छी प्रस्तुति हम तक पहुँचाने के सादर धन्यवाद ! शुभकामनाएँ.....

    जवाब देंहटाएं
  8. मेले के कई रंग लिए बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  9. दिन भर की मेहनत और भाग दौड़ के बाद
    गनीमत है की आप शाम को सही सलामत घर पहुँच गए होंगे

    अब देश के हालात जानने के लिए टीवी खोल लीजिये

    चेंनल नंबर 1
    यह चैनल आपको दिखा रहा है की पाकिस्तान और चीन को कैसे सबक सिखाया जा रहा है,
    और यहाँ बगदादी चारों तरफ से घिर चूका है

    क्या हुआ ? संतुष्ट नहीं हुए तो चलिए चैनल बदल लीजिये

    चैनल नंबर 2
    यहाँ आपको अमेरिका और किम जोंग के सारे प्लान बताये जा रहे है
    जरा ध्यान से सुनते रहिये फ्यूचर में यह प्लान शायद आपके काम आएंगे

    अब भी आपको अगर सुकून नहीं है तो अगले चैनल पर चलिए

    चैनल नंबर 3
    यहाँ पर हिन्दू मुस्लिम के अधिकारों की बहस हो रही
    तलाक और गाय का यहां पर कब्जा है मुल्लां और पंडित अपने अपने धर्म की ठेकेदारी कर रहे है,


    क्या सोच रहे हो ? देश के हालत जानने के लिए टीवी खोला था आगे चलिए बताते है


    चैनल नंबर 4
    यहाँ पर अदालत लगी है ऐंकर ही वकील है और ऐंकर ही जज है
    ध्यान से सुनते रहिये कुछ ही देर में यहाँ पर किसी न किसी को देशद्रोही ठहरा दिया जायेगा

    क्या हुआ गुस्सा आ रहा है ?
    गुस्से को काबू में रखिये जनाब वरना ऐंकर टीवी से बहार निकल आएगा

    देश में क्या चल रहा है यह तो अब आप जान ही चुके होंगे
    टीवी बंद कर दीजिये और सुकून से सो जाईये
    कल फिर आपको दो जून की रोटी की तलाश में निकलना होगा

    जवाब देंहटाएं
  10. लोहड़ी की शुभकामनाओं के साथ विविधता से परिपूर्ण आयोजन. बेहतरीन अंक. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें . विचारणीय चर्चा मेले पर...
    लोहड़ी पर्व की शुभकामनायें .

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर प्रस्तुति....
    लोहड़ी की शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

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