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मंगलवार, 9 जनवरी 2018

907....अमल को जो समझे कि वह फ़र्ज़ है, वह जाने कि वह फ़र्ज़ भी क़र्ज़ है.

जय मां हाटेशवरी....
 इस वर्ष की मेरे द्वारा प्रस्तुत पहली  चर्चा में आप का स्वागत व अभिनंदन है....
2017 जाते-जाते उर्दू शायरी में गीता' लिखने वाले मशहूर शायर अनवर जलालपुरी को भी हमसे हमेशा-हमेशा के लिये  दूर कर गया..... श्रीभगवद्गीता के श्लोक अगर आपको उर्दू शायरी के रूप में पढ़ने को मिलें तो आप क्या कहेंगे! जी हां, यह संभव हुआ है मशहूर शायर अनवर जलालपुरी के हुनर और मेहनत
की बदौलत. उन्होंने भगवान कृष्ण के उपदेशों को संजोए हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी अखलाकी तालीमात की किताब भगवद्गीता को उर्दू शायरी में तब्दील करके पेश किया है.

किताब में गीता के 701 श्लोकों को 1761 अशआर में ढालकर पेश किया गया है. गंगा-जमुनी तहजीब वाले इस देश में लोगों को रूहानी पैगाम के जरिये फायदा पहुंचाने की एक कोशिश है. जलालपुरी का कहना था  कि जंग के मैदान में अपनों को दुश्मन के रूप में खड़ा देखकर अर्जुन के जेहन में पैदा हुई कशमकश, अंतर्द्वंद्व और उस पर भगवान कृष्ण की तनकीद और तर्कों को उर्दू के अशआर में बेहद आसान अल्फाज में भावान्तरित करके किताब में उतारा गया है.

कुछ श्लोक तो एक ही शेर में उतर गये जबकि कुछ को उर्दू शायरी की तबीयत और नफासत में ढालने के लिये कई अशआर में फैलाना पड़ा. मिसाल के तौर पर संस्कृत में लिपिबद्ध भगवद्गीता के पहले और दूसरे श्लोक का भावान्तरण कुछ इस तरह से किया गया है-

कृष्णा ने अर्जुन को समझा दिया, अमल की हक़ीक़त को बतला दिया
बताया कि योगी है मर्दे अमल, अमल ही से है उसका जीवन सफल
बिना फल अमल जो करे उम्र भर, बने राहे हक़ उसकी ही रहगुज़र.
अमल को जो समझे कि वह फ़र्ज़ है, वह जाने कि वह फ़र्ज़ भी क़र्ज़ है.
इन के द्वारा किया गया ये महान कार्य इन्हे अमर कर गया.....आज के इस रसखान को मेरा कोटि-कोटि नमन.....

अब प्रस्तुत है....मेरी पसंद के कुछ लिंक.....
प्यार तो करता है....
शिकवा करे दिल मेरा,मशरूफ मुहब्बत का
हर रोज मुझे मिलकर तकरार तो करता है
वो दूर खड़ा मुझसे,पास आना भी गर चाहे
दिल उसका है दीवाना ,दीदार तो करता है
कहती है यही रश्मि,दुनिया की रवायत है
वो मेरा दीवाना है और प्यार तो करता है

पत्थरों की नुमाइश...सचिन अग्रवाल
 भूख को यूँ तसल्ली हुई
पत्तियों को उबाला गया
बच्चे जब चैन से सो गए
हलक़ से तब निवाला गया
चाहतों की गुज़ारिश भी थी
साँप भी घर में पाला गया
है पहाड़ों का सर भी वहीं
रास्ता भी निकाला गया


ध्वनि प्रदूषण
"साहब जी अंधेरा हो गया है। हम आदमी लोग रात जागते हैं लेकिन पेड़, पौधे सोते हैं। पशु और पक्षी अपने ठिकानों को चले जाते हैं। दिन में आपको यहां बंदर, लंगूर और पक्षी मिलेंगे। अंधेरा होते सब सो जाते हैं। उनके एकांत में खलल मत डालिये। उनको छोड़ो, शोर से बच्चे, बीमार और वृद्ध परेशान होते हैं। पर्यावरण का संबंध कूड़े से नही बल्कि ध्वनि प्रदूषण से भी हैं। अधिक शोर बहरा कर देता है। संगीत बंद करके प्रकृति की आवाज सुनिए साहब जी। मंद हवा की आवाज का आनंद लीजिए।" कह कर चाय वाला अपने रास्ते चला गया।
राहुल और रिया ने संगीत बंद किया। मंद चलती हवा की आवाज सुनते हुए हाथों में हाथ लिए शिमला की ओर बढ़ते गए।

सपनों के लिये !!!
जिस दिन
तुम प्यार से उन्हें
सहेज़ना सीख जाओगे
यकीं मानो तुम्हारे सपने
अपने आप पूरे हो जाएंगे !!!

जिन्दगी के दोहे
रविकर झुक के यदि चढ़ो, हो चढ़ना आसान।।
इम्तिहान है जिन्दगी, दुनिया विद्यापीठ।
मिले चरित्र उपाधि ज्यों, रंग बदलते ढीठ।।
छूकर निकली जिन्दगी, सिहरे रविकर लाश।

बरसो!
कवि आशावादी होता है, कुछ तो मैं भी हो लूँ
कवि-कर्तव्यों से अच्युत रह निज-विवेक-पट खोलूँ
कीचड़ में कमल खिलेगा
मन में यह अभिलाषा है
तुम कीच करो अभिधा का
हाँ, बरस ! चौमासा है

दो बेहतरीन प्रेरणादायक हौसलों पर कविता (Motivational Poem in Hindi)
नित नये सपने तू देख
पूरा करने का उन्हें रख हौसला,
अगर लक्ष्य तेरे है बुलंद
तो सपने भी सच होंगे,
आज बस इतना ही....
धन्यवाद।

हम एक नया कार्यक्रम करना चाहते हैं आपके साथ
विस्तृत विवरण गुरुवार की प्रस्तुति मे देखिए
कार्यक्रम है....
एक क़दम आप.....एक क़दम हम

बन जाएँ हम-कदम
...भवदीय...
यशोदा














17 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय कुलदीप जी,
    सुप्रभात।
    गीता का उर्दू में अनुवाद करने वाले प्रतिभावान शायर शायर अनवर जलालपुरी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि, एक सार्थक और सुंदर भूमिका के साथ सुंदर रचनाओं का गुलदस्ता तैयार किया है आपने। सारी रचनाएँ बेहद उम्दा है।
    अंत में पाँच लिंकों के नये कार्यक्रम की घोषणा उत्सुकता जगा गयी।
    आभार आपका इस लाज़वाब संकलन के लिए।

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  2. शुभ प्रभात भाई कुलदीप जी
    आभार अनूदित गीता का अंश पढ़वाने के लिए
    सादर

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  3. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति। मन बाग-बाग हो गया। तमाम शुभकामनाएँ।

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  4. सुप्रभात
    गीता का उर्दू में अनुवाद करने वाले प्रतिभावान शायर अनवर जलालपुरी जी को नमन..सुंंदर संकलन
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई..
    नए कार्यक्रमों के लिए उत्सुकता बनी है
    आभार।

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  5. सुन्दर प्रस्तुति। नये कदम का स्वागत और इन्तजार भी।

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  6. नमन यशोदा दी ....आपका संकलन मुक्ता मणि सा सदा अमुल्य होता हैँ
    हम कदम का इंतजार ..🙏

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  7. वाह!!बहुत शानदार प्रस्तुति ..सभी रचनाएँ एक से बढकर एक ...गीता अनुवादक अनवर जलालपुरी जीको सादर नमन।

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  8. सभी चयनित रचनाएं ताजगी से भरपूर है, गीता का उर्दू में अनुवाद करने वाले अनवर जलालपुरी जी के बारे में आपकी द्वारा साझा की गई जानकारी महत्वपूर्ण है .. उससे जुड़े कुछ अंशों की प्रस्तुती उत्सुकता जगा रही है.... मनभावन लिंको का चयन एंव आपकी प्रस्तुता की भूमिका शानदार रही..!

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  9. बेहतरीन रचनाएँ, सभी एक से बढ़कर एक ! नए कार्यक्रम का इंतजार रहेगा । सादर ।

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  10. बहुत सुंदर प्रस्तुति भाई कुलदीप जी। मरहूम हर दिल अजीज शायर अनवर जलालपुरी साहब को आपने बख़ूबी याद किया है।
    बेहतरीन रचनाओं का संकलन है आज का अंक। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

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  11. बहुत बढ़िया प्रस्तुति। सभी को बधाई । मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं

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