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सोमवार, 1 जनवरी 2018

899.....बनी रहे पालतू लोगों की फालतू होड़ कल आ रहा हूँ मैं अबे ओ कुर्सी छोड़


🌷अभिनन्दन अभिनन्दन🌷
नूतन वर्ष २०१८ के प्रथम दिवस पर
हमारा पाँच लिंकों का आनंद परिवार समस्त
पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित करता है।

"कोई लौटा दे मेरे , बीते हुए दिन 
बीते  हुए दिन वो हाय , प्यारे पल छिन" 

- कविवर शैलेन्द्र 

"बीत गयी सो बात गई"    
- कविवर डॉ. हरिवंश राय "बच्चन"  


  भारतीय जीवन दर्शन की छाप दर्शाता विचार -

"बीती ताहि बिसार दे , आगे की सुधि लेहु" 


आइये नए साल का इस्तक़बाल स्थापित मान्यता के साथ करें। 

बीता हुआ पल वापस नहीं आ सकता तो फिर उस पर  चिंता करना  मूर्खता का पर्याय है वहीँ वर्तमान पर चिंतन 
बुद्धि और विवेक की ख़ुराक़ है। 
दिल खोलकर स्वागत कीजिये 2018 का -

पाँच लिंकों का आनंद परिवार आपके जीवन में ख़ुशियों की मंगलकामनाओं के साथ हाज़िर है आज की चंद 
चुनिंदा रचनाओं के साथ 
- रवीन्द्र सिंह यादव 

प्रकृति दुल्हन मिटाए हर टीस
सहायक रहे वासी दुगध-नदीस
बख़्शीश में हर पल नया आशीष
अठारह बीस दूर रहे आपसे खबीस
-आदरणीया विभा दी

आ गई नई सुबह
एक आशा और विश्वास लिए
नवनिर्माण विकास की आस लिए
नूतन वर्ष में कुछ नया कर दिखाएंगे
राष्ट्र का सम्मान और गौरव बढ़ाएंगे
आंग्ल नववर्ष की शुभ कामनाएँ
-आदरणीया यशोदा दी


खिलखिलाये हर पल जीवन का
वर्ष अठारह बहुत ही खास रहे
सद्भकर्मों की लहरों से सुरभित
जन-मन में मानवता का वास रहे
-आदरणीय दिग्विजय सर

"नववर्ष-सन्दर्भे मम हार्दिक-शुभकामनाः”
हायकू
   अहद करों
यजन, याजन से
  तुच्छ विचार।
सर्वे भवन्तु सुखिनः
-आदरणीया पम्मी जी

कहता है कलैंडर
आगे बढ़ो
रुको नहीं,
पर भागो नहीं,
अपनी गति में चलो।
बदलता है
सब कुछ ही।
हर पुराने के बाद
एक नये का उदय
क्रम चलता है यही...

कहता है पुराना वर्ष
पहुंच चुके हो जहां,
उससे आगे चलना,
रुकना नहीं
न भय लाना मन में।
जो भूल हुई,
 न दौहराना उसे,
जो न पा सके,
अब पाना उसे
इस नव वर्ष में...
लाया है नव वर्ष,
सब के लिये
नया उत्साह
 नयी उमंगे
नये सपने।
जब उदय होगा
नव वर्ष का सूरज,
जल उठेंगे
नव आशाओं के दीप
नव वर्ष का अभिनन्दन है...
नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.....


-आदरणीय. कुलदीप जी

 नववर्ष की बधाई और शुभकामनाओं 
की खुशबू का पुलिंदा लिये सतरंगी लेेेखनी से 
प्रस्फुटित नववर्ष पर शायरी
मिज़ाज़ मस्ती का, खुशहाल नया लाया है
सुहाने ख़्वाब का, कमाल नया लाया है
दिलों की ख्वाहिशों को, और हवा दे देना
तुम्हारे वास्ते यह, साल नया आया है।

प्रकृति के नश्वरता और सृष्टि के नियम को 
सारगर्भित रुप से परिभाषित करती
फिर अंकुरित हो जाती है
नवपल्लव भी
दिखाई पड़ने लगती है
कुछ जिद्दी लताएँ
साथ ही नही छोड़ती 


समय का पहिया भला कभी रुकता है आदरणीय विश्वमोहन जी की सुरभित लेखनी से प्रसवित  मनभावन रचना

यूँ समय सरकता जाता है
निशा दिवा का नयन मटक्का
अंजोर अन्हार की अठखेली
ठिठुर ठिठक कर ठहर गई है
हर्ष विषाद की अबूझ पहेली

वर्तमान परिदृश्य में राजनीतिक विकृतियों को परिभाषित करती आदरणीय गोपेश जसवाल जी की तिरछी नज़र से
महाकवि दिनकर से थोड़ा हटकर
फिर से आकर नादिर कोई, 
मेरी अस्मत को लूटेगा, 
यह सोच के दिल्ली, बार-बार, 
दिल ही दिल में, थर्राती है. 

शांतनु सान्याल जी की एक गंभीर रचना का आनंद लीजिये -
हमने 
भी सीख लिया जीना 
इन पागल हवाओं 
से। रास्ता नहीं 
मिलता है 

हृदय के कोमल भावों को प्रकृति के माध्यम से व्यक्त करती 
आदरणीय  रवींद्र जी की बेहद खूबसूरत रचना
आ गया बर्फ़ीला-सा  आह का झौंका 
हिज्र में पलकों पे नमी आ रही है।


समाज का विकृत  होता चेहरा और व्यवस्था की लाचारियाँ पेश  करती 
डॉ. जेन्नी शबनम जी  की एक मर्मस्पर्शी रचना- 
जिन दानवों ने गुड़िया को नोच खाया  
पौरुष दंभ से सरेआम हुंकार रहा  
दूसरी गुड़िया को तलाश रहा  
अख़बार के एक कोने में ख़बर छपी  
एक और गुड़िया हवस के नाम चढी!  



समय की धार में बहते खूबसूरत पल
आदरणीया मीना जी की कलम से 
की कलम से
रेशमी सलवटों को छूते हुए,
जैसे खुशबू की फसल बोते हुए,
मिलती नज़रों से सिहरते लम्हे,
बंद हैं वक्त के पिटारे में !

गाम्भीर्य भाव  से लबरेज़ 
पढ़िए अनुपमा पाठक जी की एक मोहक  रचना -

इन विडम्बनाओं को आत्मसात किये

हमें बर्फ़-सा पिघलना था

ठोकरें थी, गिरना था, संभलना था 




वक्त के पास ही सारे सवालों का ज़वाब है।

आदरणीया डॉ.प्रतिभा सक्सेना

याद रखना -
समय बख्शता नहीं किसी को,
हिसाब पूरा कर छोड़ता है !


अक्सर हमारे बीच  चर्चित हास्य-व्यंग के
पात्र शेखचिल्ली की रोचक कहानी प्रस्तुत की साधना वैद जी ने-


एक दिन गाँव की एक लड़की सूखे कुए में गिर गयी ! सारा गाँव उसे खोजने लगा ! शेख भी उसे खोजने लगा ! शेख को कुए के अंदर से लड़की के चिल्लाने की आवाज़ सुनाई दी ! उसने सबको बुलाया देखो, ‘लड़की चिल्ली रही है !’ लोगों ने लड़की को कुएं से बाहर निकाला ! लड़की ज़ोर-ज़ोर से रो रही थी पर उसे ज्यादह चोट नहीं लगी थी ! शेख ने कहा, ‘ये चिल्ली रही है पर ठीक हो जायेगी !’ 


अपने अनूठे ठेठ व्यंग के लिए मशहूर ताऊ रामपुरिया जी  
का चर्चित व्यंग आपकी नज़र -
और साहब आप ये समझ ल्यो कि चन्दू गधा लन्च करता हुवा यानि घास चरता हुवा इन गधियों के बीच मे चला जाता तो भी उन सुन्दर और जवान गधियों के मालिकों को कोई ऐतराज नही होता ,

हम आपका परिचय करवाते हैं नवोदित कवियत्री की रचना से
ज़िन्दगी  ने फिर से 
बनी बनाई चाय
उड़ेल दी कप में  मेरे ,
चाहे चाय ,
बेस्वाद ही क्यों  न बनी हो।
हर बार की तरह
अपनी परेशानियों  में  लिपटी ,

अब निगाह डालिए 

उलूक के पन्ने में आदरणीय सुशील सर की कृति 

आईये 
फिर से 
शुरु हो जायें 
गिनती करना 
उम्मीदों की 



उम्मीदें 

किसकी कितनी 
उम्मीदें कितनी 
किससे उम्मीदें 



हर बार 

की तरह 
फिर एक बार 
मुड़ कर देखें 
कितनी 
पूरी हो गई 
.......
नूतन वर्ष के नवीन अंक में
एवं
श्वेता
की नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
आप सभी की भी शुभकामनाएँ अपेक्षित है।

वसुधा के प्रांगण में
करने को नवीन परिवर्त्तन
जन-जन की आँखों में
मखमली उम्मीदों के
बंदनवार सजाकर
आत्ममुग्ध स्वच्छ शुचि उद्गम् ले
नववर्ष मनभावन
आशाओं की किरणों का
हाथ थामकर स्मित मुस्कुराता
चला आ रहा है।


18 टिप्‍पणियां:

  1. साल तो बदल गया , इन रचनाओं के साथ अपना दृष्टिकोण भी बदलें ताकि हमारे दिन भी बदल सकें.
    साहित्यप्रेमियों को वैचारिक ख़ुराक दे रहा है साल का पहला अंक.
    सबको नया साल मुबारक .

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  2. शुभ प्रभात आप सभी को
    नव वर्ष की अनन्त शुभ कामनाएँ
    श्रेष्ठ रचनाओं का चयन
    छोड़ा हमें भी नहीं
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. 🙏💐ढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं संग शुभ दिवस 🌹
    वाह
    गज़ब

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  4. नववर्ष मंगलमय हो सभी के लिये। सारी शुभकामनाएं। हलचल की नववर्ष की प्रथम प्रस्तुति 'उलूक' के आचमन के साथ शुरु करने के लिये आभार श्वेता जी।

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  5. उषा स्वस्ति..
    सर्वप्रथम आप दोनों को ढेर सारी बधाइयाँ जो इतनी मेहनत से बनी और निखर कर एक विशेषांक के तौर पर प्रस्तुत हुई..
    सभी रचनाएँ बहुत बढिया सभी चयनित रचनाकारों को बधाई
    आभार।
    नव वर्ष मंगलमय हो,💐

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  6. उत्कृष्ट व सराहनीय प्रस्तुति.........
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ सहित नई पोस्ट पर आपका इंतजार .....

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  7. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
    नववर्ष सभी के लिए मंगलमय हो!

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  8. आप दोनों की मेहनत से खुबसूरत रचनाओं की रंगोली निखर आई... कहीं खुशबूएं तो कहीं रंग गहरा गये ।... बधाई इतनी अच्छी हलचल प्रस्तुति के लिए एवं सभी चयनित रचनाकारों को भी बधाई एवं नववर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं।

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  9. सराहनीय प्रस्तुति.........
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ सहित

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  10. अरे वाह ! नव वर्ष के प्रथम अंक की तो बानगी ही अनुपम है ! मेरे ब्लॉग से शेखचिल्ली की कहानी का चयन करने के लिए हृदय से धन्यवाद ! हलचल की समस्त टीम, सभी माननीय रचनाकारों, सभी सुधि पाठकों एवं सभी मित्रों व सखियों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं एवं नूतन वर्षाभिनंदन !

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  11. एक अनुपम प्रस्तुति।
    नव वर्ष मंगलमय हो।

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  12. आप सभी को नववर्ष की ढेर सारी बधाई एवं मुबारकबाद। नया साल आप लोगों के जीवन मे आपार खुशियां लाए ।
    --- विश्वमोहन सपरिवार

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  13. आ गया बर्फ़ीला-सा आह का झौंका
    हिज्र में पलकों पे नमी आ रही है।

    वाह वाह। नवबर्ष को इससे बेहतर रचनात्मक नहीं बनाया जा सकता। एक नये कैलेंडर की अद्भुत शुरुआत। एक से बढ़कर एक रचनाओं की कलकल बहती साहित्य सरिता में गोते लगाकर आनंद आया। सभी सुधि रचनाकारों को एवम सुधि पाठकों को नवबर्ष की अतुल्य शुभकामनाएं। मेरी रचना को स्थान देने के लिये कृतज्ञता प्रेषित करता हूँ।

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  14. सुन्दर प्रस्तुतिकरण एवं उम्दा लिंक संकलन.....

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  15. शुभ प्रभात
    सर्व प्रथम आप सभी को नववर्ष की शुभकामनाएँ
    काफी से अधिक बेहतरीन अंक
    हमारी ओर से दोनों कलाकारों का अभिनन्दन
    आदर सहित

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  16. बहुत सुन्दर संकलन , सभी रचनाकारों को बधाई व् नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

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