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शनिवार, 30 दिसंबर 2017

897... छत



चलो साल पूरे हो गये


चार खंभे
लगे अपने-अपने
क्षेत्रफल बढ़ाने
क्या करे बेचारी


गाँव के अनेक
चित्र उभार देता है
गुलाब
खेतों खलिहानों के
और ‘उसके’
जब उसे पहली बार देखा था
कुएँ पर
हथेलियों के बीच
अपना मुँह छिपाए-मगन।
माँ का चेहरा
जैसे पंखुड्रियों के किनारे सूख गए हों
फिर भी बाकी हो
उनमें तेज
और सुगंध भी।


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ये चाँद भी देख सरमाया
कभी छुपा कभी दिखा
तो कभी उसे रोना आया
जब वो छत पर आया
तो दिल को सुकून आया
उस चंद लब्जो में ही
फूलों को हे बरसाया



सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
जिन्दगी ना जाने कब पूरी हो
कौन सोचे क्यों सोचे जब हो पास


साँझ परैत सब दिन छत पर 
हम अहाँ के तकैत छी 
कहिओ जल्दी कहिओ देरी 
अहाँ छत पर आबैत छी 
कहिओ छोट कहिओ नम्हर 
अहाँ किया रूप बनाबै छी 
कहिओ किया हमरा सँ दुर 
मेघ में किया नुकैत छी


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याद करना चाहता हूँ 
उन अँधेरी रातों को जब छत पर सोते बेसुध
और टिमटिमाता तारा सुनाता परी कथा 
याद करना चाहता हूँ 
उन पगडंडियों की महक को
जब भेड़ें लादे पीठ पर अपनी
नमक और कणक लाती

><

फिर मिलेंगे ले निराले ढ़ंग
नये साल में नई बातों के संग


11 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    सादर नमन
    अच्छी व मनभावन
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह्ह..
    सुप्रभातम्
    आदरणीया विभा दी,
    बहुत सुंदर संकलन है,हमेशा की तरह लाज़वाब रचनाएँ हैं
    आज के शनिवारीय विशेषांक में।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभातम।
    सादर नमन आदरणीया दीदी।
    जीवन में छत क्यों आवश्यक है बहुत ख़ूबसूरती से बयां कर रही हैं आज की रचनाएं।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
    थीम पर आधारित रचनाओं का संकलन एक बड़ी चुनौती होती है जिसे एक विशेषज्ञ के तौर पर आदरणीया विभा दीदी हमारे बीच पेश करती आ रही है।
    रसमय आनंद लीजिए छत के विभिन्न रूपों का विभिन्न रचनाओं में।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर विषयवस्तु के साथ प्रस्तुत आज की सुन्दर हलचल।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचनाओं का संकलन

    जवाब देंहटाएं
  6. सुप्रभात हमेशा की तरह सुंदर प्रस्तुति आभार आपका

    जवाब देंहटाएं
  7. एक शब्द विशेष पर आधारित रचनाओं का संकलन आज की प्रस्तुति की विशेषता है..
    बहुत बढिया।
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीय विभा दीदी का संकलन बेहद खास होता है. वे हमेशा नये लोगों को खोज कर लाती हैं उनकी बेमिसाल रचनाओं के साथ. एक ही विशय पर खास पेशकस करना बेहद कठिन काम है जिसे वे बहुत अच्छी तरह से निभाती हैं.
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  9. हलचल मचाता लिंक की छत पर लटका है .... आज चाँद! बहुत सुंदर संकलन।

    जवाब देंहटाएं
  10. आदरणीय विभा दी -- आपके चिंतन से संवरा बहुत ही अद्भुत लिंक संयोजन है आजका | छत पर भरपूर रचनाएँ पढ़ मन को बहुत आनंद हुआ | छत के बिना ना परिवार का अस्तित्व है -- ना घर का और नहीं जीवन का | यहाँ तक कि भावनाएं भी छत के प्रांगन में नित नए गीत औए छंद रचती हैं | आखिर छत से तो चाँद ,सितारों और सूरज का दीदार संभव है | और अनेक प्रेम कहानियां भी तो छत से शुरू हो छत पर ही विस्तार और विराम भी पाती हैं | चांदनी रात में किसी से छत पर बात करने जैसा अनुपम आनंद और कहाँ ? यानि छत की महिमा आजके लिंक ने साकार कर दी | सभी रचनाये पढ़ी बहुत -- बहुत अच्छी थी सभी | बस मनीष जी 'आशिक ' के साथ ऋषभ तोमर जी के ब्लॉग पर टिपण्णी ना जा पायी --उन्हें यहीं से शुभकानाएं भेजती हूँ | आपको इस सुंदर प्रस्तुति पर बहुत बधाई और नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं |

    जवाब देंहटाएं

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