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रविवार, 3 दिसंबर 2017

870..बातें करते हैं उन हुनर की..

।।मांगल्यमः सुप्रभात।।


यूँ तो मसले हजारों है..

पर आज 
मसाइल की नहीं.. 

बातें करते हैं ..

उन हुनर की जिसे

शब्द बयानी कहते हैं..


आगे बढने से पहले एक नजर सुविचार पर

कुछ न कुछ कर बैठने को ही कर्तव्य नहीं कहा जा सकता कोई समय ऐसा भी होता है 
जब कुछ न करना ही सबसे बड़ा कर्तव्य माना जाता है

(रवीन्द्रनाथ ठाकुर)


चलिए अब रुख करतें हैं खास लिंकों पर..


ब्लॉग तलाशे-ख़ामोशी से..

जो पराया था उसे अपना बना के देखता
वक़्त मिलता और तो क्या-क्या बना के देखता

यूँ तो आँखों ने नज़ारे कम नहीं देखे मगर
इक दफ़ा उसकी निगाहों में समा के देखता


ब्लॉग स्वप्नरंजिता से..

भँवर में फँसी थी नाव

नाव में फँसा था पाँव

अनुकूल ना थी हवा

माकूल ना थी दवा

गर्त में था गहरा खिंचाव।

घबराहट चेहरेपर

धडधडाहट थी दिल में

कैसे निकले मुश्किल से
छटपटाहट थी मन में
दूर था किनारे का गाँव


ब्लॉग कौशल से..

   बचपन में अपने स्कूली पाठ्यक्रम में एक कहानी पढ़ी थी 
.जिसमे जंगल में एक जीव भागा जा रहा है और उससे
 जब अन्य जानवर ये पूछते हैं कि वह क्यों
 भागा जा रहा है तब वह कहता है
 ''कि आसमान गिर रहा है ,आसमान गिर रहा है ,
पहले कोई यकीन नहीं करता पर जब वह भागते-भागते
 बार-बार यही दोहराता रहता है तो अन्य 
जानवर भी यही सोचकर कि आसमान गिर रहा है 


ब्लॉग कहानियों के नगर में!..


अपने अनगिनत मोड़ों से ज़िंदगी को घूमाती रहती हैं ।”
कई बार कोशिश करने के बाद भी वह हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था । वह नज़रें उठाता , तस्वीर की ओर देखता और वापस नज़रें झुका लेता । दो मिनट सोचता और पहले से बनाया हुआ व्हिस्की का पैग होठों से लगाकर अंदर कर लेता। फिर सिर को सोफ़े की पुश्त से लगाकर आँखें बंद कर लेता । ऐसा वह पिछले आधे घंटे से कर रहा था । इस कोशिश में वह आधा ख़त्म कर चुका था 


ब्लॉग  विश्वमोहन उवाच से..

परिवर्तन है प्रकृति का भोग

जीव- जगत सब क्षणभंगुर हैं

जीवन का यह सत्य क्रुर है


ब्लॉग ठहराव से..

मिला साथ तेरा ज़िन्दगी मुस्कुरा दी

सोचा था भुलाऊंगा यादों को तेरी

मगर याद ने सारी दुनिया भुला दी


।।इति शुभम्।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह

13 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    सोचा था भुलाऊंगा यादों को तेरी

    मगर याद ने सारी दुनिया भुला दी
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. जिससे भी सीखा हो फूलों ने हँसना
    मगर चाहतों को तुम्ही ने हवा दी।.....बहुत बेहतरीन रचनाकारों से रु ब रु कराया। शुक्रिया और शुभकामनायें!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत उम्दा संकलन
    शानदार रचनायें
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार आदरणीया

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय पम्मी जी, आपकी नज़र बेहतरीन रचनायें खोज लाती है और हमे रूबरू करवाती है नये नये रचनाकारों से. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई.
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन प्रस्तुतिकरण एवं उम्दा लिंक संकलन....

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन रचनाएँ पढ़वाई आपने...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत उम्दा संकलन
    शानदार रचनायें

    जवाब देंहटाएं
  8. सभी रचनायें उम्दा ! प्रस्तुतीकरण हमेशा की तरह काबिलेतारीफ़

    जवाब देंहटाएं
  9. सभी रचनायें एक से बढ कर एक. अच्छे लिक्सं पढवाने के लिये आभार।

    जवाब देंहटाएं

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