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सोमवार, 6 नवंबर 2017

843....''धुँधले तारे''

इन छोटे -छोटे नन्हें हाथों ने कई बार प्रयत्न किया है 
कुछ लिखने का ,पढ़ने का 
माँ -बाप के कठिन मज़दूरी के पीछे छुपी उनकी मज़बूरी की कहानी। 
गर्म ईंट -भट्ठों की गर्मी में तपती उनकी इच्छायें हमें क़ाबिल बनाने की 
पा न सके हालात की मज़बूरियों के चलते, हमको दिलाने की। 
सत्य है हम उनकी प्रथम पीढ़ी हैं !
चढ़ने चलें हैं सीढ़ियां उस शख़्स के सहारे 
कुछ ग़ैरत बची है जिनमें 

कोई मूर्धन्य कवि नहीं, न ही हम हैं साहित्यकार 
परन्तु इच्छा अवश्य है ! लिखने की अपनी 

"संघर्षगाथा"

आज़ का अंक हमारे पाठकों के लिए विशेष है कई मायनों में 
इन 'बालकवियों' की अनोखी कवितायें,जिन्हें आज मैंने 
आगामी 'बालदिवस' के अवसर पर लिंक की हैं। जिन्हें आपके प्यार ,प्रोत्साहन और मार्गदर्शन की विशेष आवश्यकता है। 
तो चलिए चलते हैं इनकी नन्हीं बगिया में   
"अपना घर" 

सादर अभिवादन। 

"मैंने देखा एक सपना".....  
कवि: समीर कुमार, कक्षा 6th,कानपुर


 जन्नत जैसा घर है अपना,
मैंने देखा रात को सपना |
सपने में एक चिड़िया आई, 
उसने बोला सुन मेरे भाई |

"होली"....
कवि: कामता, कक्षा 5th,कानपुर
  होली आया होली आया,
साथ में रंगों की गोली लाया |
दुश्मनी भूल हाथ मिलाया,
दुश्मनी को दूर भगाया |

 सीखो ..
कवि - देवराज , कक्षा - 7th,अपनाघर 

 फूलों से मुस्काना सीखो, 
चिड़ियों से यूँ गुनगुनाना सीखो | 
हवाओं से लहराना सीखो, 
समंदर से यूँ झूमना सीखो |  

 " यह राही की आवाज़ है " 
कवि : अखिलेश कुमार ,कक्षा : 7th , अपनाघर  

 वह सफलता ही क्या, 
जो सरलता से मिल जाये | 
वह राही क्या, 
जो कठिनाइयों से पीछे हठ जाये |

 " स्वच्छ भारत "  
कवि : समीर कुमार , कक्षा: 7th , अपनाघर

 चलो - चलो यारा कुछ नया करें ,
गन्दगी को इस देश से साफ करें | 
भूलने की बीमारी को छोड़कर,
नदियों से नहर को मोड़कर |

 " आसमान को छूकर आएंगे" 
कवि : कुलदीप कुमार ,कक्षा :6th  ,अपनाघर  

हम पकड़कर और छूकर आएंगे, 
    पृथ्वी को स्वच्छ और सुंदर बनाएंगे | 
जगह - जगह से हम कूड़ा उठाएंगे,
    भारत को स्वच्छ और सुंदर बनाएंगे |  

  " वो सुबह कब आएगी "
कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर

 दुःख के मंजर न होंगे, 
खुशियों के समंदर होंगे | 
जहाँ अपना पराया छोड़कर, 
देश में एकताएँ होगी |  
वो सुबह कब आएगी | |

 " अपने आप को पहचानो "
कवि : रविकिशन , कक्षा : 8th ,अपनाघर 

 इंसान अपने आप को पहचानो, 
अंदर छिपे हुए रहस्य को जानो | 
इंसान अपने आप को पहचानो, 
खुद करो काबिलियत जगजाहिर, 
जिसमें हो तुम सबसे माहिर |  

 "माँ"
कवि : ओमप्रकाश , कक्षा : 6TH , अपनाघर

माँ होती है सबसे पारी, 
सुनती है हर बात हमारी | 
खाना भी वो खिलाती है, 
सपनों में वो आती है | 

एक 'अनोखा' परिचय 

बाल सजग एक हकीकत भरा प्रयास जिसके लिए हम सभी बच्चें कोशिश में लगे है. हमारे सपने, हमारी उमंगे हमको भी चाहिए एक जमीन जो हमारी हो, जिसके लिए किसी का मुहँ न देखना पड़े. हम भी लिखना चाहते है, सोचना चाहते है और घिसी-पिटी पढाई को छोड़ नया कुछ पढ़ना चाहते है, जो हमारे दोस्तों ने लिखा हो, जो हमने लिखा हो. बाल सजग एक ऐसा ही प्रयास है. हम सभी ईंट-भठ्ठों पर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों के बच्चें है. हमारे बचपन का अधिकतर समय ईंट की पथाई में गुजरा है, दहकतियों भट्ठियों में झुलसा है. ईंट-भठ्ठों की तपिश में न मालूम मासूम बचपना कंहा खो गया. हमको नहीं मालूम की जांत- पात, उंच - नीच क्या होती है, और हम जानना भी नहीं चाहते है ... हम जानना चाहते है कि, शेर खीरा ककड़ी क्यों नहीं खाता, आसमान के तारों पर कौन रहता है. हम सब कुछ जानना चाहते है, जो हमारे मन में आते है. तमाम ख्वाब आपके है,पर कुछ हमारे भी है. हम अपने ख़्वाबों को आपके साथ जीना चाहते है. .. "बाल सजग" 


"एकलव्य" 

50 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय ध्रुव जी,
    आपके इस सराहनीय प्रयास के लिए हृदय से नमन।
    नन्हें मासूमों की मासूम कविताएँ उनकी सच्ची भावनाओं ने मन छू लिया। बाल कवियों को खूब सारा आशीष एवं हार्दिक शुभकामनाएँ उनके उज्जवल भविष्य के लिए।
    आज का अंक सर्वश्रेष्ठ है आपकी यह प्रस्तुति काबिले तारीफ है।

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    उत्तर
    1. आदरणीय स्वेता जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ढेर सारा आशीष और शुभकामनाओं के लिए..बच्चों की रचनाएँ आपको अच्छी लगी ये जानकर ख़ुशी हुई.. आप सबकी प्रेरणाओं से शायद ये बच्चें एक दिन साहित्य जगत के नन्हे सितारे बन सके.... सादर आभार आपका ..बाल सजग टीम

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    2. जी आदरणीय,
      मेरी एक नयी कविता मासूम बच्चों के सम्मान म़े-
      तारे जग के नन्हे-नन्हें
      झिलमिल स्वप्न हमारे

      चाहते है हम छूना नभ को
      सतरंग में रंगना बादल को
      सूरज को भरकर आँखों में
      हम हरना चाहते है तम को

      भट्टी के तापों से झुलसे
      कालिख लिपटे हाथों में
      शीतलता भर चाँदनी की
      हम सोना चाहते फूलों पर

      कोमल मन के अंकुर हम
      जरा प्रेम की बारिश कर दो
      जलते जीवन की मरुभूमि में
      अपनेपन की छाया भर दो

      कंटक राह के कम नहीं होगे
      जीवनपथ पर जीवन पर्यंत
      मिल जाये गर साथ नेह के
      खिलखिलायेे हम दिग्दिंगंत

      #श्वेता🍁





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    3. भट्टी के तापों से झुलसे
      कालिख लिपटे हाथों में
      शीतलता भर चाँदनी की
      हम सोना चाहते फूलों पर...वाह श्‍वेता जी

      हटाएं
  2. शुभ प्रभात भाई ध्रुव जी
    ये अभिनव प्रयोग नही है
    ये प्रोत्साहन दे रहे है..नन्हंं वच्चों को
    नमन है उस संस्था को..जिसने
    इन बच्चों की जिम्मेदारी उठाई और
    सर्वांगीण विकास का भीड़ा उठाया..
    शुभ कामनाएँ
    सादर

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    उत्तर
    1. आदरणीय यशोदा जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद शुभकामनाओं के लिए. हमें बहुत ख़ुशी हुई कि आपको बच्चों की रचनाएँ पसंद आई. आप सभी के मार्गदर्शन से इन बच्चों का साहित्यिक मार्ग और प्रशस्त तथा सुगम होगा...आप सभी के प्रोत्साहन से इन्हें और लिखने के लिए प्रेरणा मिलता रहेगा.. सादर आभार आपका..बाल सजग टीम

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    2. एक नतमस्तक पहल सुंदर कोमल भावना और पावन उद्देश्य हर एक को अपने हिस्से के आसमान की तलाश का नाम है जिंदगी,
      सिर्फ एक मुठठी आसमान
      कुछ ज्यादा तो नही,
      पर ख्वाईसों की मुठठी का
      आकार ही अलग अलग होता है,
      और अपनी बङी सी चाहत की मुठठी मे
      सब समेटने के चक्कर मे
      दूसरों के आसमान पर
      हक जमा बैठते है,
      और शुरू होतीं है
      अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई । और ये लडाई आप की शुरुआत है पर सभी सहृदय इसमे जुड कर इस मुहिम को आगे बढाऐंगे। साधुवाद। नमन

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  3. बहुत अच्छा लगता है जब बच्चों पर लिखा जाता है
    साधुवाद आपको
    असीम शुभकामनाएं

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    1. आदरणीय विभा जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद कि, आपको बच्चों की रचनाएँ पसंद आई..बाल सजग टीम

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  4. बहुत सुन्दर‎ सुन्दर‎ फूल चुने हैं आपने आज के गुलदस्ते में . सुबह सुबह मन को छू गई‎ सभी‎ बाल रचनाएँ . बहुत खूबसूरत लिंक संयोजन ध्रुव सिंह जी .

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    1. आदरणीय मीना जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपको बच्चों की रचनाएँ अच्छी लगी...बाल सजग टीम

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  5. बच्चों को प्रोत्साहित करती आपकी प्रस्तुति उम्दा..
    लिंकों का संयोजन बहुत सुंदर।बाल कवियों को असीम शुभकामनाएँ
    आभार।

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    1. आदरणीय पम्मी जी बहुत-बहुत धन्यवाद आपकी शुभकामनाओं के लिए.. हमें ख़ुशी हुई कि आपको बच्चों की रचनाएँ अच्छी लगी..बाल सजग टीम

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  6. ये धुंधले तारे बिलकुल भी नहीं हैं एकलव्य जी ! ये तो साहित्याकाश के उदीयमान चमकते सितारे हैं ! आपके इस प्रयास की जितनी सराहना की जाए कम है ! इन बच्चों की रचनात्मकता को सामने लाकर आपने बहुत ही प्रशंसनीय कार्य किया है ! इन बच्चों को मेरी अनंत अशेष शुभकामनाएं हैं और आपको हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद !

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    1. आदरणीय साधना जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि, आपको इनकी कवितायेँ अच्छी लगी और आपने इन्हें चमकता तारा बनाया..आपकी ये प्रेरणादायी शब्द बाल सजग के बच्चों को और कवितायेँ लिखने के लिए प्रोत्साहित करेंगी... बाल सजग टीम

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  7. bal kaviyon kee pratibha ko samne lakar aapne bahut punya karya kiya hai .sabhi balkaviyon ko hardik shubhkamnayen v aapko hardik dhanyawad

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    1. शालिनी जी आपका बहुत-बहुत धनयवाद कि आपको बच्चों की रचनाएँ अच्छी लगी ...बाल सजग टीम

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  8. बहुत ही उम्दा रचनायें
    बेहतरीन सोच
    बेहतरीन संकलन

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    1. आदरणीय लोकेश जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद इस हौसला अफजाई के लिए ..बाल सजग टीम

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  9. सम्पूर्ण सत्ताएं एक ही परम सत्ता और सम्पूर्ण भाव एक ही परम भाव के अंतर्भूत है. उन परम भावों का प्रादुर्भाव बालपन के उर्वरा प्रांगण में होता है. इसी बात को महाकवि विलियम वर्ड्सवर्थ ने कहा " Child is the father of man " और इसी बात को प्रमाणित किया है ध्रुवजी ने पांच लिंकों के इस आनंद में!!! बधाई, आभार और शुभकामनाएं कि इन नव प्रसूनों के सुवास से साहित्य का आंगन सर्वत्र और सर्वदा सुरभित होते रहे!!!!

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    1. आदरणीय विश्व मोहन जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद की आपको बच्चों की रचनाएँ अच्छी लगी..आप सभी के मार्ग दर्शन से इन बच्चों की लेखनी और बेहतर होने के साथ साथ इन्हें हौसला भी मिलेगा साहित्य के पथ पर चलने का..बाल सजग टीम

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  10. वाह ! खूबसूरत लिंक संयोजन । बच्चों की प्रस्तुति ने मन मोह लिया । बच्चों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
    हाँ एक बेटी की उपस्थिति होता और अच्छा होता ।
    आदरणीय ध्रुव सिंह जी लाजवाब प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।

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    1. नमस्कार राजेश जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद की आपको बच्चों की रचनाएँ अच्छी लगी. आपका सवाल बहुत ही प्रसंगिक है कि इसमें बेटियों की भी रचनाएँ होती तो और अच्छा होता.. हमारे यंहा आवासीय विद्यालय में सिर्फ लड़के ही रहते है. पर हम कोशिश करेंगे की बेटियों की भी रचनाएँ बाल सजग ब्लॉग पर प्रकाशित करे..आभार आपका इस बहुमूल्य सुझाव के लिए ...बाल सजग टीम

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  11. वाह। रोज की खिचड़ी से कुछ अलग । बहुत सुन्दर प्रस्तुति उम्दा रचनाओं के साथ साधुवाद ध्रुव जी ।

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    1. शुक्रिया सुशील जी आपका, कि आपको बच्चों की रचनाएँ अच्छी लगी.. आपका ये प्रोत्साहन बच्चों को और लिखने के लिए प्रोत्साहन देता रहेगा...बाल सजग टीम

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  12. शुभ प्रभात..
    आकाश के बुलन्दियों को छूने वाले ये नन्हें बालक नहीं है
    कल के उत्कृष्ट साहित्यकार हैं..
    आभार भाई ध्रुव जी..
    इस प्रभावशाली प्रस्तुति हेतु
    सादर

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    1. आदरणीय दिग्विजय जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका की आपको बच्चों की रचनाएँ पसंद आई..आपके इस हौसला अफजाई से बाल सजग के बच्चों को और लिखने की प्रेरणा मिलेगी ..बाल सजग टीम

      हटाएं
  13. आदरणीय ध्रुव जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद की आपने बाल सजग को अपने ब्लॉग पर प्रकाशित किया. इससे निश्चित तौर पर बाल सजग के बच्चों को और लिखने के लिए प्रोत्साहन और प्रेरणा मिलेगा. आपने जिस तरह से इस ब्लॉग को सुन्दर और सार्थक रूप में प्रकाशित किया है वो काबिले तारीफ है. बाल सजग टीम आपके इस सहयोग के लिए सदैव आभारी रहेगा..

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  14. आदरणीय ध्रुव जी,
    बच्चों को प्रोत्साहित करती आपकी प्रस्तुति,
    बहुत ही उम्दा रचनायें

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    1. नीतू जी आपका सादर आभार की आपको बच्चों की रचनाएँ अच्छी लगी...बाल सजग टीम

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  15. बच्चों के मन की बात...इस मंच के साथ...
    बहुत सुन्दर ।
    बाल कवि के प्रोत्साहन का ये प्रयास सराहनीय है,इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद, ध्रुव जी!

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    1. आदरणीय सुधा जी आपका बहुत- बहुत धन्यवाद की आपको बच्चों की रचनाएँ अच्छी लगी... बाल सजग टीम

      हटाएं
  16. आदरणीय ध्रुव जी,
    आप की प्रस्तुति.....
    सबसे अलग व विशेष होती है....
    बाल प्रतिभा को आपने अपनी प्रस्तुति में स्थान दिया....
    इस के लिये आप का आभार....

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    1. आदरणीय कुलदीप जी आपका बहुत- बहुत धन्यवाद की आपको बाल कवियों की कवितायेँ पसंद आई..बाल सजग टीम

      हटाएं
  17. वाह!!ध्रुव जी ,इन सभी नन्हे कवियों को प्रोत्साहित करने के लिए आप बधाई के पात्र है। बहुत सुंदर संकलन।

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    उत्तर
    1. आदरणीय सुधा जी आपको बहुत-बहुत धन्यवाद की आपको बच्चों की रचनाएँ अच्छी लगी ..बाल सजग टीम

      हटाएं
  18. आदरणीय ध्रुब जी, आज का यह हलचल मंच अपनी सार्थकता और उत्कृष्टता के शिखर को छू गया है। आपकी संवेदनशीलता का परिचायक यह अंक ख़ूब लुभाया। बहुत साधुवाद। ऐसे ही नवाचार की उम्मीद रखते हैं। बाल सजग को ह्रदय से शुभेक्षायें। बहुत बढ़िया काम कर रहे हैं। जय हो

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  19. एक अच्छी पहल आशा ट्रस्ट द्वारा
    जो इन बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया
    और ध्रुव भाई ने इनका परिचय पूरे भारत से करवाया
    जिस तरह इन बच्चों की कलम की तेजी नजर आ रही है
    उसी तरह इस संस्था के अन्य बच्चों मे भी अलग तरह की
    प्रतिभा भी मौजूद हो सकती है...संस्छा से निवेदन...
    अन्य प्रतिभाशाली बच्चों की प्रतिभा को भी इसी ब्लॉग मे शामिल करें
    आदर सहित

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  20. छोटे बच्चों के साथ आज की हलचल का कुछ और ही मजा दे दिया आपने ध्रुव जी ...
    मंच अज सार्थक हो गया ...
    इतनो कमाल की रचनाएँ हैं की क्या कहूं ... आशावान हूँ भावी पीड़ी ये बहुत ही ... और प्रभावित भी ....

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  21. बहुत अच्छा लगा बाल रचनाकारों की प्रेरक प्रस्तुति

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  22. जिस बचपन को हम आपाधापी में भुला चुके हैं, उसे इन बच्‍चों की पंक्‍तियां वापस ले आईं । ध्रुव जी बहुत बहुत धन्‍यवाद

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  23. बाल सजग टीम को बहुत बहुत शुभकामनायें. बच्चों की नज़रों से दुनिया और उसके मुद्दों को देखना एक अलग अनुभव है.रायबेरली(उत्तरप्रदेश) में ईंट भत्ठा पर काम करने वालों मज़दूरों के बच्चों के साथ हम एक अखबार निकालते थे.बच्चों के अनुभव,उन्ही के रंग, उन्ही की कलम और उन्ही का संपादन. हस्तलिखित.
    आज का अंक बच्चों के साथ उन हमजोली वाले दिनो की याद दिला गया.
    बच्चों की नज़र से ये दुनिया बेहद खूबसूरत लगती है जैसे उनकी कवितायें.
    बाल सजग टीम, आप सब ये प्रयास जारी रखियेगा.आप सब को बहुत बहुत आशीष.
    आदरणीय ध्रुव जी, आप के इस प्रयास की जितनी सराहना की जाय कम है.
    बच्चों के मौलिक चिन्तन को प्रोत्साहित करना हम सब का कर्तव्य है जिसे आपने बखूबी निभाया है. बधाई
    सादर

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  24. सर्वप्रथम बालसजग को साधुवाद एवं हार्दिक शुभकामनाएँ। बच्चों को लेखन के लिए प्रोत्साहित करना उनके सर्वांगीण विकास की दिशा में आपका सराहनीय कदम है। मैं काफी दिनों से बालसजग के ब्लॉग पर इन बालकवियों की रचनाएँ पढ़ती आई हूँ और कुछ पर अपनी टिप्पणियाँ भी दी हैं । मेरा सिर्फ एक प्रश्न है कि क्या हमारी ये टिप्पणियाँ ये बच्चे देख पाते हैं ? यदि वे देख पाएँ तो उन्हें और भी प्रोत्साहन मिलेगा । ये बालक साहित्यजगत के आकाश में सूर्य समान चमकें, पढ़ाई में और जीवन में सफलता के शिखरों को छुएँ, तहेदिल से शुभकामना है।
    आदरणीय ध्रुवजी आपके इस प्रयास के लिए आपकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है । सचमुच हलचल का यह अंक विशिष्ट है। ध्रुवजी, बहुत बहुत बधाई ।

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  25. "बड़े हो गए जब बड़ों ने कहा
    ये छोटा है अंदर उतर जायेगा
    बचपन की यादों को फिर से बहाओ
    बड़ी चटपटी हैं ये फिर से पिलाओ"
    बचपन को समर्पित आदरणीय गुलज़ार साहब की ये पंक्तियाँ बालपन को बख़ूबी बख़ान करती हैं।
    आज का अंक बाल कवियों को समर्पित है। भाई ध्रुव जी इस अनूठे और प्रयोगात्मक आयोजन के लिए बधाई के पात्र हैं। बाल कवियों की रचनाऐं पढ़कर एहसास हुआ भारत का भविष्य सुरक्षित हाथों में जाने वाला है। इनकी अभिव्यक्ति में रचनात्मकता की प्यारी-सी खनक है। सृजन अपना मार्ग ढूँढ़ ही लेता है।बाल सजग का प्रयास सर्वथा सराहनीय है ,हमारा नमन।
    आज समयाभाव के कारण बाल कवियों की रचनाओं पर मेरी व्यक्तिगत भावाभियक्ति प्रकाशित नहीं हो पायी। कल ज़रूर प्रयास करूँगा। समस्त बाल कवियों को शुभाशीष एवं माँ सरस्वती से इनकी क़लम को अपना स्नेह देने के लिए प्रार्थना।

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  26. प्रिय ध्रुव -- आज की लाजवाब प्रस्तुति अभिभूत कर देने वाली है | आपने जिन्हें धुधले तारे नाम दिया है वे भविष्य के दैदीप्यमान नक्षत्र हैं | साहित्य भविष्य के भविष्य के सुखद संकेत देते हुए ये नन्हे बाल कवि अपनी सार्थक रचनात्मकता से मन को आह्लादित कर रहे है | इनके खिल खिलाते चेहरे आशा और अनोखे आत्मविश्वास से भरे है | प्रिय समीर ,प्रिय कामता , प्रिय देवराज , प्रिय अखिलेश , प्रिय समीर , प्रिय कुलदीप ,प्रिय प्रान्जुल ,प्रिय रविकिशन और प्रिय ओमप्रकाश -- इन सभी को मेरी अनेकानेक स्नेहाशीष और ढेरों प्यार | माँ सरस्वती इनकी रचनात्मकता को नए शिखर दे |इनको शिक्षित करने वाली संस्था को साधुवाद जिन्होंने इन प्रतिभाशाली बच्चो के धूमिल भविष्य को उज्ज्वलता प्रदान करने का साहस किया |
    प्यारे बच्चो को मेरी कुछ पंक्तियाँ समर्पित हैं --
    तुम्हारे ये धरती - अम्बर -
    ये विश्व तुम्हारा हो ;
    आज भले दुविधाओं में उलझा -
    उज्जवल भविष्य तुम्हारा हो ;
    तपो रे ! संघर्ष -अगन में -
    बन जाओं दमकता कुंदन -
    वरन करो न्याय -पथ का ही -
    पाओ विपुल यश- वैभव धन ;
    संतप्त मानवता की पीडको हरना -
    बस लक्ष्य तुम्हारा हो !!
    तुम्हारे ये धरती - अम्बर -
    ये विश्व तुम्हारा हो ;
    आज भले दुविधाओं में उलझा -
    उज्जवल भविष्य तुम्हारा हो !!!!!!!!!!!!!!
    शुभकामनाओं के साथ -----



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  27. प्रिय ध्रुव ---आपके लिए क्या कहूँ ? बस आपकी संवेदनशील दृष्टि और भावुक मन को नमन करती हूँ -- जिन्होंने इन नन्हे बच्चो में अपार संभावनाओं को तलाश इन्हें बहुमूल्य मौक़ा दिया अपनी प्रतिभा दिखाने का | आप जैसे साहित्य साधक ही ऐसी संकल्पना को साकार रूप दे सकते हैं |

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  28. आज पढ़ा , अद्भुत संकलन किया है आपने , आभार आपका

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  29. आज के ये नन्हें कवि कल के उभरते हुए सितारें हैं. सभी रचनाएँ उम्दा है।इन बच्चों को बहुत बहुत शुभकामनाएं व आशीष.

    जवाब देंहटाएं

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