आनन्द आ गया कल की प्रस्तुति में
विभी दीदी वैसे भूलने वाली नही न है..
हाँ ...अव्यवस्था के चलते..
डबल प्रस्तुति प्रकाशित हुई........
आगे और इससे अच्छा ही होगा...
नई विधा पर...सोचा इक रोज़ तुझे कह दूं
एक अरसे से मेरे अंदर इक समंदर है
आज न रोक मुझे, टूट के बह जाने दे
गम न कर यार मेरे मैंने, दुआ मांगी है
चाँद होगा तेरे दामन में, असर आने दे
विविधा पर.....कुछ खबर ही नहीं लापता कौन है
दीजिये मत खुदा की कसम बेसबब ।
अब खुदा को यहां मानता कौन है ।।
है जरूरी तो घर तक चले आइये ।
आप क्या हैं इसे जानता कौन है ।।
कविता मंच पर....जिओ और जीने दो
कितना नाज़ां / स्वार्थी
और वहशी है तू ,
तेरे रिश्ते
रिश्ते हैं
औरों के फ़ालतू।
चलो अब फिर
समझदार,
नेक हो जायें,
अपनी ज़ात
फ़ना होने तक
आज्ञा दें
फिर मिलेंगे..
यशोदा ..
ढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाएँ छोटी बहना
जवाब देंहटाएंउम्र के भूलने की आदत होने लगती है
सेवा निवृति का समय हो गया है
सोच रही हूँ मुक्त हो जाऊँ ताकि तीसरी बार ऐसी बात ना हो सके 😃
घर के बड़े लोग कहाँ मुक्त होते हैं आदरणीय । उनका साथ खड़े रहना ही काफी होता है।
हटाएंबहुत सुन्दर संयोजन ..., इतनी सुन्दर सुन्दर रचनाएँ पढ़ने का अवसर देने के लिए अत्यन्त आभार
जवाब देंहटाएंयशोदा जी । मेरी रचना को इस पुष्पगुच्छ में सम्मिलित करने के लिए तहेदिल से धन्यवाद आपका ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंBehatreen links evm prastuti 👍
जवाब देंहटाएंआदरणीया,दीदी प्रणाम कमाल की प्रस्तुति सभी रचनायें एक से बढ़कर एक आभार , "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मनभावन रचनाएँ है दीः)
जवाब देंहटाएंलिंको का बहुत सुंदर संकलन।
बहुत सुन्दर संयोजन।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, सभी रचनाएँ कमाल की हैं !
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद आदरणीय यशोदा दीदी । सभी रचनाकारों को बधाई ।