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शुक्रवार, 1 सितंबर 2017

777....नौवां माह शुरु हुआ है आज से

 
अभिनन्दन स्वीकारें..
आज का अंक
ट्रिपल सेवन..
कुछ खास न होते हुए भी खास है..
आप जो हमारे आस-पास हैं


नौवां माह शुरु हुआ है आज से
बस ....प्रसव होने को है ,,,
नवागत 2018 का
अाज की पसंदीदा रचनाओ से.....
कल 31 अगस्त को आदरणीया अमृता प्रीतम जी का जन्म दिन था
पढ़िए उनकी एक कविता...

1919-2005
कविता मंच में.....रोजी
नीले आसमान के कोने में
रात-मिल का साइरन बोलता है
चाँद की चिमनी में से
सफ़ेद गाढ़ा धुआँ उठता है



रुपये को सब कुछ समझने वालों
एक बार आजमा लो...
कृषकों की शरण न जाकर तुम,
रुपये से भूख मिटा लो.....

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ऐ जिन्दगी, इक तू ही तो है बस, मैं और मेरे दरमियाँ!
खो सा गया हूँ मुझसे मैं, न जाने कहां!
ढूंढता हूँ खुद को मैं, इस भीड़ में न जाने कहां?
इक तू ही है बस और कुछ नहीं मेरा यहाँ!
अब तू ही है बस मैं और मेरे दरमियाँ!

लगाकर राम का आता, मुखौटा अब तो' रावण भी 
न जाने औ छुपे कितने यहाँ शैतान बैठे हैं।

कोई किस्सा नहीं बस दर्ज ये तो इक हकीकत है 
ये सब "होरी" यहाँ दिल में लिए "गोदान" बैठे हैं।


"मन के पाखी" में...क्षणिकाएँ
मानव मन का
स्थायी निवासी है
रह रह कर सताता है
परिस्थितियों को
मनमुताबिक
न देखकर।


गलत ईंट......रश्मि शर्मा
एक सूत बराबर थी
खाई
जोड़ने के बजाय
दो ईंट तुमने हटाईं
दो मैंने
खिसकाई।



मधुर गुंजन में....आकलन
''चलिए, आपको घर छोड़ दूँ,''रेवा ने उसे सहारा देते हुए उठाया|
''मैं चली जाऊँगी'' 
''नहीं, आप स्कूटी पर बैठें , मैं चलाकर ले जाऊँगी' 'रेवा ने सख्ती से कहा|
वह पीछे बैठ गई| 
''मेरी स्कूटी खराब थी इसलिए...'' 
उसकी प्रश्न भरी नजरों को समझ कर रेवा ने मुसकुरा कर स्वयं ही कह दिया|



यादें में....जो गुज़र गया ..वो कल था ...!!!
कल बहारें थी ,
सपनों का दौर था 
आज वीराने हैं ,
खांसी का शोर है 
वो कल था, ये आज है .....

और भी है..पर बस
आज यहीं तक
आज्ञा..
यशोदा .....

16 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात आदरणीय दी,
    बहुत सुंदर संकलन आज का।एक से एक रचनाएँ है सारी,मेरी रचना को मान देने के लिए अति आभार दी।

    जवाब देंहटाएं
  2. उषा स्वस्ति, दीदी..
    बहुत बढिया लिंक साथ ही सभी रचनाकारों को बधाई।
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रसव काल में नवागत सृजन का शुभ संकेत - यह संकलन ! बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर सूत्र संयोजन यशोदा जी।

    जवाब देंहटाएं
  5. नौवें माह का आकर्षक आरम्भ...
    लाजवाब प्रस्तुतिकरण एवं उम्दा लिंक संकलन....
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, यशोदा जी!...सादर आभार...

    जवाब देंहटाएं
  6. नमस्ते ,
    आज का अंक सचमुच ख़ास है।
    अंकों का चमत्कार बहुत कुछ कहता है।
    सात के दो आगे सात ,सात के दो पीछे सात ,आगे सात ,पीछे सात = तीन सात।
    7 +7 +7 =21 अर्थात मूलांक =3 .
    हमारी वैदिक संस्कृति में तीन अर्थात त्रिदेव।
    बसुधैव कुटुम्बकं की धारणा के अनुसार हमारी सोच व्यापक हो जाती है तब हम तीन को तीन लोक ( धरती ,जल, आकाश ) जैसे विराट कैनवास की कसौटी पर कसते हैं।
    साहित्य जगत के चमकते सितारों में स्व. अमृता प्रीतम जी की गत दिवस जयंती पर उनकी रचना , कृषकों और धरती का संबंध बताती सुधा देवरानी जी की भावप्रवण रचना , रश्मि शर्मा जी की यथार्थपरक रचना "ग़लत ईंट", पाताल की गहराई तक जाते भाव लिए विभिन्न रचनाऐं और ब्रह्माण्ड का ज़िक्र करती श्वेता सिन्हा जी की क्षणिकाऐं ,
    सभी "तीन लोक " का किसी न किसी प्रकार से प्रतिनिधित्व करती हैं अतः आज का अंक वास्तव में विशेष ही बन पड़ा है नौवें माह की शुरुआत के साथ।
    बहुत -बहुत बधाई आदरणीय यशोदा बहन जी इस विचारणीय अंक के प्रस्तुतीकरण के लिए।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं !
    आभार सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय बहन जी ,
      कुछ तकनीकी कारणों से
      कविता मंच पर रचना "रोजी" प्रदर्शित नहीं हो पा रही है।

      हटाएं
  7. बहुत ही सुंदर संकलन !लगता है रवींद्र जी भी मेरी तरह अंक ज्योतिष में विश्वास रखते हैं। बहुत सुंदर विश्लेषण किया अंक 777 का। वैसे मेरा मूलांक भी 3 है इसलिए मैं जरा ज्यादा खुश इस विश्लेषण से !
    मेरी प्रिय कवयित्री अमृता प्रीतम की रचना नहीं खुल पा रही है। बाकी सभी को पढ़ा। सभी रचनाएँ अप्रतिम हैं। सभी को बधाई व शुभेच्छाएँ !!!

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत अच्छी हलचल। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  9. आभार यशोधा जी मेरे साधरण लिखे को शामिल करने के लिए....

    जवाब देंहटाएं
  10. आभार यशोधा जी मेरे साधरण लिखे को शामिल करने के लिए....

    जवाब देंहटाएं

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