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मंगलवार, 8 अगस्त 2017

753....जिनका लहू इस देश के काम आता है॥


जय मां हाटेशवरी....
स्वागत है...एक बार फिर आप का....
आओ झुक कर सलाम करें उनको,
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है,
खुशनसीब होते हैं वो लोग,
जिनका लहू इस देश के काम आता है॥





एक अगस्त से 7 अगस्त तक हमने मनाया....
विश्व स्तनपान सपताह....
इस लिये आज सबसे पहले...इसी विषय पर आदरणीय   डा0 हेमंत कुमार की रचना...
 मां का दूध अमृत समान
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पहले 2-3 महीनों में बच्चा रात में भी मां को स्तनपान के लिये जगायेगा।रात में भी बच्चे को स्तनपान कराना नुक्सानदायक नहीं होता।दूध पीकर वह फ़िर सो जायेगा।कुछ महीनों बाद बच्चा जब रात में ठीक से सोने लगेगा तो धीरे धीरे रात में उसकी स्तनपान करने की आदत  खुद ही बन्द हो जायेगी।
जन्म से छः सालों तक दो,बच्चे को प्यार सुरक्षा।
बिन बाधा बढ़ता जायेगा ,बनेगा वो फ़िर बच्चा अच्छा॥




अब आनंद लिजिये.......आदरणीय सतीश सक्सेना  जी  द्वारा अपने
 एक मित्र को दी गयी सलाह
अगर हम तुम्हें , बिन मुखौटे के पाते !
असल देखकर बस दहल ही तो जाते !


आप सब के लिये....आदरणीय यशोदा दीदी अपनी धरोहर पर....
आदरणीय ममता भारद्वाज  जी की खूबसूरत रचना...लाए हैं....
डोर हमसफर की......
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जहां तलाश थी ताउम्र मुस्कुराने की
वहीं भूल गई मुस्कुराना जिंदगी में
किससे करूं गिला किससे करूं शि‍कायत
जो खो गई आवारगी में
था सर पर ताज जीवन तलाश ना सकी
आज जमाने से लाचार पड़ी है जिंदगी

स्वराज करुण...के ब्लॉग...
"मेरे दिल की बात  पर...
लोकप्रियता के सौदागर और उनके दीवाने ग्राहक ...!


         सोशल मीडिया के इस जमाने में  लोकप्रियता मिलती नहीं बल्कि खरीदी जाती है ! इस फोटो पर दीवार में चस्पा विज्ञापन को ध्यान से देखिए ! फेसबुक पर सिर्फ 300 रूपए में 1500 लाइक ,ट्विटर पर 200 रूपए में 1000 फॉलोवर्स और गूगल प्लस पर भी 200 रूपए में 1000 फॉलोवर्स ....! जनाब ने अपना मोबाईल नम्बर भी दे रखा है

अब पेश है....आदरणीय नीरज जी की कहानी...
कहानी
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कल रक्षाबंधन था...
इस लिये अब पढ़ते हैं....आदरणीय मीना भारद्वाज जी की कविता...
रेशमी धागे”
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रेशमी धागों की माया बड़ी अपरम्पार है
तुम्हारे आने की चाह में
ये कभी कुम्हला जाते हैं
तो कभी उलझ जाते हैं
बंधते तो साल में एक ही बार हैं
मगर बंधन की मजबूत पकड़

अब अंत में....भाई संजय जी कह रहे हैं....
..... मैं अकेला चलता हूँ :)
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क्योंकि नाते रिश्तेदार तो
समय के साथ ही चलते है
पर धुप हो या छाव
छाया हमेशा साथ रहती है
और मुझे अकेलेपन का अहसास नहीं होने देती
इसलिए मैं अकेला ही चलता हूँ ......!!
अलविदा कह रहा है   सबसे आज का ये पल,
नई उम्मीद की तलाश में होगी कल  फिर  हलचल ....


धन्यवाद।




 















   

13 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात...
    उत्कृष्ठ रचनाएँ
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात आदरणीय
    कुलदीप जी ,उम्दा संकलन
    देश के वीर जवानों के नाम
    आभार ,
    ''एकलव्य''

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुतीकरण . "पाँच लिंकों का आनन्द" में मान देने हेतु आभार .

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर पठनीय लिंकों का संयोजन। देश के वीरों को समर्पित आपकी बहुत सुंदर पंक्तियाँ आदरणीय कुलदीप जी।

    जवाब देंहटाएं
  5. शुभ प्रभात आदरणीय,पठनीय लिंकों का संयोजन
    बहुत बढिया..
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  6. सभी रचनाएँ बेहतरीन मान देने हेतु आभार:)

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी।

    जवाब देंहटाएं
  8. शुक्रिया कुलदीप जी मुझे भी इस खुबसूरत चर्चा में पहुँचाने के लिए...बहुत ही अच्छे लिनक्स से परिचय भी हुआ ....शुभकामनायें....

    जवाब देंहटाएं
  9. सुंदर संयोजन । आज पढ़ा । सभी रचनाएँ श्रेष्ठ हैं । सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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