उठो, जगो, आगे बढ़ो, पाओ जीवन-साध्य।
तुमने कहा कि राष्ट्र ही, एकमेव आराध्य।।
साँस-साँस में राष्ट्रहित, शब्द-शब्द में ज्ञान।
राष्ट्रवेदिका पर किए, अर्पित तन मन प्राण।।
सत्य और संस्कृति हुए, पाकर तुम्हें महान।
कदम मिलाकर चल पड़े, धर्म और विज्ञान।।
देव संस्कृति का किया, तप-तप कर उत्थान।
करता है दिककाल भी, ॠषि तेरा जयगान।।
अनथक यात्री ने कभी, लिया नहीं विश्राम।
दिशा-दिशा के वक्ष पर, लिखा तुम्हारा नाम।।
रोम-रोम पुलकित हुआ, गाकर दिव्य चरित्र।
जन्म तुम्हें देकर हुई, भारत भूमि पवित्र।।
संत विवेकानंद तुम, शुभ-संस्कृति का कोष।
गुँजा दिया इस सृष्टि में, भारत का जय घोष।।
------राम सनेहीलाल शर्मा 'यायावर'
इन महान आत्मा को नमन करते हुए....पेश है आज के पांच लिंक....
शहर सिसकते न हों कहीं...
पिछले बरस इन दिनों मैं अपनी पहली और अब तक की इकलौती विदेश यात्रा पर थी. स्कॉटलैंड के खूबसूरत पहाड़ों को देखते हुए पहला ख्याल अपने उत्तराखंड के पहाड़ों का आया था कि कहीं से कम खूबसूरत तो नहीं हैं हमारे देश के पहाड़, यहाँ के मौसम बस कि हम उनका ख्याल रख पाने में बुरी तरह से चूक जाते हैं. हमने अपने खूबसूरत शहरों को रौंद कर रख दिया है. हमने फेसबुक पर अपडेट करने के लिए या दोस्तों पर रौब झाड़ने के लिए पर्यटन के नाम पर शहरों की ओर दौड़ लगाना तो सीख लिया, तस्वीरें खींचकर अपलोड करना तो सीख लिया लेकिन शहरों से पेश आने का सलीका नहीं सीखा.
प्रवंचना
जलते दिए की
रोशनी तो देखी
पर लौ की जलन
न जानी !
फूलों की खुशबू
तो जानी
पर काँटों की चुभन
न जानी !
गजल
छीन कर सारी मशालें पी गया वो रोशनी
फ़क्त देता है दिलासा, बस सहर होने को है |
अब हकीकत को समझने लग गए हैं सब यहाँ
मुफलिसों की आह का शायद असर होने को है |
यादें नई पुरानी
सभी अभिनेता,अभिनेत्रियों के एक नहीं कई चेहरे होते हैं,पर्दे पर कुछ और तो वास्तविक जीवन में कुछ और.शायद व्यावसायिकता का तकाजा हो या दर्शकों में अपनी छवि बनाए रखने कि जुगत.इसी को दाग फिल्म में बड़ी खूबसूरती से शब्दों में पिरोया गया था...
जब भी चाहे नई दुनियां बसा लेते हैं लोग
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग
दूरदर्शन पर कई बरस पहले एक धारावाहिक इसी कंसेप्ट पर आया था ‘चेहरे पर चेहरा’ जिसमें बांग्ला के प्रसिद्ध अभिनेता अनिल चटर्जी प्रमुख भूमिका में थे. मानव जीवन की विसंगति ही है किहर जगह हमें अलग-अलग चेहरों की जरूरत पड़ती है.
लेखन क्वालिटी
मेरे ब्लॉग पर आने वाले कमेंट में 80 प्रतिशत की गिरावट आयी मगर मेरा लेखन इस कारण कभी कम न हुआ , ब्लॉग लेखन का उद्देश्य मेरे लेखन का संकलन मात्र रहा था मेरा विश्वास था कि मैं देर सवेर लोग पढ़ेंगे जरूर , इसमे बनावट से लोगों को प्रभावित करने की चेष्टा रंचमात्र भी नहीं थी ! मेरा अभी भी दृढ विश्वास है कि गूगल के दिए इस मुफ्त प्लेटफॉर्म से बेहतर और कोई प्लेटफॉर्म नहीं है जहाँ लोग अपनी रचनाये सदा के लिए सुरक्षित रख सकते हैं !
सो ब्लॉगर साथियों से अनुरोध है कि वे दिल से लिखें और क्वालिटी कंटेंट लिखें ताकि आज न सही कल आने वाली पीढ़ी उनकी अभिव्यक्ति समझे और पुरानी पीढ़ी को अपने साथ महसूस कर सके !
मुस्कान’.....डॉ० छेदी साह
देखती हो जब तुम
और होती आँखें चार
तब तुम्हारी मीठी मुस्कान
मुझे लगती है
बड़ी ही कान्तिमान,
आज बस इतना ही....
• जीवन का रहस्य केवल आनंद ही नहीं है, बल्कि अनुभव के माध्यम से सीखना भी है।
• जीवन में, जिस शिक्षा से हम अपना निर्माण कर सकतें है, मनुष्य बन सकतें हैं, चरित्र गठन कर सकतें हैं, और विचारों का सामंजस्य कर सकतें हैंI वही वास्तव में शिक्षा कहने के योग्य है।
• पूरे संसार की शक्तियां पहले से ही हमारी है। वे हम ही है, जो अपनी आँखों पर हाथ रखें रहतें है और फिर रोते रहतें है कि कितना अंधेरा है।
• दिन में एक बार अपने स्वयं से अवश्य बात करे, अन्यथा आप इस संसार में एक उत्कृष्ट और विचित्र व्यक्ति से मिलने का अवसर गवां देंगे।
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
शुभ प्रभात !
जवाब देंहटाएंयुवाओं के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।
आज का विशेषांक कुलदीप जी ने सुन्दर ढंग से सजाया है। उम्दा लिंकों का संकलन। सादर आभार।
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचनाएँ
भाव-भीनी श्रद्धांजली
देव पुरुष स्वामी जी को
सादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति कुलदीप जी.मुझे भी शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंवाहः
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा प्रस्तुति
शुभ प्रभात ,आदरणीय कुलदीप जी
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम इस भारत के सपूत ''स्वामी विवेकानन्द'' की पुण्यतिथि पर इस विलक्षण प्रतिभा वाले युगपुरुष को नमन।
ओज था ,मष्तक पे तेरे
भावनायें हृदय में आग थीं
चमत्कृत जिह्वा शब्द बैठा
जग सारा ,स्तब्ध था
सत्य कहा ,व्यक्ति का श्रेष्ठ मूल्यांकनकर्ता वह स्वयं है ,
अच्छा अंक ,सुन्दर लिंक समायोजन
आभार।
"एकलव्य"
सर्वप्रथम प्रेरक व्यक्तिव स्वामी विवेकानंद जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंको का संयोजन आदरणीय।
युवाओं के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद जी को विनम्र श्रद्धांजलि.. आज की प्रस्तुति बहुत अच्छी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
युगपुरुष विवेकानन्द जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
सदा की तरह उत्तम
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कुलदीप जी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन किया है.
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