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रविवार, 18 जून 2017

702....संडे है आज तुझे कर तो रहा हूँ याद

सादर अभिवादन..
आज पाठकों का दिन है...रविवार जो है...
वो भी जून मास का तीसरा रविवार...
सबसे पहला फादर्स डे 19 जून 1909 को मनाया गया। 
वॉशिंगटन के स्पोकेन शहर में सोनोरा डॉड ने अपने 
पिता की स्मृति में इस दिन की शुरुआत की थी। 
फादर्स डे की प्रेरणा उन्हें 1909 में शुरू हुए मदर्स डे से मिली।

आँखें नम कर देने वाली ये लघु फिल्म देखिए..
आप सभी को पितृ-दिवस की शुभ कामनाएँ..
अब चलिए चलते हैं आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर...



परखा हुआ सत्य....पुरुषोत्तम सिन्हा
सूर्य की मानिंद सतत जला है वो सत्य,
किसी हिमशिला की मानिंद सतत गला है वो सत्य,
आकाश की मानिंद सतत चुप रहा है वो सत्य!
अबोले बोलों में सतत कुछ कह रहा है वो सत्य!




इतनी भी अकेली नहीं होतीं 'अकेली औरतें'....प्रतिभा कटियार
उनके आसपास होती हैं
सहकर्मियों की कसी गयीं फब्तियां
मोहल्ले में होने वाली चर्चाओं में उनका जिक्र
बेवक्त, बेवजह पूछे जाने वाले बेहूदा सवाल
और हर वक्त मदद के बहाने
नजदीकी तलाशती निगाहें
अकेली औरतों को
कहाँ अकेला रहने देता है संसार


संस्कारहीन.....ऋता शेखर 'मधु'
'अब मैं क्या बोलूँ संस्कारहीनता पर...
'लड़की ने मुस्कुराकर कहा 
और कमरे से बाहर निकल गई|


"सीख"....विभारानी श्रीवास्तव
“झूठ लिखने की सलाह तुम्हें कौन दे रहा है... 
अंत ऐसा कर सकती हो “जब दोनों शादी का निर्णय किये तो 
दोनों परिवारों में बहुत हंगामा हुआ .... 
विद्रोह होने से रंजिशें बढने लगी ... 
परिवार के खिलाफ जाकर दोनों ने शादी नहीं की .. 
आजीवन एक दूसरे के नहीं हुए तो 
किसी और के भी नहीं हुए ....


सुख-दुख...सुधा देवरानी
दुख ही तो है सच्चा साथी
सुख तो अल्प समय को आता है ।
मानव जब तन्हा  रहता है,
दुख ही तो साथ निभाता है ।


"न्याय की वेदी"....."एकलव्य"
मैं प्रश्न पूछता 
अक़्सर !
न्याय की वेदी 
पर चढ़कर !
लज्ज़ा तनिक 
न तुझको 
हाथ रखे है !
सिर पर 


एक बार फिर से....श्वेता सिन्हा
मैं ढलती शाम की तरह
तू तनहा चाँद बन के
मुझमे बिखरने आ जा
बहुत उदास है डूबती
साँझ की गुलाबी किरणें
तू खिलखिलाती चाँदनी बन
मुझे आगोश मे भरने आजा


सौ बार धन्य है वह लवकुश की माई....रश्मि प्रभा
मैं शबरी आज कहना चाहती हूँ
"सौ बार धन्य है वह लवकुश की माई
जिसने वन में उनको कुल की मर्यादा सिखलाई"

उलूक उवाच.....डॉ. सुशील जोशी
अपने कनिस्तर को
आज मैं नहीं
बजा रहा हूँ 
छोड़ चल आज 
तुझ पर ही 
बस कुछ कहने 
जा रहा हूँ 
अब ना कहना
तुम्हें भूलता 
ही जा रहा हूँ ।

:: :: :: :: :: ::

आज्ञा दीजिए..
एक सप्ताह से..
प्रतीक्षा थी आज की
पाठकों की पसंद पर
अपनी पसंद आपको पढ़वा सकूँ
सादर
यशोदा ..






















12 टिप्‍पणियां:

  1. ढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं के संग शुभ दिवस छोटी बहना
    उम्दा प्रस्तुतीकरण में मुझे संग रखना आभार आपका

    जवाब देंहटाएं
  2. मन मंत्रमुग्ध और भावविभोर हो गया। सुंदर प्रस्तुति।।।

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभप्रभात
    आदरणीय, ''यशोदा दीदी''
    सुन्दर प्रस्तुतिकरण,
    उम्दा लिंक संयोजन
    सम्मान देने के लिए आपका
    हृदय से आभार।
    "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ प्रभात। पितृ दिवस पर सुंदर लिंक्स के साथ प्रस्तुत हुआ है आज का अंक। पाठकों को आज अधिकतम रचनाएं पढ़ने को मिलीं। सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर लिंकों का चयन, मेरी रचना को आभार देने के लिए आभार आपका दी।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुप्रभात
    बहुत सुंदर हलचल प्रस्तुति
    Happy father's day

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर प्रस्तुति..
    पितृ दिवस पर बहुत बढियाँ लिकों का चयन..

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर संकलन........
    mere blog ki new post par aapke vicharo ka intzaar..

    जवाब देंहटाएं
  9. पितृ दिवस की शुभकामनाएं। आज के सुन्दर अंक में 'उलूक' के इतवार को जगह देने के लिये आभार यशोदा जी।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही उम्दा लिंक संयोजन....
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं
    हार्दिक आभार.....

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत उम्दा प्रस्तुतियां
    बहुत आभार आदरणीया

    जवाब देंहटाएं

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